भक्तों का दुख हरते हैं बारह दुवरिया वाले बाबा सोमवार को उमड़ती है श्रद्धालुओं
भक्तों का दुख हरते हैं बारह दुवरिया वाले बाबा सोमवार को उमड़ती है श्रद्धालुओं
मऊ मुख्यालय से सात किलोमीटर उत्तर पश्चिम दिशा में नौसेमार गांव से सटा यह यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. इस मंदिर में दूर दूर से श्रद्धालु अपनी फरियाद ले कर आते हैं. पतित पावनी सलिला तमसा नदी के किनारे स्थित इस मंदिर में सावन के महीने में श्रद्धालुओं की खूब भीड़ उमड़ती है.
सुशील सिंह/मऊ: पूर्वाचल में ऐसे कई मंदिर है. जिनकी अपनी मान्यताएं है. हर गांव, ब्लाक और तहसील में आपको ऐसे मंदिर मिल जाएगी. जिसकी अपनी पौराणिक मान्यता है. जिसका संबंध किसी न किसी कालखंड से है. ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आज हम आपको इस स्टोरी के माध्यम से बताएंगे. मऊ जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर नौसेमार गांव से सटा ये बारहदुवरिया मंदिर है. मान्यता है कि प्रभु श्री राम त्रेतायुग में ऋषि विश्वामित्र के साथ यहां आए थे. बारहदुवरिया मंदिर भगवान शंकर का मंदिर है. ये मंदिर तमसा नदी के तट पर स्थित है. सावन माह में इस मंदिर में भक्त की खूब भीड़ उमड़ती है.
लोकल18 से खास बातचीत में यहां के पुजारी राम दास बताते हैं कि यह मंदिर काफी पुराना है. त्रेता युग में भगवान राम ऋषि विश्वामित्र के साथ यहां आए थे. उन्होंने शिवलिंग की स्थापना करके भगवान शिव की पूजा अर्चना की थीं. इस पूजा से खुश होकर भगवान यहां बारह रूपों में प्रकट हुए थे. इसलिए इसका नाम बारहदुवरिया पड़ा. विभिन्न प्रकार की प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार सन 1718 में जंग बहादुर जयसवाल नाम का व्यापारी तमसा के रास्ते गाजीपुर जिले से यहां आया था. तब यह स्थान पूरी तरह से जंगलों से ढका था. यहां पर आकर उसकी नाव रुक गई. उसे शौच की अनुभूति हुई तो वह उचित स्थान तलाशने लगा. तलाशी के इसी क्रम में उसे इस जगह शिवलिंग दबा हुआ मिला. उसने इसकी खुदाई शुरू कर दी. खोदते- खोदते वह थक कर सो गया. सपने में भगवान ने उसे दर्शन दिया और शिवलिंग की स्थापना करने का निर्देश. तभी से यहां बारहदुवरिया मंदिर स्थापित है.
इस शिव मंदिर में सैकड़ों साल पुराना पीपल का पेड़ हैं. जहां पर लोग जल चढ़ाते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि यह मंदिर तमसा नदी के किनारे स्थित है. मन्दिर से सटे तमसा नदी में 2 किलोमीटर तक के रेंज कोई मछली नही पकड़ता है.
Tags: Local18, Mau newsFIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 15:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed