हिमाचल का वो गांव जिसे कहते हैं ‘मिनी इजराइल’ वहां पर आजकल क्या हैं हालात

Ground Report: इजराइल और इराक में युद्ध के बीच हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के मैक्लोडगंज से करीब 2 किलोमीटर दूर धौलाधार की गोद में बसे धर्मकोट गांव में इजराइली पर्यटक भरे पड़े हैं. यहां पर इजराइल से आए कई बुजुर्ग और युवा रुके हुए हैं.

हिमाचल का वो गांव जिसे कहते हैं ‘मिनी इजराइल’ वहां पर आजकल क्या हैं हालात
धर्मशाला. भगवन ईशू की बड़ी सी मूर्ति और प्रार्थना सभा. भीड़ में महिलाएं, बुजुर्ग और युवा…सभी नजर आ रहे हैं. सभी एक साथ भगवान से दुआ मांग रहे हैं. ये लोग हाल ही में इजरायल में हुए अटैक में मारे गए वतन वासियों की आत्मा की शांति के प्रार्थना कर रहे हैं. उधर, धर्मकोट की गलियों और पगडंडियों पर इजरायलियों की कदम-ताल देखी जा सकती है. इजरायल की ईरान और हमास के साथ जंग के बीच न्यूज18 ने  हिमाचल प्रदेश के  ‘मिनी इजराइल’ का ग्राउंड पर जाकर जायजा लिया. दरअसल, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के धर्मकोट गांव को ‘मिनी इजराइल’ कहा जाता है. एक छोटा सा गांव, जो अब धर्मशाला नगर निगम का हिस्सा है, इन दिनों चहल-पहल से गुलजार है. इजराइल-ईरान में युद्ध छिड़े होने के बावजूद भी मैक्लोडगंज से करीब 2 किलोमीटर दूर धौलाधार की गोद में बसा धर्मकोट इलाका इजराइली पर्यटकों से भरा पड़ा है. मौजूदा समय में धर्मशाला के धर्मकोट गांव की वादियां स्थानीय लोगों की बजाय इजराइलियों की चहल-पहल से ज्यादा गुलज़ार रहती हैं. हालांकि, धर्मकोट प्रदेश के सबसे बड़े गद्दी समुदाय के लोगों की पुस्तैनी जागीरों वाला धौलाधार की गोद में बसा बेहद ही रमणीक और छोटा सा गांव है. बावजूद  इसके आज की तारीख़ में इस गांव को गद्दियों के गांव की बजाय इजराइलियों के होने की वजह से बहुत पहचान मिली है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अब इस इलाके की पहचान है. बावजूद इसके जब से हमास और इजराइल के बीच में संघर्ष शुरू हुआ है, तब से यहां रहने वाले इजराइलियों में भी अव्यवस्था का माहौल देखा जा रहा है. पिछले साल इन महीनों में एकाएक तमाम इजराइली नागरिक अपने घर वापस चले गए थे. हालांकि, संघर्ष अभी भी बरकरार है और इस बार अक्टूबर महीने में जिस तरह से इजराइलियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, उसे हैरत के तौर पर देखा जा रहा है. होटल एसोसिएशन धर्मशाला के महासचिव और धर्मकोट में थ्री स्टार होटल के मालिक संजीव गांधी ने बताया कि इस साल इजराइल से आए कई बुजुर्ग और युवा इस इलाके में रुके हुए हैं. इनमें से ज्यादातर करीब दो महीने पहले ही धर्मकोट वापस आ गए हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल जब इजराइल में युद्ध छिड़ा था, तो ज्यादातर इजराइली पर्यटक चले गए थे. हालांकि, पिछले दो महीने से वे बड़ी संख्या में वापस आ गए हैं. उन्होंने बताया कि धर्मकोट इलाके में वापस आए ज्यादातर इजराइली पर्यटक या तो बुजुर्ग हैं या फिर युवा हैं. अपने वतनवासियों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते लोग. अहम बात है कि इस क्षेत्र में इजरायली पर्यटकों का दबदबा इस बात से स्पष्ट है कि इस क्षेत्र के अधिकांश रेस्तरां इजरायली व्यंजन परोसते हैं और रेस्तरां के साइन बोर्ड और मेनू भी हिब्रू भाषा में लिखे गए हैं और दिवारों पर भी जो कुछ लिखा गया है, वह हिब्रू में है. 30 साल पहले से यहां पर आने लगे इजरायली धर्मकोट निवासी विवेक ने कहा कि इजरायली पर्यटकों ने करीब तीन दशक पहले धर्मकोट आना शुरू किया था. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच धर्मकोट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि उनमें से कई लोग धर्मकोट के निवासियों के लिए परिवार की तरह हैं.  होटल एसोसिएशन धर्मशाला के अध्यक्ष अश्वनी बाँवा ने बताया कि धर्मकोट  कि पिछले कुछ वर्षों में कोरोना महामारी के कारण और मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्ष के बाद क्षेत्र में इजरायली पर्यटकों का आगमन कम हुआ है. मगर यह धर्मकोट क्षेत्र के लिए ये अच्छी खबर है कि उनके देश में युद्ध छिड़े होने के बावजूद भी बड़ी संख्या में इजरायली पर्यटक क्षेत्र में लौट आए हैं और हमने उनका स्वागत करते है, क्योंकि धर्मकोट उनके लिए दूसरे घर जैसा है. वहीं होटल एसोसिएशन के सचिव दीपक जोड़ा ने कहा कि धर्मकोट घरेलू पर्यटन उद्योग का एक आदर्श उदाहरण है जिसे राज्य सरकार बढ़ावा देना चाहती है. हिब्रू भाषा में रंगी धर्मकोट की दिवारें. इजरायलियों ने बातचीत से किया इंकार तमयूर नाम के एक इजरायली युवक ने कहा कि उनके देश में अशांति का माहौल है, मगर फिर भी उनका हर एक नागरिक आंतरिक और बाह्य तौर पर पुर्णत सशक्त है, वो कुछ समय के लिये यहां आये हैं, यहां आकर उन्हें बेहद शांति और सुकून मिलता है. वह कहते हैं कि हजारों की संख्या में इजरायली यहां आते हैं और कुछ पुष्कर और साउड इंडिया चले जाते हैं. उन्हें यहां का खाना बेहद पंसद है. हालांकि, बहुत जल्दी वो वापस जाकर अपनी आर्मी ज्वाइन करके देश सेवा में जुट जाएंगे. हमारे पास इसके इलावा  दूसरा कोई और चारा नहीं होता है.हालांकि, यहां पर बहुत से इजरायली से न्यूज18 ने बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन सभी ने इंकार किया. तमयूर नाम के एक इजरायली युवक ने कहा कि उनके देश में अशांति का माहौल है. गांव में लोगों के लिए आमदनी पिछले कुछ वर्षों में कोरोना महामारी के कारण क्षेत्र में इजरायली पर्यटकों का आगमन कम हुआ था. लेकिन अब टूरिस्ट बढ़े हैं. विदेशियों, विशेष रूप से इजरायली पर्यटकों की लगातार मांग के कारण, गांव के अधिकांश निवासियों ने अपने घरों को गेस्ट हाउस में बदल दिया था. वे पीक सीजन में पर्यटकों से एक कमरे के लिए 800 रुपये से 1500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क लेते थे. काबिलेगौर है कि हर साल करीब 20,000 इजरायली इस गांव में आते हैं. कई इमारतों और एक ख्वाद हाउस (यहूदी सामुदायिक केंद्र) पर हिब्रू भाषा में दीवार लेखन गांव में इजरायलियों की मजबूत उपस्थिति को दर्शाता है.इजरायली पर्यटकों को यह गांव इतना पसंद आया कि कुछ ने तो यहां अपनी शादियां भी कर ली हैं. गौरतलब है कि इजरायली पर्यटक लगभग पूरे साल गांव में मौजूद रहते हैं. Tags: Hamas attack on Israel, Himachal Pradesh News Today, Israel air strikes, Israel Iran War, Shimla News TodayFIRST PUBLISHED : October 31, 2024, 08:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed