बीजेपी में बेटा बहू भाई और बीवी की एंट्री नाराज नेताओं ने बढ़ाई टेंशन
बीजेपी में बेटा बहू भाई और बीवी की एंट्री नाराज नेताओं ने बढ़ाई टेंशन
Jharkhand Election: झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे अधिक खतरा अपने ही लोगों से है. जो कल तक भाजपा के साथ थे, उनके पाला बदलने या बगावती तेवर अख्तियार करने से भाजपा के सामने अंतर्कलह की समस्या पैदा हो गई है. भाजपा छोड़ जेएमएम के साथ गईं लुइस मरांडी अब जामताड़ा से अपनी पुरानी पार्टी की प्रत्याशी सीता सोरेन का मुकाबला करेंगी तो जमुआ से केदार हाजरा भाजपा कैंडिडेट को चुनौती देंगे. भाजपा से बागी होकर संदीप वर्मा रांची से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं.
रांची. राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद की विरोधी भाजपा झारखंड विधानसभा में अपने उसूलों से भटक गई. पार्टी ने परिवारवाद पर दिल खोलकर भरोसा किया है. किसी ने अपने बेटे के लिए टिकट लिया, तो किसी ने बीवी और बहू के लिए… एक ने तो अपने भाई को ही टिकट दिलाने में कामयाबी हसिल कर ली. भाजपा ने इस बार कई ऐसे लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिनका राजनीतिक जीवन में पहली बार प्रवेश हो रहा है. टिकट पाने वाले इन लोगों को इससे पहले कभी किसी ने पार्टी के कार्यक्रमों या बैठकों में हिस्सा लेते देखा या सुना नहीं था. परिवारवाद तो इंडिया ब्लॉक की झारखंड में अग्रणी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में भी जबरदस्त है, लेकिन इस पर किसी को आश्चर्य नहीं होता. इसलिए कि ऐसी पार्टियों का आरंभ से ही यही चरित्र रहा है.
भाजपा नेताओं के परिजनों का पॉलिटिक्स प्रेम
वैसे तो भाजपा उम्मीदवारों की लिस्ट में इस बार पांच पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों के नाम हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा तीन नामों की है. इनमें मीरा मुंडा, पूर्णिमा दास, बाबूलाल सोरेन शामिल हैं. मीरा मुंडा पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी हैं. गीता कोड़ा पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी हैं. पूर्णिमा दास पूर्व सीएम और संप्रति ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू हैं. बाबूलाल सोरेन पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के पुत्र हैं. पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को भी सांसदी का चुनाव हारने के बाद इस बार भाजपा ने विधानसभा का टिकट दिया है. धनबाद से भाजपा सांसद ढुलू महतो भी अपने भाई शत्रुघ्न महतो को टिकट दिलाने में कामयाब रहे.
JMM तो पहले से परिवारवाद के लिए बदनाम
इंडिया ब्लॉक का झारखंड में नेतृत्व करने वाला जेएमएम तो पहले से ही परिवारवाद के लिए बदनाम रहा है. वैसे यह बात सिर्फ जेएमएम पर ही लागू नहीं होती. आमतौर पर क्षेत्रीय दलों के सुप्रीमो परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए बदनाम रहे हैं. बिहार में लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली आरजेडी को ही देख लीजिए. लालू प्रसाद यादव ने जनता पार्टी और जनता दल के बाद अपनी अलग पार्टी आरजेडी बनाई तो पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बनाकर राजनीति में प्रवेश कराया. बाद में बेटी मीसा भारती आईं. अब तो दोनों बेटे- तेजस्वी यादव और तेज प्रताप याद भी राजनीति में हैं. लालू ने एक और बेटी रोहिणी आचार्य को राजनीति में उतार दिया है. रोहिणी इस बार लोकसभा चुनाव में दमदार ढंग से उतरी थीं. हालांकि उन्हें कामयाबी नहीं मिली.
झारखंड में शिबू सोरेन की पार्टी जेएमएम में उनके बेटे हेमंत सोरेन के अलावा बहू सीता सोरेन की भी एंट्री हो चुकी है. छोटे बेटे बसंत सोरेन पहले से ही राजनीति में हैं. बड़े दिवंगत बेटे बसंत सोरेन की पत्नी सीता सोरेन को भी शिबू सोरेन ने राजनीति में प्रवेश कराया था. पर, अब वे जेएमएम के बजाय भाजपा का हिस्सा हैं और इस बार भाजपा ने उन्हें जामताड़ा से उम्मीदवार बनाया है.
टिकट न मिलने से नाराज होकर बने हैं बागी
भाजपा में परिवारवाद को लेकर भारी असंतोष है. टिकट न मिलने से नाराज भाजपा नेताओं ने पार्टी को बाय बोलना शुरू कर दिया है. ऐसे नेताओं में कुछ ने जेएमएम के साथ जाने का फैसला किया तो कुछ बागी होकर ताल ठोंक रहे हैं. भाजपा में इसे लेकर परेशानी बढ़ गई है. असंतोष पर काबू बपाने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बीएल संतोष को झारखंड भेजा था. उन्होंने भी पार्टी नेताओं को सलाह दी है कि वे नाराज नेताओं से मिलकर उन्हें मनाने का प्रयास करें. भाजपा को सबसे बड़ा झटका लुइस मरांडी ने दिया है. वे दुमका से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती थीं. पार्टी ने सुनील सोरेन को उम्मीदवार बना दिया. नाराज होकर उन्होंने ढाई दशक बाद भाजपा छोड़ जेएमएम का झंडा उठा लिया है. जेएमएम ने इसके बाद जामा से उन्हें उम्मीदवार बनाकर पुरस्कृत भी कर दिया है.
इसी तरह भाजपा से आए केदार हाजरा को जेएमएम ने जमुआ से टिकट दिया है. एनडीए के घटक आजसू से आए उमाकांत रजक को जेएमएम ने चंदनकियारी से अपना उम्मीदवार घोषित किया है.
अपने लोगों की उपेक्षा से भाजपा समर्थक बंटे
भाजपा के समर्थक भी अपने नेताओं की पार्टी में उपेक्षा से आहत हैं. रांची स टिकट मिलने की उम्मीद पाले संदीप वर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. जमशेदपुर पूर्वी में जिन लोगों ने 2019 में रघुवार दास के विरोध में सरयू राय को वोट देकर जिताया, उनके सामने दुविधा यह है कि अब वे किसे वोट देंगे. रघुवर दास की बहू के मैदान में उतरने से उनका गुस्सा होना स्वाभाविक है.
ऐसी स्थिति किसी एक चुनाव क्षेत्र में नहीं, बल्कि कमोबेश हर जगह है, जो भाजपा के लिए घातक साबित हो सकती है. भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब इस बात को महसूस भी करने लगा है. यही वजह रही कि पार्टी ने दो चुनाव प्रभारियों- शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्व शर्मा के रहते बीएल संतोष को दूत के तौर पर झारखंड भेजा था.
किसकी सरकार, पहले फेज में हो जाएगा तय
झारखंड में इस बार किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला पहले ही चरण के चुनाव में हो जाना है. इसलिए कि पहले चरण में जिन 43 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे, उनमें 26 सीटें आरक्षित कोटे की है. इंडिया ब्लॉक को इन सीटों पर पिछले चुनाव में मिली जीते के कारण ही हेमंत सोरेन को सरकार बनाने का मौका मिल गया था. पिछली बार एसटी की आरक्षित सीटों में भाजरा के खाते में सिर्फ दो आई थीं. इसलिए माना जा रहा है कि मतदाता पहले चरण में ही झारखंड में नई सरकार का भविष्य तय कर देंगे.
Tags: Bjp candidates list, Jharkhand BJP, Jharkhand election 2024FIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 23:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed