रंग लाई मेहनतऑडिट अफसर के बेटे ने JEE Advanced में हासिल की 371 रैंक

अंशुमान मिश्रा ने बताया कि उनकी रैंक 371 है. इस रैंक में आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी रुड़की मिलते हैं. उन्हें दोनों में से कोई एक कॉलेज सिलेक्ट करना है.

रंग लाई मेहनतऑडिट अफसर के बेटे ने JEE Advanced में हासिल की 371 रैंक
लखनऊ.जेईई एडवांस्ड 2024 में लखनऊ के अंशुमान मिश्रा ने 371 रैंक हासिल की है. 18 साल के अंशुमान यूं तो 9वीं क्लास से ही तैयारी कर रहे थे, लेकिन यह उनका पहला प्रयास था जिसमें वह पूरी तरह से सफल हुए हैं. गोमती नगर डीपीएस से इंटर में भी 98 परसेंटेज हासिल करने वाले अंशुमान मिश्रा के पिता अस्सिटेंट ऑडिट ऑफिसर हैं. वो फिलहाल लोकल फंड ऑडिट डिपार्मेंट बाराबंकी में पोस्टेड हैं. आयुष्मान मिश्रा ने पहले प्रयास में ही यह सफलता कैसे हासिल की यही जानने के लिए जब उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी पढ़ाई के घंटे तय नहीं किए बल्कि एक लक्ष्य बनाया कि आज इतने चैप्टर पढ़ने हैं और कल दूसरे चैप्टर को पूरा करना है और इस लक्ष्य को रोज पूरा करते थे इसीलिए पहले प्रयास में सफल हो सके. मां के इस कदम से मिली सफलता अंशुमान ने बताया कि उनकी मां ने उनके मोबाइल की सारी कॉल और मैसेज अपने मोबाइल पर डायवर्ट कर ली थी. जो भी महत्वपूर्ण सूचना आती थी, उनकी मां उन्हें बता देती थीं ताकि अंशुमान अपने मोबाइल से दूर रह सके और सोशल मीडिया से भी दूरी बना सके. पूरी तैयारी में यह बेहद काम आया. मोबाइल का इस्तेमाल वह सिर्फ खाना खाते समय ही करते थे. बाकी के वक्त उनका मोबाइल मां के पास होता था. सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना है सपना अंशुमान मिश्रा ने बताया कि उनकी रैंक 371 है. इस रैंक में आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी रुड़की मिलते हैं. उन्हें दोनों में से कोई एक कॉलेज सिलेक्ट करना है. उन्होंने बताया कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना ही उनका सपना है, क्योंकि उनके भाई और बहन दोनों ही बीटेक से रहे हैं. भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. उन्हें दोनों से प्रेरणा मिली. इन्होंने पीसीएम ली और अब कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में कोर्स पूरा करके सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का सपना है. पहले एग्जाम को ही माने अंतिम एग्जाम पिता रवि शंकर मिश्रा ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे पर कभी कोई दबाव नहीं बनाया. बेटे को कितने बजे सोना है और कितने बजे उठना है यह उन्होंने तय कर रखा था. उन्होंने बेटे को यह सलाह दी थी कि अपना 100 फीसदी देकर असफल होता तो कोई बात नहीं लेकिन अपने पहले ही प्रयास को अंतिम प्रयास मानकर पेपर दे ताकि पहले ही प्रयास में सफल हो सके. उन्होंने बताया कि यही बेटे के काम आया और उसने सफलता हासिल की. Tags: Iit, JEE Exam, Local18FIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 12:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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