1965 में जिसने पाकिस्तान की हालत कर दी थी पतली वो जांबाज पायलट अब नहीं रहा

Denzil Keelor: भारतीय वायु सेना के फाइटर पायलट रहे डेन्जिल कीलोर का बुधवार को हरियाणा के गुरुग्राम में निधन हो गया. डेन्जिल कीलोर को 1965 में हुए भारत-पाकिस्त के युद्ध में जांबाज कार्यों के लिए हमेशा याद किया जाता है. इस युद्ध में उन्होंने अपनी साहस का परिचय दिया था, जिसके चलते उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

1965 में जिसने पाकिस्तान की हालत कर दी थी पतली वो जांबाज पायलट अब नहीं रहा
हाइलाइट्स डेन्जिल कीलोर को वीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है. डेन्जिल कीलोर ने गुरुग्राम में बुधवार को अंतिम सांस ली. लखनऊः प्रसिद्ध इंडियन एयर फोर्स (IAF) के फाइटर पायलट और 1965 के वॉर हीरो एयर मार्शल डेन्जिल कीलोर का 91 वर्ष की उम्र में बुधवार को निधन हो गया. रिटायरमेंट के बाद वह गुरुग्राम में रह रहे थे. एयर मार्शल कीलोर का नाम हमेशा एक जांबाज पायलट के तौर पर लिया जाता है. 1965 के वॉर में उन्होंने युद्ध के दौरान पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिये थे. उन्होंने Gnat विमान से 19 सितंबर, 1965 को पाकिस्तानी वायु सेना के F-86 सेबर जेट को मार गिराया था. उनके वीरतापूर्ण कार्यों के लिए उन्हें युद्ध के समय के तीसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार, वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. बड़े भाई ने भी दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के उनके बड़े भाई, विंग कमांडर ट्रेवर कीलर, बीच हवा में दुश्मन के विमान को मार गिराने वाले पहले भारतीय पायलट थे और उन्हें भी वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. डेन्ज़िल को नवंबर 1954 में वायु सेना में नियुक्त किया गया था और उन्होंने फाइटर स्क्वाड्रन, टैक्टिकल एयर कॉम्बैट डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट, एयर अताशे फ्रांस और फाइटर बेस के एयर ऑफिसर कमांडिंग सहित महत्वपूर्ण कमांड और स्टाफ पदों पर काम किया है. डेन्जिल कीलोर ने बांग्लादेश की लड़ाई में भी लिया था हिस्सा उनकी बहादुरी को एसएन प्रसाद की किताब, ‘द इंडिया-पाकिस्तान वॉर ऑफ 1965’ में दर्ज किया गया है, जो तकनीकी रूप से कमजोर होने के बावजूद भारतीय वायुसेना के वीरतापूर्ण प्रयासों को दिखाती है. एयर मार्शल डेन्ज़िल कीलोर ने बांग्लादेश की आजादी के लिए 1971 के युद्ध में भी हिस्सा लिया था. लेकिन 8 दिसंबर को, उनके विमान को मार गिराया गया और सुरक्षित बाहर निकलने के बाद वह घायल हो गए, जिससे उन्हें युद्ध का बाकी समय अस्पताल में रहकर गुजारना पड़ा था. बाद में कीलोर बंधुओं के सम्मान में लखनऊ रेलवे स्टेशन पर एक पट्टिका लगाई गई, जो दोनों शहर में पले-बढ़े थे. Tags: UP newsFIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 10:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed