हिमाचल चुनावः जिस सियासी दल ने किया कांगड़ा का किला फतेह उसी की प्रदेश में बनेगी सरकार

Himachal Assembly Elections: कांगड़ा जिला आबादी के हिसाब से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है. 2002 तक यहां 16 विधानसभा सीटें थीं. डिलिमिटेशन के बाद 2007 से कांगड़ा में 15 सीटें रह गईं. प्रदेश की कुल 68 सीटों की लिहाज से एक चौथाई से कुछ ज्यादा सीटें कांगड़ा जिले में हैं.

हिमाचल चुनावः जिस सियासी दल ने किया कांगड़ा का किला फतेह उसी की प्रदेश में बनेगी सरकार
हाइलाइट्सचुनाव में कांगड़ा ने जिस दल को जनादेश दिया है, सरकार भी उसी की बनी.प्रदेश की कुल 68 सीटों की लिहाज से एक चौथाई से कुछ ज्यादा सीटें कांगड़ा जिले में हैं. धर्मशाला. हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है. अब नतीजों के लिए 8 दिसंबर का इंतजार किया जा रहा है.  देवभूमि में मतदान के बाद सियासी पंडित आये रोज अपनी अंगुलियों पर गणना करके कभी कांग्रेस तो कभी BJP की सरकार बना रहे हैं. लेकिन, असल में सरकार तो उसी दल की बनेगी, जिसके पक्ष में कांगड़ा का जनादेश पहले ही EVM में कैद हो चुका है. बावजूद इसके ये भी सियासत का एक अजब पहलू है कि सूबे में साल 1985 से लेकर अब तक के 37 साल के गुजरे इतिहास में कांगड़ा ने जिस दल को अपना जनादेश दिया है, सरकार भी उसी की बनी है. ज़ाहिर है कि इस बार भी कांगड़ा ही ‘किंग मेकर’ की भूमिका निभाएगा. कांगड़ा का वर्तमान यानी 2017 से 2022 के बीच की सियासी स्थिति ये है कि BJP के पास 11,  कांग्रेस के 3 और एक निर्दलीय विधायक है. हालांकि, इनमें से कांग्रेस विधायक पवन काजल और निर्दलीय होशियार सिंह BJP में शामिल हो चुके हैं और इस गणित के तहत कांगड़ा में भाजपा के पास 13 विधायक कहे जा सकते हैं, मगर, टिकट न मिलने पर होशियार सिंह बागी भी हो चुके हैं. ये भी यहां की सियासत का स्याह सच है. बेशक मौजूदा विधानसभा में भाजपा का दबदबा है. मगर, आंकड़े बताते हैं कि एक बार जिस दल को कांगड़ा जिले ने सत्ता का स्वाद चखाया है, दूसरी बार उसी दल को सत्ता से दूर भी कर दिया है. कांगड़ा जिला उलट-फेर के लिए भी मशहूर है. 2017 में BJP ने जीतीं 11 सीटें  साल 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कांगड़ा में 11 सीटें जीतकर प्रदेश में 44 सीटों के पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता हासिल की, इस दौरान कांगड़ा में कांग्रेस महज तीन सीटों तक ही सिमट गई और कांगड़ा से एक निर्दलीय विधायक भी जीते, हालांकि भाजपा ने कार्यकाल के अंत तक कांग्रेस की एक सीट के साथ निर्दलीय को भी अपने कुनबे में मिलाकर सीटो में इजाफा कर लिया. साल 2012 में कांगड़ा में कांग्रेस ने 10 सीटें जीतीं, जबकि BJP मात्र 3 सीटों पर सिमट गई और 2 आजाद विधायकों ने बाजी मारी थी, जिसमें कि तब के भाजपा के बागी पवन काजल ने भी जीत हासिल करते हुये वीरभद्र सिंह की अगुवाई में कांग्रेस का दामन थामा. उन्हें मिलाकर कांग्रेस के 11 विधायक थे. 2007 में BJP ने 9 सीटें जीतीं 2007 में BJP ने कांगड़ा जिले में 9 सीटें जीती थीं, तब कांग्रेस के 4 MLA, 1 बसपा, 1 आजाद जीतकर विधानसभा पहुंचा. उस दौरान प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.  साल 2002 में कांगड़ा जिले में कांग्रेस के 11 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. तब BJP के 4 और एक आजाद उम्मीदवार चुनाव जीता. उस दौरान वीरभद्र सिंह 5वीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. साल 1998 में BJP ने कांगड़ा में 10 सीटें जरूर जीतीं, लेकिन प्रदेश में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया और दोनों दलों को 31-31 सीटें मिली थीं, जबकि 6 निर्दलीय विधायकों ने बाजी मारी. ऐसे में उस वक्त भी कांगड़ा जिले से ही ताल्लुक रखने वाले आजाद विधायक रमेश चंद ध्वाला के समर्थन से ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बन पाई और प्रेम कुमार धूमल पहली बार सूबे के मुख्यमंत्री बने थे. 1993 में कांगड़ा में कांग्रेस के 12 विधायक जीते साल 1993 के चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश में 52 सीटें जीतीं, तब कांगड़ा में कांग्रेस के 12 विधायक जीतकर आए. BJP केवल 3 ही विधायक जीत पाई थी और एक आजाद जीतकर विधानसभा पहुंचा था.  1990 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने जनता दल के साथ मिलकर लड़ा और प्रदेश में 46 विधायक BJP, 11 जनता दल के जीतकर आए. कांगड़ा में 12 विधायक BJP के जीते. कांग्रेस के केवल सुजान सिंह पठानिया ही चुनाव जीत पाए थे. साल 1985 में कांगड़ा की 11 सीटों को मिलाकर कांग्रेस 58 सीटें जीती थीं, तब BJP कांगड़ा में मात्र 3 सीटें जीत पाई थी. 2 निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. प्रदेश की 68 में से 15 सीटें अकेले कांगड़ा में कांगड़ा जिला आबादी के हिसाब से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है. 2002 तक यहां 16 विधानसभा सीटें थीं. डिलिमिटेशन के बाद 2007 से कांगड़ा में 15 सीटें रह गईं. प्रदेश की कुल 68 सीटों की लिहाज से एक चौथाई से कुछ ज्यादा सीटें कांगड़ा जिले में हैं. ऐसे में हर सियासी दल की नजर कांगड़ा के किले को चाक चौबंद रखने में लगी रहती है. बावजूद इसके हर पंचवर्षीय योजना के तहत सियासी दलों को कांगड़ा की रियाया से मुंह की ही खानी पड़ती है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Himachal Assembly Elections, Himachal pradesh, Himachal Pradesh Assembly Election, Kangra districtFIRST PUBLISHED : November 22, 2022, 06:56 IST