दोस्त ने बदल दी लखनऊ के शुभांशु की जिंदगी अब ISRO ने चुना मेन एस्ट्रोनॉट
दोस्त ने बदल दी लखनऊ के शुभांशु की जिंदगी अब ISRO ने चुना मेन एस्ट्रोनॉट
शुभांशु शुक्ला को ISRO ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन मिशन के लिए मेन एस्ट्रोनॉट चुना है. लखनऊ के रहने वाले शुभांशु की एनडीए ज्वाइन करने, फिर एयरफोर्स में नए कारनामे करने और उसके बाद अब गगनयान मिशन के लिए चुना जाने तक का सफर बेहद दिलचस्प रहा है...
भारत अपने पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन ‘गगनयान’ के लिए मुस्तैदी से कदम तैयार है. इस प्रजोक्ट के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले अगले इंडो-यूएस मिशन के लिए मेन एस्ट्रोनॉट चुना है. इस मिशन पर ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर भी उनके साथ होंगे.
इसरो की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि उसके ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर ने आईएसएस के लिए अपने चौथे मिशन के लिए अमेरिका के एक्सिओम स्पेस इंक के साथ अंतरिक्ष उड़ान समझौता किया है. इसके लिए ‘नेशनल मिशन असाइनमेंट बोर्ड’ ने दो गगनयात्रियों (अंतरिक्ष यात्रियों)- ग्रुप कैप्टन शुक्ला (चीफ) और ग्रुप कैप्टन नायर के नाम की सिफारिश की है. इसरो ने बताया कि ये दोनों गगनयात्री अगस्त, 2024 के पहले हफ्ते से मिशन के लिए अपना प्रशिक्षण शुरू करेंगे.
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
लखनऊ के रहने वाले शुभांशु ने अलीगंज के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से पढ़ाई की है. उन्हें 2006 में फाइटर पायलट के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने 2,000 से अधिक उड़ान घंटों के साथ 16 से अधिक वर्षों तक उस भूमिका को निभाया है. वह बताते हैं कि गगनयान मिशन के लिए चुना जाना एक ऐसा एहसास है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. उन्होंने न्यूज़18 से बातचीत में कहा, ‘मैं खुद को गगनयान का हिस्सा बनने के लिए काफी खुशकीमत मानता हूं, जिसके साथ जिम्मेदारी की एक बड़ी भावना भी जुड़ी है. मैं इस मिशन को लेकर उत्साहित हूं.’
शुभांशु ने 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में शामिल होने का मन बना लिया था. उनके करीबी लोगों ने उन्हें अक्सर कहते सुना है- ‘अगर कारगिल की लड़ाई न हुई होती तो शायद शुक्ला जी का लड़का डिफेंस जॉइन न करता’.
दोस्त से उधार लिया एनडीए का फॉर्म
दरअसल कारगिल युद्ध के बाद ही शुभांशु ने एनडीए में शामिल होने का मन बना लिया था. शुभांशु की बड़ी बहन सुचि शुक्ला कहते हैं, ‘जब वह बारहवीं में था, तो हमें बताए बिना एनडीए के लिए आवेदन कर दिया है. उसने अपने एक दोस्त से एनडीए का फॉर्म उधार लिया, जिसने बाद में अपना मन बदल लिया था. मेरा भाई सबसे अनुशासित व्यक्ति है, जिसे मैंने कभी देखा है और हम दृढ़ता से मानते हैं कि यह कड़ी मेहनत और अनुशासन है जिसने उसे फल दिया है.’
शुभांशु को 17 जून, 2006 को इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था. उन्होंने कहा कि तब से उनका जीवन एक ‘रोलरकोस्टर राइड’ की तरह रहा है. समय के साथ, उन्होंने अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की और कम से कम 2,000 उड़ान घंटों के साथ एक फायटर कॉम्बैट लीडर और ट्रेनिंग पायलट बन गए. उन्होंने Su-30MKI, MIG-21, MIG-29, जगुआर, हॉक जैसे लड़ाकू विमान उड़ाए हैं.
गगनयान मिशन के लिए कैसे चुने गए शुभांशु
शुभांशु कहते हैं कि 2018 उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब गगनयान मिशन की घोषणा की गई थी. और अपनी जिज्ञासा और अधिक जानने की इच्छा के कारण, उन्होंने एक भी क्षण गवाएं बिना मिशन के लिए आवेदन कर दिया. वह बताते हैं, ‘2018 में, मिशन की घोषणा की गई थी. जीवन में और अधिक जानने की मेरी इच्छा ने ही मुझे आवेदन करने के लिए प्रेरित किया. चयन प्रक्रिया में लगभग एक साल लग गया, जिसमें लगभग 70 लड़ाकू पायलटों ने आवेदन किया था.’
शुभांशु ने आगे कहा कि 2020 में जब उन्हें और अन्य लोगों को ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया, तभी उन्हें एहसास हुआ कि वे सफल हो गए हैं और इस प्रतिष्ठित मिशन का हिस्सा बनेंगे. उन्होंने कहा, ‘यह विश्वास करना मुश्किल था. लेकिन जब मुझे फोन आया कि हमें प्रशिक्षण के लिए रूस जाना है, तो मैंने भगवान का शुक्रिया अदा किया और अपने परिवार को यह खबर बताई. तब तक, परिवार को इस बात की जानकारी नहीं थी कि मैं अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा बनने जा रहा हूं.’
गुंजन नाम से पुकारे जाने वाले शुभांशु तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. वह अपने परिवार से सशस्त्र बलों में शामिल होने वाले पहले व्यक्ति हैं और चार साल के बेटे के पिता हैं. उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि यह उनके लिए एक बड़ा दिन है.
FIRST PUBLISHED : August 3, 2024, 07:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed