उफान के बीच गंगा नदी में नौका रेस का आयोजन 50 नाविकों ने लिया भाग
उफान के बीच गंगा नदी में नौका रेस का आयोजन 50 नाविकों ने लिया भाग
Boat Race in Mirzapur: यूपी के मिर्जापुर में भी केरल के अराणमुला की तरह नौका रेस का आयोजन किया जाता है. इस नौका रेस में 50 से अधिक नाविक भाग लेते हैं. जहां प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान लाने वाले नाविकों को पुरस्कार दिया जाता है.
मिर्जापुर: अभी तक आपने केरल के अराणमुला में नौका दौड़ प्रतियोगिता को देखा होगा. पानी में सरपट दौड़ती नाव को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में भी केरल के अराणमुला की तरह नाव प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. इसमें 50 से अधिक नाविक भाग लेते हैं. अंग्रेजों ने इस प्रतियोगिता को शुरु किया था. यहां आज भी नौका रेस का आयोजन होता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.
मिर्जापुर जिले के ओझला के पास उज्ज्वला नदी में कजरी के दिन नौका रेस प्रतियोगिता का आयोजन होता है. इसमें आस-पास के क्षेत्र के नाविक भाग लेते हैं. कहा जाता है कि सन 1840 में एक अंग्रेज की नाव फंस गई थी. अंग्रेज ने नाविकों से इसे निकालने को लेकर कहा था. नाविकों ने साहस से नाव को निकाल दिया था. अंग्रेजों द्वारा यहां पर नौका प्रतियोगिता का आयोजन शुरू कराया गया. आज भी हर वर्ष मेला और प्रतियोगिता का आयोजन होता है.
नौका रेस में ये बने विजेता
शनिवार को आयोजित प्रतियोगिता में एक व्यक्ति के सोनू प्रथम, करन द्वितीय और मुन्नू को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ. स्टीमर बोट रेस महेंद्र प्रथम, गोविंद द्वितीय और छोटे तृतीय स्थान प्राप्त हुआ. सभी को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. अन्य साहसी नाविकों को भी पुरस्कृत किया गया.
ब्रिटिश काल से लगता आ रहा है मेला
वहीं, रामचंद्र निषाद ने बताया कि यह मेला मल्लाही मेला के नाम से जाना जाता है. ब्रिटिश काल से ही इस मेले को मनाया जाता है. इसका खर्च अंग्रेज ही वहन करते थे. आज भी जनसहयोग से इसका आयोजन होता है. यहां पर आयोजित नौका प्रतियोगिता को देखने के लिए इंग्लैड से अंग्रेज और उनके परिवार से जुड़े लोग आते हैं. आज भी परंपरागत तरीके से हर साल गंगा नदी से ओझला पुल तक रेस का आयोजन होता है.
साहस और रोमांच से भरा होता है दृश्य
वहीं, रामलाल साहनी ने बताया कि ब्रिटिश काल में निषादों को प्रोत्साहित करने के लिए इस मेले को शुरू किया गया था. इसमें तैराकी, गोताखोरी और नौका प्रतियोगिता का आयोजन होता है. अंग्रेजों का उदेश्य था कि बारिश और बाढ़ में तेजी के साथ बचाव किया जाए और लोगों को मदद पहुंचाई जाए. जनपद का ये सबसे रोमांचक मेला होता है. जिसमें अदम्य साहस का परिचय नाविक और गोताखोर देते हैं.
Tags: Local18, Mirzapur newsFIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 11:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed