धरती का ये हिस्सा हवाई यात्रा के लिए खतरनाक…टर्बुलेंस के आंकड़े चौंका देंगे
धरती का ये हिस्सा हवाई यात्रा के लिए खतरनाक…टर्बुलेंस के आंकड़े चौंका देंगे
Air Turbulence Reason: एयर टर्बुलेंस की घटनाएं कुछ सालों में तेजी से बढ़ी हैं. बीते महीने मलेशिया एयरलाइंस एयर टर्बुलेंस का शिकार हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में यात्री घायल हो गए थे. मन में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ये टर्बुलेंस होते क्यों हैं. इनकी वजह क्या है. आइये हम आपको इनके बारे में बताते हैं.
हाइलाइट्स मलेशिया एयरलाइंस का विमान बीते महीने एयर टर्बुलेंस का शिकार हुआ. पहले भी कई आसमान में अचानक तेजी से कई विमान नीचे की ओर आए हैं. एयर टर्बुलेंस की पहली सुलझा लेने का दावा रिसर्चर्स ने किया है.
नई दिल्ली. क्या आपको भी अक्सर अपने व्यापार व अन्य काम के लिए अक्सर फ्लाइट में सफर करना पड़ता है? अगर ऐसा है तो इस खबर को एक बार आप जरूर पढ़ लीजिए. हाल के एक शोध में यह खुलासा हुआ है कि 1980 से 2021 के बीच पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध यानी नॉर्दर्न हेमिस्फीयर में सबसे ज्यादा एयर टर्बुलेंस की घटनाएं सामने आई हैं. एयर टर्बुलेंस वो स्थिति होती है जब विमान हवा में उड़ते वक्त अचानक अनियंत्रित हो जाता है. पायलट का उसपर से कुछ समय के लिए कंट्रोल छूट जाता है और वो तेजी से नीचे की ओर गिरने लगता है.
यहां यह भी जानना जरूरी है कि भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित उत्तरी गोलार्ध में दुनिया की 90 प्रतिशत आबादी रहती है. यहां पृथ्वी की अधिकांश भूमि शामिल है। ऐसे में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले यहीं सबसे ज्यादा कमर्शियल फ्लाइट उड़ना लाजमी है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक रिसर्च के दौरान पता चला है कि 1980 से 2021 के बीच विमानों द्वारा नॉर्दर्न हेमिस्फीयर में साफ हवा में एयर टर्बुलेंस का अनुभव करने की घटनाओं में 60-155 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
यह भी पढ़ें:- ममता बनर्जी ने दिल्ली दौरा कर दिया था कैंसल, पर किसके कहने पर नीति आयोग की बैठक में शामिल होंगी CM
साफ हवा में टर्बुलेंस ज्यादा…
रिसर्चर्स का मानना है कि जैसे ही वातावरण गर्म होता जाता है, नॉथ-मिड एल्टीट्यूड रीजन में अदृष्यि व अप्रत्याशित एयर टर्बुलेंस भी बढ़ जाता है. इसकी वजह से एविएशन सेक्टर प्रभावित होता है. रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि ऊपरी क्षोभमंडल (Upper troposphere) में तेज गति से चलने वाली पश्चिम से पूर्व की ओर हवा की धाराओं या ‘जेट स्ट्रीम’ के पास साफ हवा में टर्बुलेंस देखी जाती है. पृथ्वी के इसी हिस्से में सबसे ज्यादा कमर्शिलय फ्लाइट उड़ती हैं.
ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ी घटनाएं…
ऐसी जेट धाराओं से गुज़रने वाले विमानों को “अस्थिर, ऊपर की ओर बढ़ने वाली हवा के स्पाइक्स” का अनुभव हो सकता है, जिसे वर्टिकल विंड शियर कहा जाता है, जिससे टर्बुलेंस पैदा होता है. ब्रिटेन के रीडिंग विश्वविद्यालय के रिसर्चर के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने बताया कि गर्म जलवायु में, वायुमंडल में ऊर्जा अधिक होगी, जिससे जेट धाराओं की गति और ऊर्ध्वाधर पवन (Vertical wind) कतरने की संख्या में इजाफा होगी. इसका मतलब यह है कि ग्लोबल वार्मिंग के प्रत्येक डिग्री के साथ, विमानों के स्पष्ट वायु अशांति का सामना करने की संभावना बढ़ जाएगी.
Tags: Aviation News, Plane Crash, Science newsFIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 20:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed