जिसका मन किया खोल लिया कोचिंग अब सरकार पकड़ने वाली है गर्दन
जिसका मन किया खोल लिया कोचिंग अब सरकार पकड़ने वाली है गर्दन
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के बाद केंद्र सरकार भ्रामक विज्ञापनों और कोचिंग सेंटर के झूठे दावों को लेकर एक और नया कानून लाने जा रही है. उपभोक्ता मंत्रालय का कहना है कि सरकार जल्द ही दिशा-निर्देशों को लागू कर देगी. जानें क्या है यह कानून और कोचिंग संस्थानों पर कितना असरदार होगा.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार भ्रामक विज्ञापनों और कोचिंग सेंटर के झूठे दावों को लेकर एक नया कानून लाने जा रही है. उपभोक्ता मंत्रालय का कहना है कि सरकार जल्द ही दिशा-निर्देशों को लागू कर देगी. मौदी सरकार के सौ दिन की उपलब्धियां गिनाते हुए उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा है कि सरकार जल्द ही छद्म विज्ञापनों पर लगाम लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगी. खरे के मुताबिक, ‘कोचिंग उद्योगों की वजह से छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. इसको सरकार गंभीरता से ली है. इसके लिए जल्द ही दिशा-निर्देशों को अंतिम रुप देने के लिए सुझाव और परामर्श लिए जा रहे हैं. इसको पूरा करने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा.’
बता दें कि देश में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 में भ्रामक विज्ञापनों के लिए भी कठोर बनाए गए थे. लेकिन, कोचिंग संस्थानों ने इसका तोड़ निकाल लिया था. ऐसे में तकरबीन 5 साल बाद एक बार फिर से आम उपभोक्ताओं खासकर भ्रामक विज्ञापनों के लिए नया कानून आने जा रहा है. दरअसल, यूपीएससी, आईआईटी और नीट जैसे परीक्षाओं को पास कराने के नाम पर देशभर के लाखों कोचिंग संस्थान भ्रामक विज्ञापन देकर छात्रों को फंसाते हैं.
कोचिंग संस्थानों के लिए आ रहा है नया कानून
हाल के दिनों में भ्रामक विज्ञापन देकर छात्रों की चूना लगाने की कई घटनाओं के बाद मोदी सरकार ने अब इसके लिए एक नया कानून बनाने जा रही है. यह कानून छत्रों के हितों की रक्षा करेगी ही साथ ही लाखों रुपये ठगने वाले कोचिंग संस्थानों पर भी नकेल कसेगा. देश नए कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 में 6 महीने से लेकर 5 साल तक की सजा के प्रावधान किए गए हैं. लेकिन, अगर अपराध गंभीर हैं और उससे किसी व्यक्ति की जान-माल का नुकसान होता है तो बीएनएस एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा.
भ्रामक विज्ञापन देकर पैसा नहीं कमाने वालों की खैर नहीं
सूत्रों की मानें तो नए कानून में भ्रामक विज्ञापन में अगर झूठे दावा किए गए हैं तो अब उसका प्रचार-प्रचार किसी भी प्लेटफॉ़र्म नहीं किया जाएगा. अगर ऐसे विज्ञापनो को दिखाया जाता है तो संबंधित संस्थान और मालिक दोनों पर अब कार्रावई होगी. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में सिर्फ प्रचार करने वालों पर यह कानून लागू था.
झूठी जानकारी देना अब अपराध
आपको बता दें कि उपभोक्ताओं को गलत जानकारी देकर उनको जाल में फंसाया जाता है. खास बात यह है कि इसमें उत्पाद की खासियतें, फायदों और उसके असर के बारे में झूठे दावे किए जाते हैं. भ्रामक विज्ञापनों में मूल्य निर्धारण या समर्थन के बारे में भी झूठी जानकारी दी जाती है.
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टेलीविजन, रेडियो, या अन्य किसी इलैक्ट्रॉनिक मीडिया, समाचारपत्रों, बैनरों, पोस्टरों, हैंडबिलों, दीवारों पर लिखकर इत्यादि माध्यमों से वस्तुओं, सेवाओं अथवा वाणिज्यिक गतिविधियों की प्रकृति, विशिष्टताओं, गुणों अथवा भौगोलिक मूल भ्रामक विज्ञापन टेलीविज़न, रेडियो, समाचारपत्र, बैनर, पोस्टर, हैंडबिल, दीवारों पर लिखकर, आदि कई माध्यमों से किए जा सकते हैं. भ्रामक विज्ञापनों से जुड़ी शिकायतें भारतीय विज्ञापन मानक परिषद या उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत गठित उपभोक्ता आयोग और मंचों में की जा सकती हैं. अगर किसी उपभोक्ता को भ्रामक विज्ञापन से शारीरिक, मानसिक, या आर्थिक नुकसान होता है, तो वह न्यायालय में शिकायत दर्ज करा सकता है.
Tags: Coaching class, IAS exam, IPS Officer, UPSCFIRST PUBLISHED : September 24, 2024, 19:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed