श्री राम भी आज के दिन इस पवित्र नदी में करने आते हैं स्नान ये है महत्व

भाद्रपद की अमावस्या को कुश पटनी अमावस्या भी कहा जाता है लेकिन इस बार सोमवार को यह अमावस्या पडने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है.ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन भगवान श्रीराम भी चित्रकूट की मंदाकनी नदी में स्नान करने के लिए आते है.और अमावस्या के दिन स्नान दान पुण्य का विशेष लाभ मिलता है

श्री राम भी आज के दिन इस पवित्र नदी में करने आते हैं स्नान ये है महत्व
रिपोर्ट- विकाश कुमार चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट प्रभु श्री राम की तपोस्थली रही है. यहां प्रभु श्री राम ने अपने वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे. ऐसे ने आज भादो मास की सोमवती अमावस्या में धर्म नगरी चित्रकूट में आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा है. लाखों की तादाद में श्रद्धालु मां मन्दाकनी नदी में आस्था की डुबकी लगा कामतानाथ मंदिर में दर्शन पूजन कर कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगा रहे हैं. आज के दिन इस नदी में श्री राम भी करते है स्नान आप को बता दें की भाद्रपद की अमावस्या को कुश पटनी अमावस्या भी कहा जाता है लेकिन इस बार सोमवार को यह अमावस्या पडने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन भगवान श्रीराम भी चित्रकूट की मंदाकनी नदी में स्नान करने के लिए आते हैं और अमावस्या के दिन स्नान दान पुण्य का विशेष लाभ मिलता है. इसीलिए सोमवती अमावस्या में लाखों की तादाद में श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचे हैं और मंदाकनी नदी में आस्था की डुबकी लगा भगवान कामदागिरि पर्वत की परिक्रमा लगा रहे हैं. रात से अभी तक करीब 7 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा दर्शन पूजन कर चुके है. चप्पे-चप्पे में तैनात है पुलिस बात करे प्रशासन के इंतजाम की तो सोमवती अमावस्या को देखते हुए प्रशासन ने पूरे मेला क्षेत्र को 7 जोन और 21 सेक्टर में बांटा था और 6 जनपदों की पुलिस को चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया है. श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए चौराहों पर सजावट की गई है और लाइटिंग वाले स्वागत गेट बनाए गए हैं. श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो उसके लिए प्रशासन ने मेला क्षेत्र में व्यापक इंतजाम कर रखे हैं. महंत ने दी जानकारी वहीं भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवनदास महाराज का कहना है कि यह भाद्रपद की अमावस्या है सोमवार के दिन पढ़ने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या भी कहते हैं. भगवान शंकर को सोमनाथ कहते हैं इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शंकर की पूजा करने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस अमावस्या को कुश पटनी अमावस्या भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन जो शुभ कार्यों में कुशा का प्रयोग किया जाता है उस कुश को आज तोड़कर उसकी पूजा कर रख लिया जाता है और उसी कुश से सालभर होने वाले सभी शुभ कार्यों में उसका इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए इसे कुश पटनी अमावस्या भी कहा जाता है. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 13:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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