इस्लाम में चार शादियां करने की क्यों है इजाजत जानें वो खास वजह
इस्लाम में चार शादियां करने की क्यों है इजाजत जानें वो खास वजह
इस्लाम धर्म में पुरुषों के लिए बहु विवाह की इजाजत है. मुस्लिम व्यक्ति कानूनी तौर पर एक समय में अधिकतम 4 पत्नियां रख सकता है. लेकिन उसमें पत्नियों के साथ न्याय पूर्ण व्यवहार करने की क्षमता होनी चाहिए. ऐसा न होने पर पत्नी मुस्लिम विवाह विच्छेद अधिनियम 1939 के तहत तलाक मांग सकती है.
अलीगढ़ /वसीम अहमद: इस्लाम धर्म में पुरुषों के लिए बहु विवाह की इजाजत है. मुस्लिम व्यक्ति कानूनी तौर पर एक समय में अधिकतम 4 पत्नियां रख सकता है. लेकिन, उसमें पत्नियों के साथ न्याय पूर्ण व्यवहार करने की क्षमता होनी चाहिए. ऐसा न होने पर पत्नी मुस्लिम विवाह विच्छेद अधिनियम 1939 के तहत तलाक मांग सकती है.
दरअसल, इस्लाम में बहु विवाह की इजाजत इसलिए भी दी गई है ताकि गरीब, अबला, विधवा से शादी करके उसे इज्जत की जिंदगी दी जा सके. साथ ही इस्लाम में यह भी प्रावधान है कि अगर पति एक से ज्यादा पत्नियां रखता है, तो उसके लिए उसे पहली पत्नी से इजाजत लेना जरूरी है. पहली पत्नी की रजामंदी होने के बाद ही पुरुष दूसरी शादी कर सकता है. दोनों पत्नी की रजामंदी के बाद तीसरी और तीनों पत्नियों की राजा मंदी के बाद चौथी शादी कर सकता है. अगर पत्नियां इजाजत नहीं देती और किसी बेसहारा को सहारा देने की जरूरत है. तो पति अपनी मर्जी से दूसरी शादी कर सकता है. लेकिन, उसकी पहली पत्नी को सारी सुख सुविधा व उसका पति वाला पूरा हक देने के बाद ही ऐसा कर सकता है.
इस्लामिक स्कॉलर उमेर खान बताते हैं कि इस्लाम में 4 शादियों की इजाजत के पीछे की वजह बेवा औरतों का सहारा देना होता है. या फिर जो लड़कियां ऐसी हैं जिनसे कोई शादी नहीं कर रहा. तो ऐसी लड़कियों से शादी करने की इजाजत इस्लाम देता है. इस्लाम में फिजूल खर्ची या अय्याशी या अपने किसी फायदे के लिए ऐसा करने की इजाजत नहीं है. चार शादियों की इस्लाम में इजाजत दी गई है. लेकिन, उसमें भी कुछ शर्तों के साथ इजाजत दी गई है. जैसे कि आप एक बीवी से ज्यादा का खर्चा उठा सके और आपकी पहली बीवी इस बात की इजाजत दे तभी आप दूसरी शादी कर सकते हैं. लेकिन, ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकते कि हम एक बीवी को परेशान रखें. या उसको सताए और दूसरी बीवी को खुश रखें. पहली बीवी को बताएं बगैर भी दूसरी बीवी रखना गलत है.
इस्लामिक स्कॉलर उमेर खान का कहना है कि अगर कोई इस्लाम के तौर तरीके के बताए रास्ते का गलत इस्तेमाल करता है, तो यह बिल्कुल गलत है. ऐसे लोग इस्लाम को बदनाम करने का काम करते हैं. अक्सर देखा जाता है कि अगर किसी के शोहर का इंतकाल हो गया, तो उस औरत से कोई शादी नहीं करना चाहता. तो ऐसी औरतों का सहारा बनने का हुक्म इस्लाम में दिया गया है. चार शादियों की इजाजत दी गई है. इसके लिए पत्नियों की रजामंदी जरूरी है. लेकिन, अगर बीवी इजाजत नहीं देती है और आप उनके अच्छे से हक अदा कर रहे हैं. उनका खर्चा अच्छे से उठा रहे हैं, तो किसी को सहारा देने की नियत से उससे शादी कर सकते हैं. ऐसे हालत में आपको बीवी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है.
Tags: Aligarh news, Local18FIRST PUBLISHED : May 16, 2024, 17:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed