धान की सीधी बुवाई करें या रोपाई किस विधि से होगा ज्यादा उत्पादन!
धान की सीधी बुवाई करें या रोपाई किस विधि से होगा ज्यादा उत्पादन!
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के प्रभारी डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि अभी तक किसान परंपरागत तरीके से धान की खेती करते आ रहे हैं. जिसमें पानी और लेबर की लागत ज्यादा आती है. लेकिन वैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली धान की सीधी बुवाई से 30% से 35% पानी की बचत होती है.
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : गर्मियों में धान की फसल भारत के कई प्रदेशों में उगाई जाती है. पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. परंपरागत तरीके से की जाने वाली धान की खेती से पानी की खपत ज्यादा होती है. जिसके बाद अब वैज्ञानिक किसानों को धान की सीधी बुवाई करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. जिससे कम लागत में अच्छा उत्पादन मिलता है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के प्रभारी डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि अभी तक किसान परंपरागत तरीके से धान की खेती करते आ रहे हैं. जिसमें पानी और लेबर की लागत ज्यादा आती है. लेकिन वैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली धान की सीधी बुवाई से 30% से 35% पानी की बचत होती है. साथ ही परंपरागत तरीके से की जाने वाली खेती के मुकाबले ग्रीन गैस उत्सर्जन में भी 30% से 35% गिरावट आती है. जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है. धान की सीधी बुवाई 25 मई से 10 जून तक मानसून से पहले की जाती है.
ऐसे करें धान की सीधी बुवाई
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि धान की सीधी बुवाई करने के लिए गेहूं की कटाई के बाद खेत को अच्छे से जोत कर समतल कर लें. उसके बाद खेत में पानी छोड़कर पलेवा कर लें. पर्याप्त नमी रहती खेत को दोबारा से जोत कर तैयार कर लें. खेत तैयार होने के बाद डीएसआर मशीन (direct seeded rice) से धान की बुवाई की जाती है. सीधी बुवाई में 8 से 10 किलो ग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब इस्तेमाल किया जाता है. ध्यान रखें लाइन से लाइन की दूरी 9 इंच और गहराई 1.5 से 2 इंच तक होनी चाहिए. बुवाई करने के बाद तुरंत पेंडिमैथलीन (Pendimethalin) दवा 1200 से 1500 ml प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव कर दें. जिससे खेत में खरपतवार नहीं उगेंगे.
तर-बतर विधि से करें धान की सीधी बुवाई
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि अगर आपके पास डीएसआर मशीन नहीं उपलब्ध है तो आप तर-बतर विधि से भी धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं. इसके लिए खेत को जोत कर समतल करने के बाद पानी भरकर धान के बीज का छींटा लगा दें. 20 से 22 दिन के बाद पहली बार पानी लगाएं. उसके बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए 80 से 100 ml नॉमिनी गोल्ड प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें. जिससे धान की फसल में उगने वाले खरपतवार नष्ट हो जाएंगे.
बुवाई से पहले करें धान के बीज का उपचार
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि धान की सीधी बुवाई करते वक्त अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है. किसान ध्यान दें की प्रमाणित बीज की ही बुवाई करें. ताकि उनको अच्छा उत्पादन मिल सके. डॉ एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बीज का उपचार करना भी बहुत जरूरी है. किसान 8 किलो बीज को 10 लीटर पानी में डालकर 1 किलो पिसा हुआ नमक डाल दें. उसके बाद हल्का बीज तैर कर ऊपर आ जाएगा. जिसको अलग कर दें. धान के बीज को 2 से 3 बार ताजे पानी में धो दें. बीज को साफ करने के बाद फिर पानी में भिगो दें. 20 ग्राम कार्बेन्डाजिम और 2 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को भरे हुए पानी में डालकर 24 घंटे के लिए रख दें. बाद में बीज को निकाल कर छाया में सूखने के लिए रख दें. बीज सूखने के बाद खेत में बुवाई कर सकते हैं.
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Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : April 29, 2024, 14:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed