कैंडिडेट छोड़ नोटा पर उमड़ा वोटरों का प्यार बिहार की इस सीट पर बना रिकॉर्ड

Bihar Lok Sabha Chunav Result: चार जून को लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद नोटा ने सभी को चौंका दिया और मंथन करने पर मजबूर कर दिया. प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी को लोगों ने नोटा को अपना मत देकर इजहार किया है. पिछली 2019 के चुनाव में देशभर में सर्वाधिक नोटा को वोट गोपालगंज में मिला था, लेकिन इस बार गोपालगंज दूसरे स्थान पर रहा है.

कैंडिडेट छोड़ नोटा पर उमड़ा वोटरों का प्यार बिहार की इस सीट पर बना रिकॉर्ड
हाइलाइट्स 2019 के लोकसभा चुनावमें सर्वाधिक नोटा को गोपालगंज में मिला था वोट. देशभर में इंदौर, प्रदेश स्तर पर गोपालगंज में नोटा ने बनाया है नया रिकॉर्ड. 8797 वोट इस बार के चुनाव में कम मिला, फिर भी राज्य में रहा सर्वाधिक. गोपालगंज. बिहार के गोपालगंज सुरक्षित संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव का परिणाम सुर्खियों में रहा. पिछली बार 2019 के चुनाव की तरह इस बार भी नोटा ने रिकॉर्ड बनाया. अंतर सिर्फ इतना रह गया कि पिछली 2019 के चुनाव में देशभर में सर्वाधिक नोटा को वोट गोपालगंज में मिला था, लेकिन इस बार इंदौर ने इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया. हालांकि, नोटा ने स्टेट स्तर पर इस बार भी अपना रिकॉर्ड कायम रखा. प्रदेश भर में 40 सीटों पर नोटा को सर्वाधिक वोट गोपालगंज सीट पर मिला है. ऐसा क्यों हो रहा, किसी भी पार्टी या प्रत्याशी ने इसपर मंथन नहीं किया. चुनाव से पहले वोट बहिष्कार की खबरें इस बार भी आती रहीं. मतदान के दिन भी लोगों ने वोट का बहिष्कार किया और कई बूथों पर वोट डालने तक नहीं गए. 2019 में नोटा-51660, 2024 में नोटा-42863: प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी को लोगों ने नोटा को अपना मत देकर इजहार किया. चार जून को चुनाव परिणाम आने के बाद नोटा ने सभी को चौंका दिया और मंथन करने पर मजबूर कर दिया. हालांकि, इस बार पिछली बार के चुनाव के मुकाबले नोटा को आठ हजार 797 वोट कम मिले हैं. चुनाव परिणाम के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2024 के चुनाव में नोटा काे 42 हजार 863 वोट मिले हैं. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में नोटा को 51 हजार 660 वोट मिले थे. नोटा कब शुरू किया गया भारत में नोटा की शुरुआत 27 सितंबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद की गयी थी. इसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को दागी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने से हतोत्साहित करना था. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (इवीएम) पर “इनमें से कोई नहीं” (नोटा) का विकल्प उन मतदाताओं के लिए उपलब्ध है जो किसी भी राजनीतिक उम्मीदवार का समर्थन नहीं करना चाहते हैं. इससे उन्हें अपना निर्णय बताए बिना वोट न देने के अपने अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति मिलती है. नोटा का पहली बार प्रयोग भारत में नोटा विकल्प का पहली बार प्रयोग 2013 में चार राज्यों- छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान और मध्य प्रदे और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में किया गया था. राज्य चुनावों में 15 लाख से अधिक लोगों ने इस विकल्प का प्रयोग किया. लोकसभा चुनाव में नोटा का प्रचलन बढ़ा और 2019 में गोपालगंज में सर्वाधिक वोट नोटा को मिला था. Tags: Bihar News, Gopalganj news, Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 08:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed