OPINION: आरजी कर कॉलेज में ही नहीं हर औरत को पूरे देश में चाहिए सेफ आजादी
OPINION: आरजी कर कॉलेज में ही नहीं हर औरत को पूरे देश में चाहिए सेफ आजादी
महिलाओं के प्रति अपराध को कम करने के दो तरीके हैं- उन्हें होने से रोकने के लॉन्ग टर्म स्थायी प्रभावशाली उपाय हों और यदि अपराध हो ही जाए तो सख्ती से कानूनी मशीनरी उसकी सजा लागू करे...
भावनाओं को पीछे धकेल कर दिमाग को जगाते हैं. आओ, देश में औरतों को जीने का हक दिलाते हैं.
जिन्हें लगता है आजादी की 77वीं वर्षगांठ मनाई है हमने, उन्हें देश की आधी आबादी के दर्द से अवगत कराते हैं.
हर रोज, दिन भर, यहां वहां, जगह जगह, घर में और बाहर… कभी रेप का शिकार होते हैं, कभी यौन हिंसा की पीड़ा पाते हैं.
सुनो, इस देश के हमारे साथी पुरुषो सुनो, क्या तुम्हें हममें इंसान नजर नहीं आते हैं….
कोलकाता में सेमिनार हॉल में रात की ड्यूटी में चंद पलों के लिए सोने गई ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले में जब सुप्रीम कोर्ट, सरकार और सीबीआई न्याय दिलाने में जुटे हुए हैं, तब टीएमसी सांसद का हाल ही में दिया गया वक्तव्य भी कानों में गूंजने लगता है. अरूप चक्रवर्ती इस केस में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए मांगरत डॉक्टरों से कहते हैं, आंदोलन के नाम पर तुम घर जाओ या अपने बॉयफ्रेंड के साथ घूमो… जब लोग तुम पर गुस्सा करेंगे तो हम तुम्हें बचाने नहीं आएंगे. सत्तासीन पार्टी के नेता का यह बयान तकलीफदेह है. और साथ ही उस जरूरत की ओर भी सख्ती से इंगित करता है जो अब ऑप्शन नहीं है, वक्त की मांग है.
डॉक्टरों के इस विरोध प्रदर्शन में फीमेल ही नहीं मेल डॉक्टर भी शामिल थे फिर केवल महिला डॉक्टरों को लेकर यह टिप्पणी क्यों… दरअसल उनका यह ‘मासूम’ बयान पितृसत्तात्मक समाज में पले-बढ़े एक शख्स का ‘स्वत: स्फूर्त’ स्टेटमेंट है. मुलायम सिंह यादव ने एक रैली में कहा था, लड़के तो लड़के ही होते हैं, उनसे गलतियां हो जाती हैं… क्या आप उन्हें बलात्कार के लिए फांसी पर लटका देंगे?
छेड़छाड़, यौन हिंसा, बलात्कार, महिलाओं के साथ होने वाली जेंडर आधारित बदसलूकियों से निपटने के दो तरीके हैं. पहला, अपराध हो चुका हो तो उसकी सजा के लिए बनाए गए कानून को पूरी ईमानदारी से बिना राजनीति के लागू कर दिया जाए. दूसरा, अपराध को होने से रोकने के लिए यथासंभव उपाय बनाए जाएं और उन्हें देशभर में जमीनी स्तर पर लागू किया जाए. जो लागू करने के लिए रिस्पॉन्सिबल हैं, उनकी जवाबदेही तय की जाए.
रिक्लेम द नाइट… के बीच लड़कियों को घर में मत छुपाने लगिए…
महिलाओं को सुरक्षा नहीं, आजादी चाहिए जीवन जीने की जहां कोई फेवर नहीं, समानता हो. गोमती नगर में जब एक लड़की को बारिश के पानी में खींचकर बदतमीजी की जा रही थी तब पास ही पुलिस चौकी थी. जरूरत है तो कानून लागू करने वाले स्टाफ को सेंसिटाइज करने की. क्योंकि, महिलाओं को मोरेलिटी का सबक तो सब सिखाने लगते हैं लेकिन अपनी लापरवाहियों और चूकों को चुपके से टाल जाते हैं.
आरजी कर मेडिकल कॉलेज केस के बाद डॉक्टरों के लिए नाइट शिफ्ट अवॉएड करने की सिफारिश की गई है. यह भी कहा जा रहा है कि महिलाओं के वर्किंग के घंटे कम कर दिए जाएं. लेकिन महिला डॉक्टर रात के समय हॉस्पिटल में नहीं होंगी, तो महिला पेंशंट को दिक्कत पेश आएगी, इस पर क्या कहना है? बलात्कार और छोड़छाड़ दिन में भी होते हैं.. क्या दिन में महिलाओं के प्रति कोई अपराध नहीं होता?? Reclaim the Night के महिलाओं के प्रयत्नों के बीच हम उन्हें घर में छुपा देना चाहते हैं.. क्या घर में रेप नहीं होते.. यौन शोषण और यौन उत्पीड़न नहीं होते… यह ठीक है कि ये तुरत फुरत लागू करने वाले मेजरमेंट हैं लेकिन ये हल नहीं हैं. हल भी हैं लेकिन वे ओवरनाइट प्राप्त नहीं होंगे.. वे लॉन्गटर्म उपाय हैं जिनका नतीजा आने में भी वक्त लगेगा लेकिन जब आएगा तब ठहराव के साथ आएगा, ऐसी उम्मीद जगती है.
सेक्स एजुकेशन और महिला आरक्षण कानून…
स्कूलों कॉलेजों में सेक्स एजुकेशन के बारे में अब चर्चा करने का वक्त गया. अब इसे लागू करना वक्त की पहली जरूरत है. इसके लिए गंभीर तरीके से सरकार को कमेटी बनाकर इसे जल्द से जल्द क्यूरिकुलम में शामिल करना चाहिए. महिलाओं को अजस्ट करना सिखाने की नही, आधुनिक समाज की जरूरत है कि पितृसत्तात्म सिस्टम में मर्दों को सेंसिटाइज किया जाए. यह शुरुआत घर से ही होगी. परिवार से ही होगी. बच्चों के लालन पालन में सोच संबधी भेदभाव हम आज बंद करेंगे, तब जाकर आने वाले सालों में इसका असर दिखेगा.
वर्कफोर्स और अब तक अछूते रहे पदों और दायरों में महिलाओं को शामिल करने किया जाए ताकि पुरुष उनकी मौजूदगी और भागीदारी को लेकर सहज हों. महिला आरक्षण कानून (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) भारत में 2029 से लागू होगा. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण लागू होने के बाद तस्वीर बदलने की उम्मीद तो है लेकिन कोई भी एक कदम सर्वांगीण बदलाव की बयार नहीं बहा सकता है. बता दें कि यह कानून जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया के बाद लागू होगा. यूनाइटेड नेशन्स के मुताबिक, बेल्जियम से लेकर रवांडा तक 64 देशों में भी महिला आरक्षण लागू है. रवांडा के 2003 के संविधान में निर्वाचित पदों पर महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत कोटा है. 10 साल के भीतर यह देश राजनीति में लैंगिक समानता के लिए दुनिया का अग्रणी देश बन चुका है जहां 64 प्रतिशत संसदीय सीटों पर महिलाएं हैं.
Tags: CBI investigation, Crime News, Kolkata NewsFIRST PUBLISHED : August 23, 2024, 12:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed