क्यों शनिवार-रविवार को होती है छुट्टी कैसे बाजार ने वीकेंड को बनाया हैप्पी
क्यों शनिवार-रविवार को होती है छुट्टी कैसे बाजार ने वीकेंड को बनाया हैप्पी
Explainer- हफ्ते में 7 दिन होते हैं. 5 दिन वीक डेज और 2 दिन वीकेंड. हर किसी को वीकेंड का बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि इस दिन स्कूल, कॉलेज और ऑफिस बंद होते हैं. लेकिन शनिवार और रविवार कैसे बने वीकेंड, कभी सोचा है?
‘शुक्र है आज शुक्रवार है’, क्योंकि इसके बाद शनिवार और रविवार है. शुक्रवार का दिन शुरू होते ही मूड वीकेंड का सोचकर खुश होने लगता है. मन में घूमने-फिरने और पार्टी के ख्याल आने लगते हैं. छुट्टी के ये 2 दिन खुशियों का खजाना है. सोमवार से शुक्रवार तक लगातार काम करते हुए इतनी थकान और टेंशन होती है कि शनिवार और रविवार को दिमाग केवल सुकून से सोना, घूमना और खाना चाहता है. यह 2 दिन कुछ लोगों के लिए ‘फैमिली टाइम’, कुछ के लिए ‘वेकेशन टाइम’ तो कुछ के लिए ‘मी टाइम’ होते हैं. लेकिन शनिवार-रविवार को ही क्यों छुट्टी होती है? वीकेंड कैसे बना हमारी जिंदगी का खुशनुमा हिस्सा, इसकी शुरुआत कई साल पहले हुई.
वीकेंड का आस्था से गहरा कनेक्शन
ईसाई धर्म के अनुसार, ईश्वर ने केवल 6 दिन ही बनाए थे. सातवें दिन वह आराम करते थे. इसी धारणा के चलते संडे का दिन आराम और पूजा करने के लिए रखा गया. वहीं, यहूदी धर्म में शनिवार को शब्बथ कहा जाता है यानी आराम का दिन. मुस्लिम देशों में शुक्रवार को जुमा होता है. इसे भी इबादत का दिन माना गया. ऐसे में वीकेंड का जन्म अलग-अलग धर्मों की मान्यताओं से हुआ. जिस दिन ईश्वर की पूजा होती, उस दिन लोग काम नहीं करते थे. चूंकि दुनिया में ईसाई धर्म के लोग ज्यादा हैं इसलिए लगभग 200 साल पहले रविवार को ही छुट्टी का दिन माना गया.
अंग्रेजों ने दी रविवार को छुट्टी
हिंदू धर्म में हफ्ते की शुरुआत रविवार से मानी जाती है. दरअसल, यह दिन भगवान सूर्य का माना जाता है लेकिन इस दिन भारत में अंग्रेजों के आने से पहले छुट्टी नहीं होती थी. मुगलकाल में लोगों को शुक्रवार को छुट्टी दी जाती थी, क्योंकि उस दिन जुम्मे की नमाज होती थी. भारत में 1843 से ब्रिटिश हुकूमत ने रविवार को छुट्टी घोषित की लेकिन इस दिन केवल स्कूल बंद रहते थे. मजदूर हफ्ते के सातों दिन काम करते थे. ऐसे में 1857 में एक मिल में काम करने वाले मजदूर नेता मेघाजी लोखंडे ने मजदूरों के हक में आवाज उठाई और एक दिन की छुट्टी की मांग की. उनकी यह कोशिश कामयाब रही और 10 जून 1890 को ब्रिटिश भारत ने सभी वर्कर्स को छुट्टी देने का ऐलान किया. शनिवार-रविवार को ब्रिक्री बढ़ाने के लिए कई कंपनी वीकेंड सेल या वीकेंड स्पेशल ऑफर निकालती हैं. (Image-Canva)
भारत सरकार ने रविवार को कभी घोषित नहीं की छुट्टी
अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था ISO ने रविवार की छुट्टी को 1986 में मान्यता दी, लेकिन आप हर संडे को जो मजे से छुट्टी मनाते हैं, उसकी घोषणा कभी भारत सरकार ने की ही नहीं है. रविवार की छुट्टी अंग्रेजो ने शुरू की. भारत जब आजाद हुआ, तो किसी भी एक खास दिन को छुट्टी का दिन घोषित नहीं किया गया. फैक्ट्री एक्ट 1948 के अनुसार, मजदूर एक दिन में 9 घंटे और हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम नहीं कर सकते हैं. संडे भारत सरकार का ऑफिशियल हॉलिडे नहीं है, इसका खुलासा एक RTI में हुआ. यह RTI जम्मू के रमन शर्मा नाम के एक्टिविस्ट ने लगाई थी, जिसका जवाब 2012 में भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने दिया.
रविवार के साथ कैसे जुड़ा शनिवार
1800 तक मजदूरों को केवल रविवार को ही छुट्टी दी जाती थी. 6 दिन काम करने के बाद मजदूर बहुत थक जाते थे. इसके बाद औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई. फैक्ट्री मालिक मजदूरों से 6 दिन काम करने को कहते और उनका शोषण करते थे. उस समय मजदूर फैक्ट्री में काम करने के साथ ही अपने खेतों को भी संभालते थे. फैक्ट्री में काम करने के कारण वह अपने खेतों पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे. इससे नाराज मजदूर हड़ताल करने लगे. वहीं इंग्लैंड में 1884 इंग्लैंड में शनिवार को हाफ डे यानी आधे दिन काम करने का कैंपेन शुरू हुआ.
फोर्ड ने दी कर्मचारियों को 2 दिन की छुट्टी
दुनिया की सबसे मशहूर मोटर कंपनी ‘फोर्ड’ के मालिक और अमेरिका के बिजनेसमैन हेनरी फोर्ड ने दुनिया में पहली बार अपनी कंपनी के कर्मचारियों को 5 दिन काम करने और 2 दिन वीकेंड पर छुट्टी देने की शुरुआत की. उन्होंने इसका फैसला बिजनेस को बढ़ाने के लिए किया था. दरअसल वह बाजार के इस नियम को समझ गए थे कि कर्मचारी ही सबसे बड़े ग्राहक हैं और वह कारें ग्राहकों के लिए बनाते हैं. जब यह ग्राहक 2 दिन की छुट्टी पर होंगे तो अपने परिवार के साथ घूमेंगे. घूमने के लिए उन्हें कार की जरूरत होगी जिसे वह शोरूम से खरीदने जरूर आएंगे. भारत में कई कंपनियां केवल रविवार को ही छुट्टी देती हैं. (Image-Canva)
वीकेंड से मिलती है खुशी
न्यूयॉर्क की यूनिवर्सिटी ऑफ चेस्टर ने एक स्टडी की जिसमें पाया गया कि लोग वीकडेज के मुकाबले वीकेंड पर ज्यादा खुश रहते हैं. शनिवार और रविवार का दिन उनकी मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखता है. यह दिन आजादी महसूस करवाकर इंसान को पॉजिटिव बनाते हैं. मनोचिकित्सक प्रियंका श्रीवास्तव कहती हैं कि वीकेंड शब्द सुनते ही लोग रिलैक्स हो जाते हैं. दरअसल वीकेंड पर लोग अपने हिसाब से अपना दिन प्लान करते हैं. इन 2 दिनों में शॉपिंग, फैमिली गैदरिंग, हॉबी, स्पा सेशन जैसी हर वह एक्टिविटी शामिल होती है जिससे उन्हें खुशी मिलती है. वहीं मंडे को लोगों का मूड सबसे खराब रहता है. इसे मंडे ब्यूज भी कहते हैं. मॉन्स्टर डॉट कॉम के सर्वे के अनुसार, अमेरिका में अधिकतर लोगों का मूड रविवार की रात से ही खराब होने लगता है क्योंकि सोमवार को उनका ऑफिस होता है. इसे संडे नाइट ब्यूज नाम दिया गया. सर्वे में 76% लोगों ने संडे नाइट को बहुत खराब बताया.
वीकेंड पर ज्यादा पैसे खर्च करते हैं लोग
वीकडेज के मुकाबले लोग वीकेंड पर ज्यादा पैसा खर्च करते हैं. 2023 में हुए सिंपल नाम की कंपनी के सर्वे के अनुसार, 2023 में जनवरी से नवंबर तक हर वीकेंड पर 150% तक ब्रिकी बढ़ी. लोगों ने ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर दोपहर 1 से 3 बजे और शाम 7 से 9 बजे तक सबसे ज्यादा शॉपिंग की. यहीं नहीं लोग सबसे ज्यादा इन्हीं दो दिनों में होटल और रेस्त्रां में खाना खाते हैं. बाजार भी लोगों की इस आदत को समझता है. हुप्पर की स्टडी के अनुसार, वीकेंड पर होटल के दाम 25% तक बढ़ जाते हैं. वहीं फ्लाइट्स वीकेंड के मुकाबले वीकडेज में 20% तक सस्ती मिलती हैं. ग्राहकों के इस खर्चीले मिजाज को फिल्म इंडस्ट्री ने भी भुनाया. 1939 में हॉलीवुड में पहली बार फिल्में शुक्रवार को रिलीज होने का ट्रेंड शुरू हुआ ताकि वीकेंड पर फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर खूब कमाने का मौका मिले. भारत में यह रीत फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ से शुरू हुई. 5 अगस्त 1960 को शुक्रवार का दिन था और फिल्म में कितनी सुपरहिट हुई, यह सब जानते हैं.
Tags: Bank Holiday, British Raj, Lifestyle, Saturday-sunday, Us marketFIRST PUBLISHED : September 15, 2024, 12:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed