ये हैं भारत के Mango मैन उगाते हैं इतने तर‍ह के आम नहीं सुने होंगे नाम

आपने अपने जीवन में कितने तरह के आम खाए हैं? जरा गिनिए, पक्‍का ये संख्‍या 10-20 से ज्‍यादा नहीं होगी लेकिन भारत के एक मैंगो मैन अपनी नर्सरी में 80 तरह के आम उगाते हैं. इनमें भारत की देसी नस्‍लों के अलावा ऑस्‍ट्रेलिया, जापान, थाइलैंड और बांग्‍लादेश की प्रजातियां भी शामिल हैं.

ये हैं भारत के Mango मैन उगाते हैं इतने तर‍ह के आम नहीं सुने होंगे नाम
गर्मी का मौसम चल रहा है. इसमें आम की बात न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. फलों का राजा आम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि देश-विदेशों में भी लोगों का प्रिय फ्रूट है. खाने में मीठे, गूदेदार और रसीले आमों की खुशबू से ही लोग इनकी तरफ खिंचे चले आते हैं, लेकिन अगर आपसे पूछा जाए कि आपने कितने तरह के आम खाए हैं? या आपने कितने तरह के आम बाजार में देखे हैं तो आपका क्‍या जवाब होगा? 10, 20 या ज्‍यादा से ज्‍यादा 30. लेकिन भारत में एक शख्‍स ऐसे भी हैं जो अपने खेत में इतने तरह के आम उगाते हैं कि आपने न तो कभी सोचा होगा और न ही नाम सुने होंगे. मैंगो मैन के नाम से मशहूर ये व्‍यक्ति हैं अशोक मैती. पश्चिम बंगाल के खड़गपुर के पास जकपुर गांव में 10 एकड़ जमीन पर नर्सरी चलाने वाले अशोक मैती भारत में आम की सबसे ज्‍यादा नस्‍लें उगाने वाले व्‍यक्ति हैं. ये आम की 80 किस्‍में उगाते हैं, जिनमें से करीब 35-40 किस्‍में देसी हैं और बाकी विदेशी हैं. आईआईटी खड़गपुर भी किसानों को अशोक मैती के पास फलों-फूलों के पौधों को उगाने के लिए ट्रेनिंग के लिए भेजता है. अशोक मैती अपने परिवार के साथ आमों की पौध उगाते हैं, आइए जानते हैं उनके और आमों के बारे में.. ये भी पढ़ें  मटका नहीं कर रहा पानी ठंडा? रुकिए, फेंकिए मत! कमाल कर देंगे ये 2 घरेलू हैक्‍स, इसके आगे फ्रिज भी हो जाएगा फेल आम उगाने के मामले में भारत विश्‍व में सबसे आगे है. 7 वीं क्‍लास में गुलाब उगाने से की शुरुआत न्‍यूज18 हिंदी से बातचीत में अशोक मैती कहते हैं कि जब वे कक्षा 7 में पढ़ते थे तो उनके बड़े भाई एक गुलाब का पौधा लेकर आए और मैती से कहा कि इसे लगा दो. मैती ने इसे छत पर पॉट में लगा दिया. वह इतना अच्‍छी तरह उगा कि उस पर बहुत सारे फूल आए. इस खुशी में छत पर और कई गुलाब के पौधे उगा दिए. कुछ ही दिन में पूरी छत गुलाब से भर गई. जब छत पर कपड़े सुखाने की जगह भी नहीं बची तो मां ने कहा कि अपने गुलाब उठाओ और नीचे ले जाओ, यहां कोई पौधा नहीं लगेगा. पौधे लगाने में रुचि इतनी बढ़ गई थी कि उन पौधों को फिर नीचे उगाना शुरू कर दिया. कुछ ही दिन में देखा कि पड़ोसी और आसपास के लोग भी गुलाबों को देखकर खूब तारीफ करते तो और मजा आने लगा और सोचा कि बस यही करेंगे. भाई ने भी कह दिया कि नर्सरी का ही काम कर ले, बस उस दिन से पीछे मुड़कर नहीं देखा. मैती बताते हैं, ‘मैंने 1978 में नर्सरी लगाना शुरू कर दिया. करीब 3 साल के बाद 80 के दशक में भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति शंकर दयाल के रिश्‍तेदार लालू प्रसाद शर्मा ने मध्‍य प्रदेश से 15 हजार गुलाब के प्‍लांट की बुकिंग भेज दी. कुछ ही दिन में नर्सरी से हमने ये सप्‍लाई कर दी. फिर हमने सप्‍लाई दी. उस समय पौधे का रेट 3 रुपये था. यह पहली सबसे बड़ी सप्‍लाई थी. इसे करने के बाद साहस बढ़ा और फिर इसी काम को करके सुख मिलने लगा. धीरे-धीरे गुलाब के अलावा फलों के पौधे लगाना शुरू कर दिया. आज मौजूद हैं आम की 80 किस्‍म अशोक मैती बताते हैं कि गुलाब के बाद उन्‍होंने आम पर फोकस कर दिया और भारत में मौजूद लगभग सभी किस्‍मों के पौधे उगाना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्‍होंने विदेशों में मिलने वाली किस्‍मों की कुछ पौध मंगाकर उन्‍हें अपने यहां विकसित करना शुरू कर दिया और आज थाइलैंड, जापान, ऑस्‍ट्रेलिया, बांग्‍लादेश, सहित भारत के पूसा में विकसित की जाने वाली सभी किस्‍में नर्सरी में मिलती हैं. यहां दशहरी, लंगड़ा, चौसा आदि आम से लेकर पूसा के अरुणिमा, अंबिका, साउथ इंडिया के बैंगनफुल्‍ली, विदेशी आम मियाजाकी, ट्विंगो डी टोमेगो, थाईलैंड का बनाना मेंगो सहित सभी वैरायटीज के पौधे यहां 30 रुपये से लेकर 400 रुपये तक मिलते हैं. शख्सियतों के नाम पर ईजाद कर चुके गुलाब अशोक मैती राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी के नाम पर भी गुलाब ईजाद कर चुके हैं. अशोक मैती 100 से ज्‍यादा गुलाब की प्रजातियां भी विकसित कर चुके हैं. सबसे पहला गुलाब इन्‍होंने शहीद खुदीराम बोस के नाम पर निकाला. उसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रणव मुखर्जी राष्‍ट्रपति के नाम पर गोल्‍डन कलर का गुलाब ईजाद किया जो दिल्‍ली के राष्‍ट्रपति भवन में आज भी मौजूद है. इसके अलावा बोकारो के मालिक एके मिश्रा के नाम पर, अपने गांव, नदी, शिव मंदिर और पिता के नाम पर भी गुलाब की नस्‍लें विकसित कर चुके हैं. और भी उगाते हैं फल अशोक मैती बताते हैं कि आम के अलावा अब नर्सरी में अमरूद की 12 किस्‍में, नीबू, मौसमी और संतरा की 20 वैरायटी, पपीता की 3 किस्‍में, सेब, बेर और ब्‍लैकबेरी, मलबेरी, अखरोट, आलूबुखारा, जैक फ्रूट आदि की कई वैरायटीज भी उगाने लगे हैं. ये भी पढ़ें  चाय पीने वालों के लिए एक अच्‍छी, एक बुरी खबर.. शौकीन जरूर पढ़ लें, फिर ICMR की सलाह पर खुद करें फैसला Tags: Fruit Market New Rate, IIT Kharagpur, West bengalFIRST PUBLISHED : May 23, 2024, 20:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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