इस भर्ती परीक्षा में 30% नौजवानों पर लटकी रिजेक्‍शन की तलवार समझें पूरा मामला

भर्ती परीक्षा के दौरान इन 20 वजहों के चलते पुलिस या सेना में भर्ती का सपना देख रहे नौजवानों को निराशा का सामना करना पड़ता है. यदि आप भी कर रहे हैं पुलिस या सेना में भर्ती की तैयारी, तो जान लें कुछ खास बातें. विस्‍तृत खबर के लिए पढ़ें आगे...

इस भर्ती परीक्षा में 30% नौजवानों पर लटकी रिजेक्‍शन की तलवार समझें पूरा मामला
Police & CAPF Bharti: पुलिस भर्ती परीक्षा में कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी वजह से करीब 30 फीसदी नौजवानों पर एक बार फिर रिजेक्‍शन की तलवार लटक गई है. यह पहली बार नहीं है, जब एक साथ इतनी बड़ी संख्‍या में नौजवानों का रिजेक्‍शन हुआ हो. इससे पहले भी पुलिस और सेंट्रल आर्म्‍स पुलिस फोर्स की भर्ती में डिटेल मेडिकल एग्जामिनेशन (डीएमई) की वजह से करीब-करीब इतने ही नौजवानों की छटनी होती रही है. बीते सालों में कई बार डीएमई के चलते 40 से 50 फीसदी रिजेक्‍शन देखने को मिला है. यदि आपके परिवार में कोई नौजवान सेंट्रल आर्म्‍ड पुलिस फोर्स या पुलिस में भर्ती की तैयारी कर रहा है, तो इन 20 बातों से उसे जरूर अवगत करा दें. कहीं ऐसा न हो कि बेहद मामूली सी एक गलती की वजह से कोई नौजवान डिटेल मेडिकल परीक्षा में छट जाए और उसकी सालों की मेहनत पर पल भर में पानी फिर जाए. यह भी पढ़ें: फोन पर लगातार बात करना पड़ा भारी, बेनकाब हो गया एयरपोर्ट का ‘विभीषण’, 8 अरेस्‍ट… दिल्‍ली एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री के बाहर खड़े चार लोगों लगातार फोन पर बात किए जा रहे हैं. फोन पर लगातार यही बातचीत इन चारों के लिए मुसीबत बन गई. इन मामले में इन चारों सहित अब तक कुछ आठ गिरफ्तारियां हो चुकी है. क्‍या है पूरा मामला, जानने के लिए क्लिक करें. समझें डिटेल मेडिकल एग्‍जामिनेशन में रिजेक्‍शन की 20 कारण पुलिस या सीएपीएफ के लिए होने वाले डीएमई में हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), आर्थराइटिस (गठिया), ट्यूबरकोलॉसिस (टीबी), सिफलिस संक्रमण, सेक्‍शुअली ट्रांसमिटेड डिसीज जैसी बीमारियों से पीड़ित नौजवानों को रिजेक्‍ट कर दिया जाता है. गले के संक्रमण को दर्शाने वाली क्रोनिक टॉन्सिलिटिस और एडेनोइड्स जैसी ब्रोन्कियल या लेरिन्जाइटिस बीमारियां सीएपीएफ और पुलिस भर्ती में रोड़ा बन सकती है. वहीं, अस्‍थमा की बीमारी भी डीएमई में रिजेक्‍शन का एक कारण बनती है. यदि किसी नौजवान को हार्ट से संबंधित कोई बीमारी है तो उसके लिए पुलिस या सेंट्रल आर्म्‍ड पुलिस फोर्स में भर्ती होने का सपना लगभग असंभव सा है. डीएमई के दौरान, हार्ट या वाल्‍वुलर से संबंधी बीमारियां रिजेक्‍शन का बड़ा कारण बनती हैं. ओटिटिस मीडिया (Otitis media) भी पुलिस और सीएपीएफ में रिजेक्‍शन का बड़ा कारण बनता है. दरअसल, ओटिस मीडिया को मध्‍य कान का संक्रमण है. इस बीमारी के चलते कान से निकलने वाला द्रव अवरुद्ध हो जाता है और बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन का खतरा बढ़ जाता है. डीएमई में नौजवानों के आंखों की भी जांच होती है. यदि उनकी नजर कमजोर है, उन्‍हें रंगों को पहचानने में दिक्‍कत हो रही है, आंखों में भेंगापन है, तो उनका चयन किसी भी पुलिस फोर्स या आर्म्‍ड फोर्स के लिए नहीं किया जा सकता है. डीएमई के दौरान कानों की भी जांच की जाती है. इस जांच के दौरान नौजवानों के सुनने की छमता का आंकलन किया जाता है. जिस नौजवान की सुनने की क्षमता निर्धारित मानकों से कम पाई जाती है तो उस रिजेक्‍ट कर दिया जाता है. यदि किसी नौजवान को बोलने में दिक्‍कत है या वह बोलते वक्‍त हकलाता (stammer) है, तो उसे भी डीटेल मेडिकल एग्‍जामिनेशन के दौरान रिजेक्‍ट कर दिया जाता है. डीएमई में दांतों के लिए भी नंबर है. यदि नौजवान के पूरे या आधे दांत कृत्रिम हैं और उनके डेंटल प्‍वाइंट 14 से कम हैं, उसे रिजेक्‍शन का सामना करना पड़ता है. डीएमई में छाती में संकुचन, जोड़ो में किसी तरह की समस्‍या, चलने के तरीके से बेहद गंभीरता से देखा जाता है. किसी तरह की समस्‍या पाए जाने पर अभ्‍यर्थी को रिजेक्‍ट कर दिया जाता है. पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स और भारतीय सेना की भर्ती में रीढ़ की भी जांच की जाती है. यदि रीढ़ में किफोसिस, स्कोलियोसिस, लॉर्डोसिस जैसी समस्‍या है तो संबंधित अभ्‍यर्थी को रिजेक्‍ट कर दिया जाता है. एंडोक्राइन डिसऑर्डर की वजह से किसी भी शख्‍स को थायराइड, ग्रोथ डिसऑर्डर, डायबिटीज, सेक्सुअल डिसफंक्शन के साथ हार्मोन संबंधी बीमारी होने की संभावना बनी रहती है. लिहाजा, एंडोक्राइन डिसऑर्डर यानी अंतःस्रावी विकार से पीडि़त अभ्‍यर्थियों को रिजेक्‍ट कर दिया जाता है. तंत्रिका अस्थिरता (Nervous Instability), बुद्धि में कमी (Defective intelligence) और मानसिक (Mental) बीमारियों से जूझ रहे अभ्‍यर्थियों को भी रिजेक्‍शन का सामना करना पड़ सकता है. कुष्ठ (Leprosy), विटिलिगो (vitiligo), एक्जिमा (Eczema), एसएलई (SLE) और फंगल इफेंक्‍शन से पीडि़त अभ्‍यर्थी को पुलिस और आर्म्‍ड फोर्सेस के लिए आयोग्‍य माना जाता है. डीएमई के दौरान, अभ्‍यर्थी के क्यूबिटस वेरस में हाथ और कोहनी की स्थिति का आंकलन किया जाता है. वाल्गस (Valgus) और क्यूबिटस वेरस (Cubitus varus) की समस्‍या से जूझ रहे नौजवानों को रिजेक्‍शन का सामना करना पड़ सकता है. बवासीर (Piles), गुदा भगंदर सहित अन्य एनोरेक्टल (Anorectal) रोगों से पीड़ित नौजवानों को डीटेल मेडिकल एग्‍जामिनेशन के दौरान रिजेक्‍ट कर दिया जाता है. मिर्गी (Epilepsy) से पीडि़त नौजवानों को भी पुलिस और आर्म्‍ड फोर्स में भर्ती नहीं किया जाता है. मिर्गी से पीडि़त अभ्‍यर्थियों को डीटेल मेडिकल एग्‍जामिनेशन में रिजेक्‍ट किया जा सकता है. हाइड्रोसील से पीड़ित नौजवान को डीएमई में रिजेक्‍ट कर दिया जाएगा. भले ही, हाइड्रोसील इलाज के योग्‍य क्‍यों न हो. हालांकि, ऐसे छोटे हाइड्रोसील, जिनका ऑपरेशन के बाद बुरा निशान नहीं बचा है, उसे स्‍वीकार किया जा सकता है. फ्लैट फुट, क्लब फुट, प्लांटार वार्ट्स जैसी पैरों की विकृति वाले अभ्‍यर्थियों को पुलिस और आर्म्‍ड फोर्स की डीएमई में स्‍वीकार नहीं किया जाता है. यदि कोई नौजवान हार्निया (Hernia) की बीमारी से पीड़ित है तो उसको भी डीएमई में रिजेक्‍ट कर दिया जाएगा. पुलिस और आर्म्‍ड फोर्स में हाथ या पैरों में पॉलीडैक्‍टाइल भी रिजेक्‍शन की बड़ी वजह है. आपको बता दें कि नौजवानों के हाथ या पैर ने छह अंगुली होने की स्थिति को पॉलीडैक्‍टाइल कहा जाता है. Tags: Army Bharti, CISF, Government job, Indian army, UP policeFIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 14:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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