दोस्ती करो तो रमेश-माधुरी जैसी भाई-बहन की तरह अटूट है रिश्ता
दोस्ती करो तो रमेश-माधुरी जैसी भाई-बहन की तरह अटूट है रिश्ता
Friendship Day True Story, रमेश जोशी ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि उनका एमफिल में अध्ययन करने का काफी मन था. लेकिन उनके सामने आर्थिक रूप से एक चुनौती थी. वह एमफिल कोर्स करने के लिए फीस का इंतजाम कहां से करें. उन्होंने कई लोगों से इसके बारे में कहा, लेकिन कहीं से भी सकारात्मक जवाब नहीं मिला. ऐसे में उन्हें माधुरी जैसी दोस्त मिली.
विशाल भटनागर/मेरठ: भले ही बदलते दौर में दोस्ती को लेकर तरह-तरह की बातें की जाने लगी हो. लेकिन, मेरठ के केनरा बैंक आरसेटी में कार्यरत रमेश जोशी और माधुरी शर्मा की दोस्ती एक मिसाल बनी हुई है. इन दोनों का भले ही खून का रिश्ता न हो. लेकिन भाई-बहन जैसे अटूट रिश्ते की तरह ही पिछले 12 सालों से दोस्ती के सिलसिले को लगातार एक नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं. कठिन से कठिन दौर में भी एक दूसरे के साथ खड़े दिखाई देते हैं.
माधुरी शर्मा ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि वर्ष 2012 में उनकी केनरा बैंक आरसेटी में जॉब लगी थी. ऐसे में उनके सामने काफी चुनौती थी. क्योंकि, आरसेटी के काम से बिल्कुल अनजान थी. लेकिन, उस दौर में उन्हें रमेश जोशी जैसा एक अच्छा दोस्त मिला, जिन्होंने धीरे-धीरे उन्होंने केनरा बैंक आरसेटी से संबंधित कामकाज के बारे में बेहतर तरीके से समझाया. यही नहीं विपरीत से परिस्थितियों में ढाल बनकर खड़े हुए. वह कहती हैं कि जब महिला कल्याण अधिकारी के लिए उन्होंने इंटरव्यू दिया था. जिसमें उनका चयन हो गया. लेकिन वह काफी परेशान थी कि ड्यूटी जॉइन करे या न करे. तो उसमें भी उनके दोस्त रमेश जोशी ने काफी मदद की. यही नहीं जब वहां कार्यकाल पूरा हो गया. तब केनरा आरसेटी में वापस लाने में भी उनके मित्र ने उनका भरपूर योगदान दिया.
बिना संकोच दे दिए थे पैसे
रमेश जोशी ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि उनका एमफिल में अध्ययन करने का काफी मन था. लेकिन उनके सामने आर्थिक रूप से एक चुनौती थी. वह एमफिल कोर्स करने के लिए फीस का इंतजाम कहां से करें. उन्होंने कई लोगों से इसके बारे में कहा, लेकिन कहीं से भी सकारात्मक जवाब नहीं मिला. ऐसे में एक दिन ऑफिस में उदास बैठे हुए थे. तब अचानक से माधुरी शर्मा ने उनसे पूछा कि आज उदास क्यों हो. तब उन्होंने बताया कि वह एमफिल करना चाहते हैं. लेकिन उनके पास पैसे नहीं है. जोशी कहते हैं कि इतना सुनकर माधुरी शर्मा ने उनसे कहा कि आप टेंशन ना लो एमफिल के लिए अप्लाई करो. जितने पैसे आपको चाहिए इसकी व्यवस्था हो जाएगी. रमेश कहते हैं कि वह एमफिल तो नहीं कर पाए. लेकिन जिस तरीके से उनकी अच्छी दोस्त ने उनकी मदद की पेशकश की वह अपने आप में एक अच्छा दोस्ती का उदाहरण है.
रिश्तो की अहमियत हमारी जिम्मेदारी
रमेश और माधुरी दोनों ही कहते हैं कि जिस तरीके से अब रिश्तों को लेकर तरह-तरह की बातें समाज में होने लगी है. ऐसे में हम सभी लोगों की जिम्मेदारी है. दोस्ती जैसे पवित्र बंधन के प्रति लोगों की सोच में बदलाव लाएं. क्योंकि दोस्ती का मतलब स्वार्थ नहीं होता बल्कि एक दूसरे की खुशी के लिए हमेशा साथ खड़े होना ही दोस्ती है. उन्होंने बताया कि यह एक ऐसा बंधन होता है कि जो कि समाज या खून से नहीं होता. बल्कि ऊपर वाले द्वारा बनाया जाता है. उन्होंने कहा कि सभी को दोस्ती की अहमियत समझनी चाहिए. बता दें कि माधुरी शर्मा और रमेश जोशी दोनों ही विवाहित है. लेकिन उनके पति पत्नी को उनकी दोस्ती से बिल्कुल भी ऐतराज नहीं है. क्योंकि उनकी दोस्ती भाई बहन के तरह अटूट बंधन है.
Tags: Friendship Day, Local18, Meerut newsFIRST PUBLISHED : August 4, 2024, 08:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed