Mothers Day special: 34 साल से अनाथ बच्चियों को पाल रही है यह मां

माया हंस हजारों लड़कियों की शादियां निशुल्क करवा चुकी हैं. सभी लड़कियां अपने घर में हैं और खुश हैं. इनमें कई नौकरियां भी कर रही हैं. इन्होंने अब तक दस हजार से भी ज्यादा लड़कियों और बच्चियों की जिंदगी संवारी है.

Mothers Day special: 34 साल से अनाथ बच्चियों को पाल रही है यह मां
लखनऊ. वैसे तो हर मां अपने बच्चे पर जान न्यौछावर करती है. लेकिन, कुछ मां ऐसी भी होती हैं, जो दूसरों के बच्चों पर भी वैसा ही प्यार लुटाती हैं जैसा वे अपने बच्चों से प्यार करती हैं. लखनऊ के ऐशबाग स्थित लीलावती मुंशी बालिका बालगृह की देखरेख करने वाली माया हंस भी ऐसी ही एक मां हैं. एक वक्त था जब यहां पर पूरा परिसर 100 से 200 बच्चियों से भरा रहता था. बालगृह के अंदर और बाहर हर वक्त किशोरियों और बच्चियों के चहकने की आवाजें आती थी. लेकिन, अब यह बालगृह सुनसान है. अब इस बालगृह में सिर्फ वही बच्चियां रहती हैं जिनके माता-पिता बाहर रहते हैं और उनकी देखरेख और सही पालन पोषण के लिए वे उन्हें यहां छोड़कर गए हैं, ताकि उनकी बच्चियों लखनऊ शहर में रहकर पढ़ाई कर सकें. 34 साल से निभा रही जिम्मेदारी माया हंस पूरे बालगृह को 34 सालों से अपने कंधे पर लेकर हर एक बच्ची की मां की तरह देखभाल कर रही है. यहां की प्रभारी का माया हंस 1990 से यहां पर प्रभारी के पद पर काम कर रही हैं. हजारों किशोरियों की शादियां निशुल्क करवा चुकी हैं. सभी किशोरी अपने घर में हैं, खुश हैं और कई नौकरियां भी कर रही हैं. इन्होंने अब तक दस हजार से भी ज्यादा लड़कियों और बच्चियों की जिंदगी बनाई. यहां से जा चुकी लड़कियां हर साल 25 दिसंबर को माया हंस के जन्मदिन पर उनसे मिलने आती हैं. इकलौते बेटे को खो दिया माया हंस जो 34 सालों से बच्चियों और किशोरियों की देखभाल एक मां की तरह कर रही है उनसे जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने खुद के इकलौते बेटे को दो साल पहले ही खो दिया. अब इस दुनिया में वह पूरी तरह से अकेली हैं. अब इस बालगृह में भी अनाथ बच्चियां नहीं रहती हैं, बल्कि सिर्फ जिनके मां-बाप बाहर हैं और वो चाहते हैं कि उनकी बच्चियां लखनऊ में रहकर पढ़ाई करें और तैयारी करें उन्हें अब यहां रखा जाता है और उनकी देखभाल माया हंस एक मां की तरह ही कर रही हैं. कभी नहीं लिया क्रेडिट लीलावती मुंशी बालिका बालगृह अब लीलावती आश्रम बन चुका है. यहां वृद्ध महिलाएं भी रहती हैं और जिनकी बच्चियों यहां रहती हैं उनके माता-पिता यहां आते रहते हैं उनसे मिलने के लिए और समाजसेवी भी इस आश्रम की मदद करते रहते हैं. इसकी संचालिका का नाम रीता सिंह है, जो इस पूरे बालगृह और आश्रम को चलाती हैं. खास बात यह है कि इस बालगृह का उद्घाटन 11 मार्च 1956 में इंदिरा गांधी ने किया था. Tags: Hindi news, Mothers Day Special, Up hindi newsFIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 13:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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