देवशयनी एकादशी पर बन रहे 3 अद्भुत संयोग शुभ मुहूर्त को दूर करें कंफ्यूजन
देवशयनी एकादशी पर बन रहे 3 अद्भुत संयोग शुभ मुहूर्त को दूर करें कंफ्यूजन
भक्तों को इस बार एकादशी तिथि को लेकर काफी कंफ्यूजन है तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि कब है देवशयनी एकादशी क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि .
अयोध्या: सनातन धर्म में एकादशी तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है साल में 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है प्रत्येक एकादशी का महत्व अलग-अलग होता है. एकादशी की तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से भगवान विष्णु अपने भक्तों पर विशेष कृपा दृष्टि भी रखते हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में पढ़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं. है. कहा जाता है कि इस एकादशी पर भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीने के लिए शयन करने जाते हैं. और फिर देवउठनी एकादशी पर शयन करके वापस लौटते हैं ऐसे में इस एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है. देवशयनी एकादशी के बाद से ही नामकरण विवाह और गृह प्रवेश जैसे कार्य नहीं किए जाते. भक्तों को इस बार एकादशी तिथि को लेकर काफी कंफ्यूजन है. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि कब है देवशयनी एकादशी, क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि .
शुभ मुहूर्त कब
दरअसल अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हिंदू पंचांग के मुताबिक आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 16 जुलाई को रात्रि 8:23 से हो रहा है. और इस तिथि का समापन 17 जुलाई रात 9:01 पर होगा ऐसी स्थिति में उदया तिथि के मुताबिक देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु के पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:34 से लेकर 11:00 तक रहेगा.
अद्भुत संयोग का निर्माण
इस बीच भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है. इसके अलावा इस दिन कई अद्भुत संयोग का निर्माण भी हो रहा है. जिसमें सर्वार्थ सिद्धि योग,अमृत सिद्धि योग ,शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है.
पूजा विधि
एकादशी तिथि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. पूजा करने के लिए एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. भगवान विष्णु को पीला फूल फल पीला वस्त्र और चंदन आदि अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा पूजन सामग्री में पान सुपारी तुलसी के पत्ते दीप और धूप आदि अर्पित करना चाहिए. पूजा संपन्न होने के बाद देवशयनी एकादशी की कथा पढ़नी चाहिए और बाद में आरती करनी चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती हैं.
Tags: Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 09:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed