नए सेना चीफ उपेंद्र द्विवेदी के सामने बहुत चुनौती इस एरिया पर रहेगा फोकस

New Army Chief: बतौर नॉर्दर्न आर्मी कमॉडर सेना प्रमुख ने ज़मीनी हालात को बेहतर तरीके से महसूस किया है तो उनके सामने एक बाड़ी चुनौती होगा की जम्मू कश्मीर में आने वाले दिनों होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले और उस दौरान पाकिस्तान की साज़िश को पूरी तरह से लगाम लगाना.

नए सेना चीफ उपेंद्र द्विवेदी के सामने बहुत चुनौती इस एरिया पर रहेगा फोकस
नई दिल्ली: देश को जनरल उपेंद्र द्विवेदी के तौर पर सेना का तीसवां प्रमुख मिला. 30 जून को उन्होंने अपना पदभार ग्रहण किया. उनकी ज़िम्मेदारी है जनल मनोज पांडे के काम को आगे बढ़ाना है, जिसमें सबसे पहले हैं भारतीय सेना को आत्मनिर्भर के तहत आधुनिकरण करना. रविवार को सेना प्रमुख का पदभार लेने के बाद सोमवार को थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी सबसे पहले नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचे और वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद थलसेना प्रमुख को बतौर सेना प्रमुख साउथ ब्लॉक लॉन में गार्ड ऑफ आनर दिया गया. सेना के सर्व धर्म परम्परा के तहत धर्म ग़ुरूओं ने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को एक लकड़ी का बॉक्स सौंपते हुए शुभकामनाएं दी. लकड़ी का जो बॉक्स दिया जिसमें सर्व धर्म पुस्तक रखी गई थी जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई और बौद्ध धर्म ग्रंथ की प्रतियां थी. उस बॉक्स के उपर अग्रिम 18 लिखा था. पढ़ें- Parliament Session 2024 LIVE: राहुल के हिंदू वाले बयान पर लोकसभा में बवाल, BJP की मांग- माफी मांगे… चूंकि जनरल उपेंद्र द्विवेदी 18 जम्मू कश्मीर रायफ़ल्स में कमिशन हुए थे जो. बतौर सेना प्रमुख अपने पहले संबोधन में जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि मैं देश और भारतीय नागरिकों को विश्वास दिलाता हूं. कि भारतीय सेना हर चुनौतियों का सामना करने के लिए पूर्णतः सक्षम और तैयार है इसके अलावा उन्होंने मौजूदा वैश्विक हालातों और उसके बदलाव पर भी कहा कि आज वैश्विक समीकरण बदल रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान दौर की लड़ाईयां नया रूप ले रही है. हमें न केवल इस दिशा में अग्रसर रहने की ज़रूरत है बल्कि सैनिक को अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर युद्ध पद्धति और रणनीति को बेहतर करने की ज़रूरत है. आज भारतीय थलसेना आधुनिकरण के पथ पर अग्रसर है. उस दिशा में आत्मनिर्भरता को पूर्णतः हासिल करने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है और आत्मनिर्भरता को और ज़्यादा से ज़्यादा स्वदेशी वॉर सिस्टम को सेना में शामिल करेंगी. मेरी प्रयास रहेगा कि तीनों सेना के बीच सिनर्जी और समन्वय के साथ कॉफ्लिकट के समय में फुल स्पैक्ट्रम के साथ सदैव तत्पर रहे. इससे भारत के राष्ट्रहितों को सुरक्षित किया जा सकेगा और हम विकसित भारत 2047 के विकसित भारत की स्तंभ बन सकेंगे. चीन पाकिस्तान की साज़िशों से निपटना भारत एक दो पड़ोसी से घिरा है जो कि लगातार भारत के खिलाफ साज़िश रचते रहे हैं. हालांकि सीमाओं यानी की पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा, पीओके से लगती LOC और चीन के क़ब्ज़े वाले तिब्बत के से लगती LAC पर हालात फ़िलहाल शांत है लेकिन चुनौतियों अभी भी बनी हुई है. पाकिस्तान एक बार फिर से जम्मू कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहा है. कई साल से आंतकवादी गतिविधियों से शांत रहे जम्मू को फिर से एक्टिव किया गया और हमलों को बढ़ाया गया. बतौर नॉर्दर्न आर्मी कमॉडर सेना प्रमुख ने ज़मीनी हालात को बेहतर तरीके से महसूस किया है तो उनके सामने एक बाड़ी चुनौती होगा की जम्मू कश्मीर में आने वाले दिनों होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले और उस दौरान पाकिस्तान की साज़िश को पूरी तरह से लगाम लगाना. जिस तरह से कश्मीर में सभी सुरक्षा एजेंसियों और लोकल इंटेलिजेंस के साथ मिलकर काम आतंकवाद का सिर कुचला उसी तर्ज़ पर इंटेलिजेंस को मज़बूत कर जम्मू में उठते इस आतंकवाद के फ़न को कुचलना होगा. वहीं चीन अब भी LAC के पास बना हुआ है उसे के चलते भारतीय सेना ने भी अपनी तौनाती को मिरर डेप्लायमेंट किया हुआ है. यानी जितनी तैनाती चीनी पीएलए की उतनी ही भारतीय सेना की. विषम परिस्थितियों और माइनस तापमान में भारतीय सैनिकों की तैनाती को साल भर चौबीस घंटे तैनात रखने के लिए पहले ही इंचजाम किए गए हैं और इसे लागातार बनाए रखने और सुविधाओं में किसी तरह की कमी न होने देना सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी साथ ही तीनों कमांड यानी की पाकिस्तान से लगती वेस्टर्न कमांड और चीन से लगती नॉर्दर्न और इस्टर्न कमांड पर होगी. विकसित भारत 2047 तक सेना को आत्मनिर्भर बनाना अभी तक तो भारतीय सेना विदेशों से लिए गए हथियारों के ज़रिए अपनी सीमाओं की रक्षा करती रही है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के तहत सेना के आधुनिकीकरण को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है. युद्ध जैसी स्थिति में हथियारों के लिए दूसरे देशों पर से निर्भरता कितना हानिकारक हो सकती है ये रूस यूक्रेन और इजरायल हमास की जंग से पता लग गया. भारतीय थलसेना के पास सबसे ज़्यादा हथियार सोवियत काल या उसके विघटन के बाद रूस और यूक्रेन वाले हैं और दोनों के बीच मौजूदा जारी जंग से ये सीख मिली कि आत्मनिर्भरता कितनी ज़रूरी है. क्योंकि इस जंग के चलते कई उपकरण और उनके पार्ट की सप्लाई बाधित हुई थी. थलसेना प्रमुख ने अपने संबोधन में ये साफ़ भी कर दिया उन्होंने कहा कि भारतीय थलसेना आधुनिकरण के पथ पर अग्रसर है उस दिशा में आत्मनिर्भरता को पूर्णतः हासिल करने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है और आत्मनिर्भरता को और ज़्यादा से ज़्यादा स्वदेशी वॉर सिस्टम को सेना में शामिल करेंगी. अग्निपथ में बदलाव की चुनौती अग्निपथ का पहला बैच जनरल उपेंद्र द्विवेदी के सेना प्रमुख रहते हुए निकलेगा. 2022 में सेना में भर्ती की प्रक्रिया बदली और अग्निपथ स्कीम के तहत अग्निवीरों की भर्ती हो रही है और अभी तक के प्रावधान के मुताबिक़ चार साल पूरा होने से पहले 25 पर्सेंट अग्निवीरों को परमानेंट होने का विकल्प दिया जाएगा, चूकी जिस दिन इस स्कीम को लागू किया गया तब ये बात भी रक्षा मंत्रालय की तरफ से कही गई थी कि समय समय पर इसको रिव्यू किया जाएगा और कोई परिवर्तन करना हो तो उसे भी किया जाएगा. अग्निपथ स्कीम को लागू हुए डेढ साल का वक्त हो चुका है और इन डेढ़ साल में इस स्कीम को रिव्यू किया जा रहा है. इस अग्निपथ स्कीम और अग्निवीर को लेकर राजनीति भी जारी है. लिहाजा पहले बैच के बाहर निकलने से पहले ही अगर कोई बदलाव किया तो वो किए जाने की चुनौती सेना प्रमुख पर भी होगी. नई तकनीक से सेना को लेस करना आज की लड़ाई तकनीक और क्रिटिकल एम्युनिशन पर आधारित है. जिसकी तकनीक सबसे बेहतर होगी युद्ध में उसका पलड़ा भारी रहेगा. चीन अपनी आधुनिक तकनीक से खुद को भी लेस कर रहा है और पाकिस्तान की ताक़त को भी बढ़ा रहा है. तो भारतीय सेना भी अपने को आधुनिक बाना रही है. अपने नॉर्दर्न कमांड के कमांडर के कार्यकाल के दौरान जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने दुश्मन को मार गिराने के लिए नए सटीक आर्टलरी के गोले, कई तरह के आधुनिक ड्रोन, लॉयट्रिंग एम्यूनेशन, नेक्स्ट जेनरेशन बियॉन्ड द लाईन ऑफ़ साईट मिसाइल, एंटी-ड्रोन सिस्टम को सेना में शामिल मे काम करने की योजना पर काम किया. साथ ही हाई ऑलटिट्यूड में इस्तेमाल में लाए जाने वाले टैंक और अन्य उपकरणों को शामिल कर सेना को जल्द ताकतवर बनाने की योजना को तेज़ी से बढ़ाने के अपने काम को बतौर सेना प्रमुख आगे बढ़ाना है जितनी भी क्रिटिकल एम्युनिशन की ज़रूरत है और कमी है उसे आत्मनिर्भरता के तहत पूरा करना ज़िम्मेदारी होगी. इसके अलावा अपनी स्ट्रैटजिक सपोर्ट फोर्स यानी साइबर और स्पेस को भी रीस्ट्रक्चरिंग की प्रक्रिया के तहत मज़बूत करना होगी. Tags: Indian armyFIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 15:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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