NEET : सवाल रिजल्ट का नहीं बच्चों के भविष्य का है भारी है नंबर गेम

NEET UG 2024 Controversy : नीट की परीक्षा को लेकर विवाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक चला गया है. परीक्षा कराने वाली संस्था एनटीए की विश्वसनीयता आखिर यूपीएससी जैसा क्यों नहीं बन पा रही है. जबकि इसकी गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन वहीं प्रो. प्रदीप जोशी हैं जो यहां आने से पहले यूपीएससी के चेयरमैन थे. इस भारी भरकम स्वायत्तशाषी संस्था को भरोसा कायम करना होगा. क्योंकि ये जो परीक्षाएं कराती है, उन्हें पास कर ही बच्चे करियर के अनंत आकाश में उड़ान भर सकते हैं.

NEET : सवाल रिजल्ट का नहीं बच्चों के भविष्य का है भारी है नंबर गेम
हाइलाइट्स एनटीए की परीक्षाएं ही बच्चों को करियर का अनंत आकाश देती हैं. एनटीए इंजीनियरिंग के साथ डॉक्टरी और यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षाओं का भी जिम्मा NTA के पास है. जाने माने शिक्षाविद प्रदीप जोशी एनटीए के मुखिया हैं. NEET UG 2024 Controversy : NTA यानी राष्ट्रीय परीक्षण संस्थान को देश की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था माना जा सकता है. संघ लोक सेवा आयोग जरुर ब्यूरोक्रेसी में सबसे ऊंची कुर्सी पर पहुंचने वाली परीक्षाएं आयोजित कराता है. लेकिन एनटीए ही वो संस्थान है जो बच्चों के सपनों को साकार करने की परीक्षाएं लेता है. बात चाहे इंजीनियरिंग या डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले कॉलेजों में भर्ती की हो या फिर विश्वविद्यालयों में दाखिले से लेकर फेलोशिप वाली परीक्षाओं की. सबके लिए एनटीए ही जिम्मेदार है. यानी एनटीए की परीक्षाएं पास करने पर कहा जा सकता है कि आकाश अनंत है. इसी संस्था के जिम्मे वो परीक्षाएं है जिन्हें पास करके कोई बच्चा कहां तक जा सकता है, इसकी कोई सीमा नहीं है. डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिले की परीक्षा में जो विवाद हुआ है, वो NEET या नीट की परीक्षा इसी संस्था ने आयोजित की थी. पहले सीपीएमटी या पीएमटी के जरिए बच्चे मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेते थे. ये परीक्षाएं अलग अलग संस्थाओं द्वारा आयोजित की जाती थी. सीपीएमटी राज्य स्तर की होती थी और पीएमटी राष्ट्रीय स्तर की. एनटीए की भारी भरकम जिम्मेदारी बहरहाल, सरकार ने एक ही परीक्षा से देश भर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने के लिए नीट परीक्षा की व्यवस्था की. इस परीक्षा को कराने का जिम्मा भी एनटीए को सौंपा गया. परीक्षाएं लेने वाली इस संस्था का गठन केंद्र सरकार ने 2017 में किया. वैसे तो फिलहाल इसकी वेबसाइट नहीं खुल रही है. लेकिन दूसरी कोचिंग संस्थाओं की साइटों पर इसके बारे में बहुत कुछ बताया गया है. इस संस्था के उद्देश्यों में सरकारों को शिक्षा के बारे में सलाह देना भी है. जाहिर है सरकार ने इसका गठन बहुत ऊंचे अरमानों के साथ किया गया. इस संस्था के मुखिया प्रो. प्रदीप जोशी है. उनका करियर देख कर भी लगता है कि सरकार ने इस संस्था को बहुत अधिक तवज्जो दी है. पेशे से प्राध्यापक और शिक्षाविद प्रो. जोशी यहां आने से पहले संघ लोकसेवा आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं. यूपीएससी परीक्षाएं बेदाग कैसे संघ लोक सेवा आयोग यानी UPSC ऑल इंडिया लेबल की सर्वोच्च परीक्षाएं कराती है. साथ ही बड़े-बड़े ऑफिसर्स के परमोशन प्रतिन्युक्ति वगैरह की देखरेख भी करती है. दिल्ली के शाहजहां रोड स्थित आयोग के दफ्तर धौलपुर हाउस तक पहुंचने की हसरत तकरीबन सभी विद्यार्थियों की होती है. ये भी बहुत खास बात है कि इसके प्रति प्रतियोगी छात्र-छात्राओं में बहुत इज्जत है. हाल फिलहाल ऐसी कोई घटना मीडिया में नहीं आई जिससे इसकी परीक्षाओं में कोई उल्लेखनीय विवाद हुआ हो. फिर ऐसा क्यों हो रहा है कि उसी संस्था के चेयरमैन रह चुके एटीए की परीक्षाओं में विवाद के बाद विवाद आ रहे हैं. फिलहाल, जो विवाद है उसमें 24 लाख से ज्यादा बच्चों ने डॉक्टर बनने के ख्वाब देखे. परीक्षा में आवेदन किया. 24 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों ने परीक्षा दी. इनमें 67 बच्चों ने कुल पूर्णांक 720 के बराबर ही अंक हासिल किए. इस पर सवाल उठाया ही नहीं जा सकता. पहले से एक मिसाल मौजूद है. पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के लिए कहा जाता है- परीक्षार्थी परीक्षक से बेहतर है. “इक्जानी इज बेटर दैन इक्जामनर.” हालांकि ये तो प्रतियोगी परीक्षा है. बारहवी बोर्ड की परीक्षाओं में मानविकी यानी आर्ट्स के विषयों में भी पूरे पूरे नंबर बच्चे हासिल कर रहे है. लिहाजा इस गणित पर बहस की जरूरत नहीं है. …तो फिर किस बात की है लड़ाई  बहुत से लोगों को दिक्कत इस बात से हो रही है कि पूरे 720 अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों में छह विद्यार्थी एक ही केंद्र के बताए जा रहे हैं. पॉजिटिव लेते हैं. ये भी हो सकता है. हो सकता है कि बहुत ही मेधावी छात्र उसी खास इलाके से हों. अब बड़ी दिक्कत आ रही है 718 और 719 अंक पाने वाले कंडिडेट्स को लेकर. ये नंबर कैसे मिल सकते हैं. इस परीक्षा में एक सही उत्तर के 4 अंक मिलते हैं. जबकि एक गलत उत्तर के एक अंक कट जाता है. किसी ने अगर एक उत्तर गलत किया तो उसका वास्तव में 5 नंबर कम हो जाना चाहिए. एक नंबर उसे जो मिला है उसमें से कटेगा. साथ ही एक प्रश्न गलत हो जाने के कारण उसके नंबर अपने आप 4 कम हो जाएगा. यानी उसे 5 नंबर का नुकसान होगा. तो 718 या 719 नंबर कैसे मिला है. इसमें ग्रेस मार्क का क्या मसला है. किस क्राइटेरिया पर दिया गया. ये सब बच्चों को बताना होगा. एनटीए को इस सवाल को लेकर बच्चों से बात करनी चाहिए. बहुत सारे तरीके हैं. तभी उनका भरोसा बन पाएगा. वैसे भी बहानेबाज बच्चे बड़े आराम से कोई भी बहाना बना देते हैं. लेकिन अगर पूरी मेहनत साल दो साल तैयारी करके परीक्षा देने वाले बच्चे का एडमिशन नहीं होगा तो फिर नुकसान भविष्य को होगा. बाकी कोर्ट कचेहरी तो चलती रहेगी. एनटीए स्वायत्तशासी संस्था है. उसकी विश्वसनीयता ज्यादा जरूरी है. ये भी पढ़ें  NEET Exam 2024: नीट में धांधली के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त, परीक्षा पास करने वाले स्टूडेंट्स का क्‍या होगा? Tags: Education news, Neet exam, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 16:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed