शादी नौकरी और उच्च शिक्षा: कैसे भारतीय महिलाओं पर अपनी प्राथमिकताएं बदलने का बढ़ा दबाव
शादी नौकरी और उच्च शिक्षा: कैसे भारतीय महिलाओं पर अपनी प्राथमिकताएं बदलने का बढ़ा दबाव
Global Gender Gap Index: विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत लिंग समानता के आधार पर 146 देशों की सूची में 135वें स्थान पर है. भारत पड़ोसी देश बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और मालदीव से भी पीछे है. वहीं भारत आर्थिक भागीदारी और अवसर से जुड़े सब-इंडेक्स में ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से केवल मामूली अंतर से आगे है.
इरा आलोक पुराणिक
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2022 के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत लिंग समानता के आधार पर 146 देशों की सूची में 135वें स्थान पर है. हैरानी की बात है कि इस लिस्ट में भारत पड़ोसी देश बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और मालदीव से भी पीछे है. वहीं भारत आर्थिक भागीदारी और अवसर से जुड़े सब-इंडेक्स में ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से केवल मामूली अंतर से आगे है. भारत में कामकाजी और आकांक्षी महिलाएं पहले से ही कार्यस्थल पर कड़ी मेहनत कर रही हैं और इसी के साथ शादी जैसी जिम्मेदारी को लेकर जीवनसाथी की तलाश भी कर रही हैं. लेकिन ज्यादातर मामलों में शादी के बाद उन पर नौकरी छोड़ने और पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभालने का दबाव डाला जाता है.
शादी डॉटकॉम पर हाल ही में किए गए एक अध्ययन से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जिन महिलाओं ने कभी नौकरी नहीं की है, उन्हें पुरुषों से 70% सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलती हैं. अगर वे काम कर रही हैं और शादी के बाद अपना करियर छोड़ने को तैयार हैं, तो यह संख्या 66% तक गिर जाती है.
लेकिन सकारात्मक प्रतिक्रियाओं की दर उन महिलाओं के लिए 59% तक गिर गया जो शादी के बाद नौकरी जारी रखना चाहती हैं. इस बारे में प्राची (बदला हुआ नाम) फिलहाल गुड़गांव स्थित मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मैनेजर के तौर पर काम करती है. डेढ़ साल पहले उनकी शादी हुई थी. विवाह के लिए जीवनसाथी चुनने के लिए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. प्राची ने कहा कि, मैंने वैवाहिक साइट्स के माध्यम से बहुत लोगों के साथ बातचीत की. इस दौरान मैं जिन पुरुषों से मिली, उनमें से
ज्यादातर चाहते थे कि मैं अपने करियर से ज्यादा घर पर ध्यान दूं.
पढ़ाई सिर्फ शादी के लिए, नौकरी के लिए नहीं
हालांकि, जब महिलाओं व लड़कियों की शिक्षा की बात आती है, तो भारत स्पष्ट रूप से और सकारात्मक रूख रखता है. इस मुद्दे पर जेंडर गैप इंडेक्स में भारत को 107वां स्थान मिला है. लेकिन महिलाओं की पढ़ाई सिर्फ शादी तक सीमित रह जाती है. क्योंकि पढ़ी लिखी लड़की से शादी के बाद कोई नौकरी नहीं कराना चाहता है.
इस वजह से ज्यादातर महिलाएं नौकरी के बजाय हायर स्टडी का विकल्प चुन रही हैं. कम्युनिकेशन प्रोफेशनल, मीरा, जिन्होंने हाल ही में दो साल पहले अपना पीजी कंपलीट किया. लेकिन दो साल की कार्य अवधि के बाद वह अब फिर से उच्च शिक्षा के अवसरों की तलाश कर रही है.
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उन्होंने कहा कि, मेरे माता-पिता मुझे शादी के लिए मजबूर कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि अब मेरे पास नौकरी है, हासिल करने के लिए कुछ नहीं बचा है. इसलिए मैं विदेशों में एजुकेशनल प्रोग्राम की तलाश कर रही हूं. लेकिन वे जिद कर रहे हैं कि वे मुझे तभी बाहर जाने देंगे जब मैं शादीशुदा हो जाऊंगी. इसका सीधा मतलब है कि लड़कियों की शादी, पढ़ाई और नौकरी से ज्यादा जरूरी है.
वहीं ऑफिसेज में भी महिला कर्मचारियों की तुलना में पुरुषों को सीनियर पोस्ट पर प्रमोशन देने में ज्यादा तवज्जों दी जाती है. एथेना के एक्जीक्यूटिव सर्च और कंसल्टिंग, मैनेजिंग डायरेक्टर भविष्य शर्मा कहते हैं कि, हम देखते हैं कि महिला कार्यबल कई जिम्मेदारियों के कारण प्रभावित होता है. इनमें घरेलू मोर्चे महिलाओं की बड़ी भूमिका, बच्चों का पालन-पोषण आदि अहम जिम्मेदारियां शामिल हैं.
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Tags: Gender descrimination, WomanFIRST PUBLISHED : July 15, 2022, 16:53 IST