सेब पर क्यों लगा होता है स्टीकर 99% लोग नहीं जानते सच छिपी है गहरी बात
सेब पर क्यों लगा होता है स्टीकर 99% लोग नहीं जानते सच छिपी है गहरी बात
आप भी स्टिकर लगे सेब खरीदते हैं और सोचते हैं कि ये ताजा, महंगे और बेस्ट क्वालिटी के हैं तो ये खबर आपके लिए है. क्या कभी आपने उस स्टिकर में लिखी जानकारी पढ़ी है? अगर नहीं तो पहले ये खबर पढ़ें और आज बाद स्टिकर पर लिखी चीजें जरूर पढ़ें, इसके बाद आप कभी गलत सेब खरीदकर नहीं लाएंगे.
अक्सर आपने बाजार से सेब या अन्य कोई फल खरीदते समय देखा होगा कि उस पर एक स्टीकर चिपका होता है. जब हम घर ले जाकर सेब को खाने के लिए काटते हैं तो कई बार ऐसा होता है कि जिस जगह स्टीकर लगा है, वहीं से सेब सड़ा हुआ है या खराब है. या फिर अगर आपने महंगा सेब खरीदा है तो संभव है कि वह खराब न हो और आपको दुकानदार ने यह कहकर बेचा हो कि एक्सपोर्ट क्वालिटी का सेब है, सबसे बेस्ट है, इसीलिए महंगा है और स्टीकर को देखकर हम लोग भी भरोसा भी कर लेते हैं. लेकिन आपको बता दें कि स्टीकर का मतलब खराब जगह को ढकना या बेस्ट क्वालिटी, दोनों में से कुछ भी नहीं है, बल्कि एकदम ही अलग है.
स्टीकर वाले सेब ले जाने के बाद न तो हम लोग इन स्टीकर्स पर लिखी चीजों को पढ़ते हैं और न ही कभी सोचते हैं कि हर सेब पर स्टीकर लगाने का मतलब क्या है? यही वजह है कि 99 फीसदी लोगों को नहीं पता कि सेब पर स्टीकर क्यों चिपका होता है. आइए आज बताते हैं आपको..
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दिल्ली के जाने माने नेचुरोपैथ अमूल्य नागेंद्र बताते हैं कि सेब ही नहीं आजकल संतरा के ऊपर भी स्टीकर लगा आ रहा है. स्टीकर वाले चमकते सेबों के देखकर अक्सर लोग समझते हैं कि ये पक्का महंगे होंगे. कई बार दुकानदार भी स्टीकर लगे सेबों की कीमत ज्यादा वसूलते हैं, जबकि स्टीकर का सीधा-सीधा संबंध सेहत से है, न कि कीमत से. जब भी आप सेब खरीदने जाएं तो सेब पर लगे स्टीकर को जरूर पढ़ें क्योंकि इसमें ऐसी जानकारी लिखी होती है जो आपको बताती है कि आप क्या खा रहे हैं?
स्टीकर में होता है ये सब
नागेंद्र कहते हैं कि फलों पर चिपके स्टीकर्स में उसकी कीमत और एक्सपायरी डेट के अलावा एक पीएलयू यानि कि Price look-up code कोड लिखा होता है. यह कोड फलों की क्वालिटी को दर्शाता है और बताता है कि यह फल कैसे उगाया गया है. पीएलयू कोड में 3 प्रमुख विशेष कोड होते हैं.
4 से शुरू होने वाला कोड..
कुछ सेब या फलों पर लगे स्टीकर में चार अंको की संख्या लिखी होती है. इस कोड की शुरुआत अंक 4 से शुरू होती है, जैसे 4026, 4987 आदि. इसका मतलब है कि इस तरह के फल कीटनाशक और रसायनों द्वारा उगाए गए हैं. इनमें पेस्टिसाइड्स का भरपूर इस्तेमाल किया गया है. ये फल सबसे सस्ते होते हैं. इन्हें खाने का मतलब है कि आप खाद और कीटाणुनाशक वाला फल खरीद रहे हैं.
8 से शुरू होने वाला कोड..
कुछ फलों के स्टीकर्स में पांच अंकों की संख्या लिखी होती है, लेकिन इस कोड की शुरुआत 8 के अंक से होती है, जैसे 84131 या 86532 आदि लिखा होता है. इससे साफ है कि इन फलों में अनुवांशिक रूप से संशोधन किया गया है. ये फल भी ऑर्गनिक नहीं होते और जीएम फसल के फल के रूप में सामने आते हैं. ये कीटनाशकों वाले से थोड़े महंगे हो सकते हैं, इनके फायदे नुकसान दोनों हैं.
9 के अंक से शुरू होने वाला कोड
कुछ फलों में 9 के अंक से शुरू होने वाला 5 अंक का कोड होता है. जैसे फल पर 93435 लिखा होता है. इसका अर्थ है कि ये फल जैविक रूप से उगाए गए हैं. इनमें कोई कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं हुआ. ये सबसे सुरक्षित फल कहलाता है और कीमत में महंगा होने के साथ ही सेहत के लिए लाजवाब होता है.
नकली स्टीकर्स को भी पहचानें
अमूल्य नागेंद्र कहते हैं कि आजकल भारत के बाजारों में सेब और संतरा आदि पर स्टीकर्स तो लगे होते हैं लेकिन उन पर कोई कोड लिखा होने के बजाय एक्सपोर्ट क्वालिटी, बेस्ट क्वालिटी या प्रीमियम क्वालिटी जैसे शब्द लिखे होते हैं. ये नकली स्टीकर होते हैं. ये खरीदारों को बरगलाने के लिए लगाए जाते हैं और इनमें ऐसे गोंद का इस्तेमाल किया जाता है जो खराब होता है. ऐसे में जब भी ऐसे सेब को खरीदें तो देखभाल कर खरीदें और खाने से पहले अच्छी तरह गर्म पानी में धो लें. वहीं स्टीकर वाली जगह की स्किन को चाकू से काटकर निकाल दें.
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Tags: Fruit Market New Rate, Health News, Lifestyle, Trending newsFIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 13:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed