क्या भारत में भी फैल सकता है मंकीपॉक्स अभी तक कितने आए केस क्या हैं लक्षण
क्या भारत में भी फैल सकता है मंकीपॉक्स अभी तक कितने आए केस क्या हैं लक्षण
मंकीपॉक्स के मामले अभी तक बाहर के देशों में देखे गए हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि यह भारत नहीं आ सकता. डब्ल्यूएचओ ने भी इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. आइए जानते हैं मंकीपॉक्स को लेकर सभी डिटेल्स...
एक बार फिर कोरोना की तरह ही मंकीपॉक्स बीमारी ने डराना शुरू कर दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने और मध्य अफ्रीका के अलावा स्वीडन में भी इसका एक मामला सामने आने के बाद भारत में भी इसका खतरा मंडरा रहा है. हालांकि पहले से ही चिकनपॉक्स और स्मॉलपॉक्स जैसी बीमारियों से लड़ चुके भारत में क्या अब मंकीपॉक्स भी फैल सकता है? आइए एक्सपर्ट से जानते हैं.
नई दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. सुनीत के सिंह कहते हैं कि मंकीपॉक्स को लेकर भारत में अभी तक कोई खतरा नहीं है लेकिन जब भी किसी बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया जाता है तो इसका सीधा मतलब है कि सजग होने की जरूरत है क्योंकि यह बीमारी जहां फैली है, वहां से निकलकर अन्य जगहों पर भी पहुंच सकती है.
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कितने आए मंकीपॉक्स के मामले
डॉ. सुनीत कहते हैं कि अभी देखा जाए तो मंकीपॉक्स सिर्फ सेंट्रल अफ्रीका में ही मौजूद है. हालांकि साल 2024 में मंकीपॉक्स के मामले दक्षिण अफ्रीका के बाहर के देशों में भी मिले हैं. मंकीपॉक्स बीमारी 1970 के दशक में सबसे पहले मध्य अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में देखी गई थी. उसके बाद 2022 में भी इस बीमारी का आउटब्रेक कांगो में ही हुआ और एक भी केस दुनिया के किसी भी देश में देखने को नहीं मिला. वहीं भारत की बात करें तो अभी तक यहां मंकीपॉक्स का एक भी मामला सामने नहीं आया है.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
हालांकि अभी तक केस न आने का मतलब ये नहीं कि यह किसी भी देश में फैल नहीं सकता. मंकीपॉक्स का संक्रमण कहीं भी हो सकता है. रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है यह बीमारी ज्यादातर सेक्सुअली ट्रांसमिट हो रही है.
मंकीपॉक्स के लक्षण
डॉ. सुनीत के सिंह कहते हैं कि मंकीपॉक्स के लक्षण चिकनपॉक्स या स्मॉलपॉक्स की तरह ही हैं.
. शरीर पर दाने, फुंसी, फफोले या रैश पड़ जाना
. इन छालों में दर्द और मवाद पड़ना
. बुखार
. सिरदर्द
. ठंड लगना
. लिम्फ नोड का सूजना
. पीठ दर्द
. मांसपेशियों में खिंचाव
. गले में दर्द और खराबी
मंकी पॉक्स से हो जाती है मौत?
अभी तक की रिपोर्ट बताती हैं कि मंकीपॉक्स का क्लेड वन वेरिएंट जो अभी सेंट्रल अफ्रीका में फैला हुआ है वह इसके पहले आए क्लेड 2 स्ट्रेन से ज्यादा गंभीर है. यही वजह है कि मध्य अफ्रीका में मंकीपॉक्स के केस लगातार बढ़ रहे हैं और वहां डेथ भी हुई हैं. इस बीमारी का डेथ रेट 11 फीसदी है.
कैसे करें बचाव?
डॉ. सुनीत सिंह कहते हैं कि चूंकि यह वायरस मुख्य रूप से मध्य अफ्रीका में जन्मा है और उसी के आसपास फैल रहा है. ऐसे में भारत जैसे देश में बॉर्डर एरियाज में निगरानी और स्क्रीनिंग शुरू कर देनी चाहिए. अगर कोई व्यक्ति प्रभावित देशों की यात्रा कर आ रहा है या वहीं का नागरिक भारत आ रहा है, तो उसकी जांच हो, ताकि यह संक्रमण भारत न आ सके. वहीं यहां पर भी सतर्कता और सफाई का ध्यान रखना जरूरी है.
क्या मंकीपॉक्स की वैक्सीन है?
डॉ. सुनीत कहते हैं कि लाइव वैक्सीनिया वायरस को इस्तेमाल कर बनाई गई मंकीपॉक्स की अमेरिकी वैक्सीन भी मौजूद है. यह वैक्सीन इस बीमारी से रोकथाम में कारगर है. जहां यह बीमारी फैली है वहां इस वैक्सीन को लगवाने के लिए लोगों को आगे आना चाहिए.
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Tags: Health News, WHO Guideline, World Health OrganisationFIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 13:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed