वृंदावन की इस कुटी में भजन करते थे प्रभुपाद जानें अब क्या हुआ

Mathura News: मथुरा के वृंदावन में यमुना नदी के किनारे आज भी प्रभुपाद की भजन वाली कुटिया मौजूद है. यहां श्री राधा बंसी गोपाल मंदिर बना हुआ है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां की जर्जर कुटिया में प्रभुपाद सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करते हुए रहते थे.

वृंदावन की इस कुटी में भजन करते थे प्रभुपाद जानें अब क्या हुआ
निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा: भगवान श्री कृष्ण की नगरी वृंदावन हमेशा से ही भजनानंदों का स्थान रहा है. यहां एक से बढ़कर एक तपस्वी तप कर चुके हैं. वहीं, वृंदावन में एक मंदिर ऐसा है, जहां सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने वाले प्रभुपाद की भजन कुटी मौजूद है. वह आश्रम के जिस कमरे में भजन किया करते थे. वह कुटी आज भी प्रभुपाद की यादों को अपने अंदर समेटे हुए है. सैकड़ों साल पुराना है यह मंदिर सनातन धर्म के प्रचारक प्रभुपाद सैकड़ों वर्ष पूर्व वृंदावन आए. यहां आकर उन्होंने यमुना के किनारे बने एक आश्रम में रहकर भजन किया. यमुना के किनारे स्थित इस मंदिर में आज भी प्रभुपाद के भजन कुटी मौजूद है. प्रभुपाद के होने की और उनके सनातन धर्म प्रचार की आज भी यह कुटी याद दिलाती है. मंदिर के पुजारी गोपाल दास ने बताया श्री राधा बंसी गोपाल मंदिर के पुजारी गोपाल दास ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त और सनातन धर्म के प्रचारक रहे श्री प्रभुपाद जी वृंदावन आए थे. यमुना के किनारे बने श्री राधा बंसी गोपाल मंदिर में उन्होंने रहकर पूजा अर्चना की. यहीं वह भगवान की साधना में लीन रहते थे. उन्होंने यह भी बताया कि प्रभुपाद जिस आश्रम में वह पहले रहते थे, उसमें वह किराया देते थे, लेकिन हमारे यहां रहने के बाद उन्होंने उनसे कोई किराया नहीं लिया. पुजारी ने किराया न लेने की वजह को लेकर बताया कि वह प्रभु की साधना में लीन से और सनातन के प्रचार-प्रसार में लगे हुए थे. यह भजन कुटी आज भी प्रभुपाद के यहां होने का आभास दिलाती है. जिस कमरे में वह रहते थे, उसी कमरे से सटी हुई रसोई भी है. आश्रम के कमरे में लंबे समय तक किया निवास पुजारी ने बताया कि वह अपना खाना खुद बनाते और भगवान को भी भोग लगाकर ही खाना खाते थे.  उन्होंने बताया कि प्रभुपाद जी यहां 1956 से लेकर 1959 तक आश्रम में रहकर भजन किया करते थे. करीब 3 साल आश्रम में रहे और यहां भजन कर भगवान की आराधना में कमरे में लीन रहते थे. पुजारी ने बताया कि कमरा जर्जर हो चुका था, जिसे 3 साल पहले ठीक कर दिया गया. भगवान कृष्ण के भरोसे रहता है परिवार बता दें कि इस मंदिर का परिवार श्री कृष्ण के भरोसे रहता है. भगवान श्री कृष्णा उनके खाने-पीने की व्यवस्था खुद करते हैं. इस मंदिर में ना तो किसी की तरफ से दान आता है और ना ही किसी से दान के लिए मंदिर के सेवायत बोलते हैं. इस मंदिर में श्री कृष्ण की कृपा है और भक्त यहां आकर अपनी स्वेच्छा से दान देता है, उसी से यहां का परिवार गुजरा और भगवान के भोग की व्यवस्था होती है. Tags: Local18, Mathura hindi news, Mathura newsFIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 10:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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