बेल तो मिली लेकिन बाहर आता तो रोजी-रोटी के पड़ जाते लाले CJI के पास बन गई बात

मद्रास हाईकोर्ट ने इस युवक को पहले ही छह सितंबर को जमानत दे दी थी लेकिन उसने बाहर नहीं आने का फैसला किया. इस युवक को जमान की एक शर्त पर आपत्ति थी. यही वजह है कि वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की.

बेल तो मिली लेकिन बाहर आता तो रोजी-रोटी के पड़ जाते लाले CJI के पास बन गई बात
हाइलाइट्स डीवाई चंद्रचूड़ के बेंच ने युवक की याचिका पर सुनवाई की. युवक को मद्रास हाईकोर्ट पहले ही जमानत दे चुकी है. जमानत की एक शर्त पर यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट द्वारा एक शख्‍स को जमानत दिए जाने के बावजूद भी वो खुद अपनी मर्जी से जेल से बाहर नहीं आ रहा था. ऐसा नहीं कि वो जेल से बाहर आना नहीं चाहता. अगर ऐसा होता तो फिर वो जमानत के लिए याचिका लगाता ही क्‍यों? दरअसल, इस मामले में कहानी कुछ और ही है. मद्रास हाईकोर्ट ने जमानत के साथ ऐसी शर्त लगा दी, जिसे अगर वो पूरा करने के करता तो रोजी-रोटी के लाले पड़ सकता था. हाईकोर्ट ने उसके यूट्यूब चैनल को बंदर करने की शर्त पर ही जमानत देने की बता कही. इस शख्‍स ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने अब युवक को राहत दे दी है. यूट्यूबर फेलिक्स जेराल्ड को अब अपने यूट्यूब चैनल “रेडपिक्स 24×7” को बंद करने की जरूरत नहीं है. चैनल पर अपलोड किए गए ‘सवुक्कु’ शंकर के इंटरव्‍यू में अपमानजनक टिप्पणी की गई थी. इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि इस तरह की जमानत की शर्त ऐसे मुद्दे पर अनावश्यक है. मद्रास हाईकोर्ट ने 6 सितंबर को सुनवाई के दौरान अंतरिम राहत देते वक्‍त न्यायपालिका और महिला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर सवाल उठाए थे. अब सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा, “आप न्यायपालिका और सभी महिला आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगा रहे हैं. आप इस तरह के इंटरव्‍यू क्यों आयोजित करते हैं.” यह भी पढ़ें:- अब होगा दूध का दूध और पानी का पानी! तिरुपति लड्डू विवाद पर CM ने बनाई SIT, एक्‍शन की दी खुली छूट दो मिलियन सब्सक्राइबर वाला यूट्यूब चैनल युवक के वकील ने कहा कि इंटरव्‍यू की मेजबानी नहीं करनी चाहिए थी. साथ ही यह भी कहा गया कि यूट्यूब चैनल को बंद करने का निर्देश कठोर था. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि याचिकाकर्ता का चैनल 2004 से चल रहा है और उसके 2 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर हैं. उन्होंने मोहम्मद जुबैर मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसमें याचिकाकर्ता को ट्वीट न करने की जमानत शर्त लगाने से इनकार कर दिया गया था. तमिलनाडु पुलिस ने दर्ज की थी FIR जेराल्ड पर सावुक्कू शंकर पर तमिलनाडु पुलिस ने तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धारा 4 के साथ आईपीसी की धारा 294 (बी) और 506 (1) के तहत मामला दर्ज किया था. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस तरह की जमानत शर्त इस मुद्दे से अलग है और अनावश्यक है. FIRST PUBLISHED : September 27, 2024, 14:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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