कहते हैं न… कुछ लोग बने ही होते हैं कुछ बड़ा करने के लिए. ऐसी ही कहानी है एक लड़की की. वह पहले एक अच्छे इंस्टीट्यूट से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करती है. फिर पुणे के एक नामी संस्थान से एमबीए करती है. इसके बाद कॉरपोरेट सेक्टर में उसे एक शानदार पैकेज वाला जॉब मिलता है. वह पांच साल तक उसी नौकरी में सीनियर बिजनेस डेवलपर के रूप में काम करती है. इस नौकरी की बदौलत वह शानदार घर और गाड़ी की मालकीन बनती है. उस लड़की की लाइफ पूरी तरह सेट दिखती है. महानगर की शानदार जिंदगी होने के बावजूद उसको अपने गांव की गलियां और मिट्टी की वो खुशबू याद आती है. फिर वह अचानक एक दिन यह सब छोड़कर गांव लौट जाती है.
वहां वह ऐसा काम शुरू करती है जो आमतौर पर कोई भी पढ़ा-लिखा युवा करना नहीं चाहता है. वह अपने पिता और भाई के साथ मिलकर करीब 20 एकड़ जमीन में सब्जी की खेती शुरू करती है. वह उस खेती को पूरी तरह से नए अंदाज और तकनीक के जरिए करती है. फिर क्या था. देखते ही देखते वह कुछ ऐसा कर लेती है जो आसपास ही नहीं देश भर के युवाओं के लिए वह एक मिशाल बन जाती है.
किसान परिवार की बेटी
दरअसल, यह कहानी है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की स्मारिका चंद्राकर की. वह एक सफल कॉरपोरेट करियर को छोड़कर एक फुल टाइम किसान बन गई हैं. वह चारमुदिया गांव में पली-बढ़ी. फिर रायपुर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. बीटेक के बाद वह पुणे चली गई और वहां से एमबीए किया. स्मारिका का परिवार परंपरागत रूप से किसान है. ऐसे में वह पहले से ही किसानी के बारे में काफी कुछ जानती थीं.
पुणे से एमबीए करने के बाद वह वहीं एक कॉरपोरेट कंपनी में जॉब करने लगी. फिर वह वहां सीनियर बिजनेस डेवलपमेंट एग्जीक्यूटिव बन गईं. लेकिन, उनको जॉब में वो संतुष्टि नहीं मिल रही थी जिसकी उनको चाहत थी. फिर स्मारिका अपने परिवार के पास रायपुर ट्रांसफर ले लिया. फिर वह अपने परिवार वालों के साथ शनिवार-रविवार को खेत में जाने लगीं. इस दौरान वह अपने पिता-दादा से खेती से बेहतर कमाई के बारे में बातें करने लगीं. फिर क्या था वह कुल अलग तरीके से खेती करने के बारे में सोचने लगीं. फिर उन्होंने पहले जॉब में रहते हुए इस काम को शुरू किया. इसको अमलीजामा पहनने के बाद उन्होंने अपने पिता और भाई के साथ धारा कृषि फार्म की शुरुआत कर दी.
20 एकड़ में सब्जी की खेती
उन्होंने अपने खेत में धान-गेहूं बोने की बजाय सब्जी की खेती शुरू की. इससे उनका मुनाफा बढ़ गया. फिर वह 20 एकड़ जमीन में खब्जी उगाने लगी. इसके बाद वह 2021 में अपनी नौकरी छोड़कर फुल टाइम किसान बन गईं. स्मारिका ने अपने बिजनेस डेवलपमेंट के अनुभव को खेती में अजमाया और फिर कम समय में पैदा होने वाली सब्जियों की खेती पर फोकस किया. उनका यह ट्रिक कारगर साबित हुआ.
इस दौरान उन्होंने आधुनिक खेती और टेक्नोलॉजी के बारे में काफी शोध कार्य किया. फिर उन्होंने अपने खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए गाय के गोबर और वर्मीपोस्ट का इस्तेमाल किया. खेत के फेंसिंग करवाई. प्रोपर ड्रेनेज सिस्टम लगाया और डीप एरिगेशन का तरकीब अपनाया. उन्होंने एक कृषि विशेषज्ञ को हायर किया. इस तरह उन्होंने पहले ही साल में एक एकड़ जमीन पर 50 टन टमाटर की पैदावार की. इसके बाद से स्मारिका ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने खेती के काम में कई लोगों को रोजगार दिया है. आज वह हर साल 1.5 से 2 करोड़ रुपये की कमाई कर रही हैं.
FIRST PUBLISHED : July 14, 2024, 12:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed