झारखंड: इस जिले में जहरीले सांप बरपा रहे कहर झाड़ फूंक के चक्कर में जान गंवा रहे लोग

Simdega News: सिमडेगा जिले में जंगलों व पहाडों से घिरे ग्रामीण इलाकों में इन दिनों जहरीले सांपों के जहर के कहर से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. सर्पदंश के बाद ओझागुणी के झाड़फूंक के चक्कर में फंसकर लोगों की जान चली जा रही है. जिले में सांपों के जहर का कहर चिंता का विषय बनता जा रहा है. सिमडेगा सदर अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार पिछले 14 महीने में सिर्फ सदर अस्पताल में 132 सर्पदंश के केस आए हैं जिनमें से 14 लोगों की मृत्यु हुई है. ये आकंडे सिर्फ सदर अस्पताल के हैं.

झारखंड: इस जिले में जहरीले सांप बरपा रहे कहर झाड़ फूंक के चक्कर में जान गंवा रहे लोग
रिपोर्ट- श्रीराम पुरी सिमडेगा. जंगलों पहाडों के बीच बसे सिमडेगा के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों जहरीले सांपों का आतंक छाया है. भीषण गर्मी के बाद बारिश होते ही जमीन के अंदर घुसे हुए सांप बाहर निकल आते हैं और बाहर की गर्मी से बचने के लिए ये सांप लोगों के घरों में भी घुस जाते हैं. ग्रामीण इलाकों में इन दिनों अक्सर बडे बडे जहरीले सांप निकल कर लोगों के घरों तक पंहुच रहे हैं. इन विषधरों से अंजान लोग बेवजह इनके डंक का शिकार हो जाते हैं. दरअसल, सिमडेगा के ग्रामीण इलाको में अधिकांश घर कच्चे और खपड़ों के होते हैं जहां असानी से सांप घुस जाते हैं. बरसात के शुरूआती दिनों में उमस भरी गर्मी भी होती है. इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग जमीन पर सोते हैं. सांप इनके बिस्तर पर चढ़कर इन्हें डंस लेते हैं. सिमडेगा सदर अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार पिछले 14 महीने में सिर्फ सदर अस्पताल में 132 सर्पदंश के केस आए हैं जिनमें से 14 लोगों की मृत्यु हुई है. ये आकंडे सिर्फ सदर अस्पताल के हैं. पूरे जिला का आकंडा इससे अधिक है. इन आंकडों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां जहर का कहर कितना हावी है. ये तो वे मामले हैं जो अस्पताल पंहुचते हैं. सिमडेगा में सर्पदंश के बाद मौत के बढ़ते मामलों के पीछे अंधविश्वास भी एक सबसे बडा कारण है. यहां तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति यह है कि जब लोगों को सांप डंसता है तो लोग पहले झाड़ फूंक करवाते हैं. ग्रामीण को कई बार दावा करते हैं कि झाड़ फूंक से ही जान बचेगी. जब मामला बिगडता दिखता है तो लोग मरीज को अस्पताल आते हैं. इस चक्कर में कभी कभी देर हो जाने के कारण सर्पदंश के मरीज की मौत भी हो जाती है. कई मामले तो डर के कारण भी सरकारी रिकार्ड में नहीं आते हैं. ओझागुणी अपने सब्जबाग से लोगों के दिलो दिमाग पर इस तरह कब्जा जमा लेते हैं कि लोग झाड फुंक के बाद मृत हो जाने पर मरीज का पोस्टमार्टम तक नहीं कराना चाहते. मिली जानकारी के अनुसार ओझा गुणी इन ग्रामीणों के दिमाग में ये बात बिठा देते हैं कि सांप ईश्वर के प्रकोप के कारण डंसता है. मौत होने पर शरीर में चीरा लगेगा तो मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी. यही कारण है कि लोग पोस्टमार्टम से भी दूर भागते हैं. पिछले कई केस ऐसे हीं सामने आए हैं जहां सर्पदंश से मृत लोगों का पोस्टमार्टम कराने के लिए पुलिस प्रशासन को लोगों की विरोध का भी सामना करना पडा है. बता दें कि ठेठईटांगर थाना क्षेत्र के ताराबोगा गौरीडुबा गांव में दो बर्ष पूर्व एक साथ जमीन में सोई तीन बच्ची सर्पदंश का शिकार हो गई थी. झाड़ फूंक के कारण तीनों ने दम तोड दिया था. इसके बाद भी मृत बच्चियों को झाड़ फूंक करने वाले फिर से जीवित करने का दावा करते हुए ओड़िसा ले जाने की जिद पर अड़े थे. उस वक्त ठेठईटांगर पुलिस को ग्रामीणों के काफी विरोध का सामना करते हुए बच्चियों का पोस्टमार्टम कराना पड़ा था. पिछले वर्ष भी जलडेगा में दो तीन सर्पदंश के मामलों में ओझागुणी के चक्कर में पुलिस और प्रखंड प्रशासन को लोगों का विरोध झेलना पडा था. बीते शुक्रवार का ही मामला है जब बानो में सर्पदंश से एक 13 वर्षीय बच्ची की मौत झाडफूंक के चक्कर में हो गई. बच्ची का पोस्टमार्टम कराने में बानो पुलिस को काफी विरोध का सामना करना पडा। इसी तरह के कई मामले हैं जहां ओझा गुणी प्रशासन पर हावि होने लगते हैं. सिमडेगा सिविल सर्जन डॉक्टर पीके सिन्हा ने भी जिले में सर्पदंश के अधिक मामलों पर कहा कि ओझाओं के चक्कर में लोग इलाज के लिए देर से पंहुचते हैं, कई बार तो लोग अस्पताल तक भी नहीं पंहुच पाते और झाड़ फूंक के चक्कर में जान गंवा देते हैं. सिविल सर्जन ने बताया कि दो वर्ष पूर्व जिले में ओझागुणी के खिलाफ स्पेशल अभियान चलाया गया था जिसमें ओझाओं को चिन्हित करते हुए कार्रवाई की जाती थी. एक बार फिर से ओझागुणी की खिलाफ उसी तरह की ड्राइव चलाने की आवश्यकता है. सिविल सर्जन ने लोगों से अपील की है कि लोग ओझागुणी के चक्कर में न पड़ें और सर्पदंश के मामले होने पर जल्द से जल्द नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचें. उन्होने बताया कि सदर अस्पताल के साथ-साथ जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में सर्पदंश की दवा उपलब्ध है. सर्पदंश की घटना के बाद लोग समय पर अस्पताल पंहुच जाएं तो शायद मृत्यु के आकंडो में कमी आ सके. लोगों से हमारी भी अपील है कि सर्पदंश का इलाज झाड़ फूंक नहीं है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Cobra snake, Jharkhand newsFIRST PUBLISHED : June 26, 2022, 11:19 IST