वेब सीरीज में ही नहीं हकीकत में यहां होता है कालीन का कारोबार विदेशों तक

Mirzapur News: मिर्जापुर जिले में मुगल काल 17वीं व 18 वीं शताब्दी के बीच में कालीन बनाने का कार्य शुरू हुआ था. माधो सिंह गांव में आकर कुछ बुनकर बसे थे, जिसके बाद उन्होंने इस कला को पूरे क्षेत्र में पहुंचाया. मिर्जापुर में तैयार होने वाली हस्तनिर्मित कालीन व दरी की डिमांड तेज हुई. अद्भुत नक्काशी के साथ अलग डिजाइन होने की वजह से इसे विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाने लगा.

वेब सीरीज में ही नहीं हकीकत में यहां होता है कालीन का कारोबार विदेशों तक
मुकेश पांडेय /मिर्जापुर: ओटीटी पर तहलका मचाने वाली मिर्जापुर वेब सीरीज (Mirzapur Web Series) के तीसरे सीजन का फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. पूरे सीरीज में मिर्जापुर में कालीन का कारोबार दिखाया गया है. इसमें अखंडानंद त्रिपाठी उर्फ कालीन भैया भौकाल काटते नजर आ रहे हैं. फिल्मी दुनिया ही नहीं बल्कि रियल में भी मिर्जापुर में कालीन का कारोबार होता है. यहां पर तैयार होने वाली कालीन मुगल काल से ही विदेशों में एक्सपोर्ट हो रही है. आज भी यहां पर बनने वाली हस्तनिर्मित कालीन व दरी अमेरिका, जापान व चीन में एक्सपोर्ट की जाती है. मिर्जापुर जिले में मुगल काल 17वीं व 18 वीं शताब्दी के बीच में कालीन बनाने का कार्य शुरू हुआ था. माधो सिंह गांव में आकर कुछ बुनकर बसे थे, जिसके बाद उन्होंने इस कला को पूरे क्षेत्र में पहुंचाया. मिर्जापुर में तैयार होने वाली हस्तनिर्मित कालीन व दरी की डिमांड तेज हुई. अद्भुत नक्काशी के साथ अलग डिजाइन होने की वजह से इसे विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाने लगा. मिर्जापुर दरी कॉर्पोरेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष बुधिया ने बताया कि 1910 में ही मिर्जापुर में बनी कालीन व दरी को विदेशों में एक्सपोर्ट की जाने लगी.उस समय हैवी, ओबीटी कंपनी, शेख रंग तुल्ला एंड ब्रदर्स आदि कंपनी इसे एक्सपोर्ट करती थीं. अमेरिका के बाद दुबई में बढ़ी डिमांड मिर्जापुर दरी कार्पोरेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष बुधिया ने बताया कि आजादी के बाद से पूरे विश्व में कालीन व हस्त निर्मित दरियों का निर्यात होने लगा. आज अमेरिका, यूरोप, लैटिन अमेरिका, जापान व चीन को निर्यात कर रहे हैं. इधर दुबई से भी काफी डिमांड दरी व कालीन की बढ़ी है. हालांकि थोक में ऑर्डर नहीं मिलने से थोड़ा मुनाफा प्रभावित हो रहा है. सस्ती पड़ रही है मशीन से निर्मित दरी आशीष बुधिया ने बताया कि तेजी के साथ बुनकरों की संख्या घट रही है. उसका कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में मशीन से निर्मित कालीन की डिमांड बढ़ गई है. हस्तनिर्मित कालीन थोड़ा महंगा होने की वज़ह से कम बिक रही है. बाजार के डिजिटल होने के बाद थोक में खरीद भी कम हुआ है. सरकार की ओर से निर्यात में मिलने वाली छूट में वृद्धि की जाए. इससे मिर्ज़ापुर, भदोही व वाराणसी में बुनकरों का पलायन रुकेगा और बाजार एक बार फिर पटरी पर लौट आएगा. Tags: Local18, Mirzapur news, Mirzapur News Today, UP newsFIRST PUBLISHED : July 2, 2024, 12:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed