लल्लीमल की हवेली: लंदन से आई टीन की चादर पत्थर भी नायाब हर मौसम एक सा तापमान
लल्लीमल की हवेली: लंदन से आई टीन की चादर पत्थर भी नायाब हर मौसम एक सा तापमान
पुरानी दिल्ली की हवेलियों की दास्तां में आज बात करते हैं कूंचा पातीराम, सीताराम बाजार की लाला लल्लीमल की हवेली की. इसकी खासियत यह है कि वास्तुकला ऐसी है कि हर मौसम में एक सा तापमान रहता है. टीन की चादर विदेश से मंगवाई गयी थीं. विस्तार से जानें इस हवेली के संबंध में.
नई दिल्ली. पुरानी दिल्ली की हर हवेली कोई न कोई कहानी बयां कर रही है. चांदनी चौक की सीताराम बाजार से जाने वाली हर गली में आपको 100 से 200 साल पुरानी हवेलियों के दीदार हो जाएंगे. ऐसी ही एक हवेली कूंचा पातीराम, सीताराम बाजार में लाला लल्लीमल की हवेली है. यह हवेली भी 200 साल पुरानी बताई जाती है. खास बात यह है कि इतना समय बीत जाने के बाद हवेली निर्माण के समय लगाई सभी चीजें जस की तस हैं. आइए जानें इस हवेली की खासियत-
सीताराम बाजार से कूंचा पातीराम की ओर बढ़ेंगे तो आपको एक पुरानी हवेली दिख जाएगी. यह हवेली भले ही दूसरी हवेलियों की तरह विशाल न हो लेकिन इसका वास्तुकला आपको दूर से ही आकर्षित करेगी. इस हवेली को देखकर हम भी रुक गए. बाहर एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठे थे. पूछने पर अपना नाम शांति स्वरूप खांडेलवाल बताया और उम्र 94 साल बताई. उन्होंने बताया कि यह हवेली लाला लल्लीमल की है और वो उनकी तीसरी पीढ़ी हैं. हवेली के मालिक की तीसरी पीढ़ी के 94 साल के शांति स्वरूप. जानकारी देते हुए.
200 साल से ज्यादा पुरानी है हवेली
शांति स्वरूप बताते हैं कि यह हवेली करीब 200 साल पुरानी है. हालांकि उनके पास इसका कहीं लेखा तो नहीं है, लेकिन दादा द्वारा बताए गए निर्माण के समय के अनुसार इसको 200 साल के आसपास हो गए हैं. पूरी इमारत पतली ईंटों की बनी है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है, इसको बनने में सालों लगे होंगे.
हर मौसम में तापमान एक जैसा
इस हवेली की खासियत यह है कि हर मौसम में तापमान एक जैसा रहता है. इसकी वजह यह है कि इसमें हर कमरे में आठ-आठ दरवाजे हैं. सभी दरवाजे खोलने के बाद चारों तरफ से हवा आती थी, इस तरह गर्मियों में ठंडा रहता था. सर्दियों में कमरे में बैठकर धूप सेंक सकते हैं. वहीं, बारिश में कमरे में बैठकर मौसम का आनंद लिया जा सकता था. शांति स्वरूप ने बताया कि वे बेटे और पोतों के साथ यहां रहते हैं. हवेली को मौसम के अनुकूल बनाने के लिए हर कमरे में आठ – आठ दरवाजे हैं.
लंदन से मंगवाई टीन की चादर
लाला लल्लीमल रसूख और अमीरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निर्माण में इस्तेमाल की गयी चीजें सात समुंदर पार से मंगाई गयी थीं. वे बताते हैं कि छज्जे में लगी टीन की चादर उन्हीं में से एक है. इसे लंदन से मंगाया गया था. खास बात यह है कि यह चादर लोहे के अलावा तांबा, पीतल, अल्यूमिनियम समेत कई धातुओं से बनी है, इस वजह से आज भी वैसे की वैसी है. कई अन्य चीजें बाहर से आयी थीं.
पत्थर भी हैं नायाब
घर के बाहर लगे लाल पत्थर ही नायाब हैं. इन पत्थरों को इस तरह लगाया गया है कि जब चाहो हटा लो और दोबारा फिर लगा दो. इन्हें लगाने में सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इस वजह से निकालने में टूटते नहीं हैं. बाहर से लाकर इनको असेंबल किया गया है.
दिल्ली से कराची तक फैला था हार्डवेयर का कारोबार
शांति स्वरूप बताते हैं कि उनके दादा लल्लीमल का हार्डवेयर का कारोबार था, जो दिल्ली से लेकर कराची तक पूरे देश में फैला था. वे दिलली के बड़े कारोबारी में शुमार थे. यही वजह है कि हवेली निर्माण में उन्होंने विदेशों से सामान मंगाया था.
Tags: Gumnam Dastan, New Delhi newsFIRST PUBLISHED : October 19, 2024, 06:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed