कोटाः कोचिंग टीचर्स पाते हैं IIT से पांच गुना ज्यादा पैकेज शिकार किए जा रहे नामी शिक्षक
कोटाः कोचिंग टीचर्स पाते हैं IIT से पांच गुना ज्यादा पैकेज शिकार किए जा रहे नामी शिक्षक
What is the highest salary of Kota teachers? कोविड-19 के संक्रमण के चलते जब देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई, उस दौरान, भौतिकी के शिक्षक आकाश गांधी (बदला हुआ नाम) ने 2020 में बंसल क्लासेस से अनअकेडमी में जाने का फैसला लिया. उन्हें 1.3 करोड़ रुपये का पैकेज मिला.
हाइलाइट्सकोटा में अनअकेडमी और फिजिक्सवाला ने ऑफलाइन ट्यूशन सेंटर खोला है. अनअकेडमी ने 30 शिक्षकों की भर्ती पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.ज्यादातर शिक्षक आईआईटी के पूर्व छात्र हैं और अपने विषय के पारंगत हैं.
निखिल पटवर्धन
आकाश गांधी कहते हैं कि यहां (बंसल क्लासेस में) ऑनलाइन और डिजिटिल सुविधाएं कोई खास नहीं थीं. अन्य मौजूदा कक्षाओं का भी यही हाल था. हममें से अधिकांश को जूम पर लेक्चर देना होता था. मुझे लगा कि ऐसे में उस संस्था से जुड़ना बेहतर होगा जिसने डिजिटल प्लेटफॉर्म का सही इस्तेमाल किया हो और मुझे अनअकेडमी से बेहतर कोई नहीं लगा.
आकाश गांधी कहते हैं कि अनअकेडमी ने मेरे मौजूदा वेतन में अच्छी खासी वृद्धि की पेशकश दी और उनका ऑनलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर भी बेहतर था. लेकिन कुछ महीनों के बाद ही मुझे क्लासरूम का माहौल याद आने लगा. हम लोग दिल से शिक्षक हैं और हमें छात्रों से आमने-सामने बात करना पसंद है. इसलिए मैंने फैसला किया कि जैसे ही हालात सामान्य होंगे मैं वापस अपने क्लासरूम वाले माहौल में लौट जाऊंगा. यहां तक कि गांधी कोटा की कुछ पुरानी नामचीन कोचिंग क्लासेस में मौजूदा वेतन से कम पर भी काम करने के लिए तैयार थे.
वेतन में 35 फीसद इजाफे की पेशकश
वह कहते हैं कि मैं जानता था कि जो पैकेज मुझे अनअकेडमी से मिल रहा था वह यहां की क्लास से मेल नहीं खा सकता था. लेकिन मुझे कोई परेशानी नहीं थी, मैं बस वापस कक्षाओं के माहौल में लौटना चाहता था. लेकिन गांधी को तब हैरानी हुई जब उन्हें कोटा के सबसे बड़े ऑफलाइन कोचिंग सेंटर में से एक एलन करियर इन्स्टिट्यूट से पिछले साल दिसंबर में प्रस्ताव मिला. इन्स्टिट्यूट ने उनके मौजूदा पैकेज में 35 फीसद का इजाफा करने का प्रस्ताव रखा जो करीब 1.3 करोड़ है.
गांधी कहते हैं कि सच बताऊं तो मैं बुरी तरह चौंक गया था. मैं जानता था कि महामारी के बाद छात्र कोटा वापस लौटेंगे, लेकिन मुझे ऐसे प्रस्ताव की उम्मीद नहीं थी. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए गांधी कहते हैं कि इन कक्षाओं में ज्यादा छात्र आते हैं. इसलिए वह अपना विस्तार कर रहे थे और शिक्षकों को बड़ा पैकेज दे रहे हैं. छात्रों की आमद भी इतनी अधिक हो गई है कि यहां नई कंपनियां भी आ रही हैं जिससे शिक्षकों को लेकर प्रतियोगिता भी तेज हुई है.
कोटा में बढ़ गयी है शिक्षकों की तनख्वाह
इस मामले में गांधी अकेले नहीं हैं. मनीकंट्रोल से बातचीत में कई शिक्षकों और सेंटर के मालिकों ने बताया कि दो साल के लॉकडाउन के बाद शहर में कक्षाओं के फिर से शुरू होने के बाद कोटा में लगभग सभी विषयों के शिक्षकों के औसत वेतन में 40 फीसदी का उछाल आया है. यही नहीं कोटा में इस साल जो छात्र आए हैं वह उम्मीद से कहीं ज्यादा हैं. 2021 में आईआईटी में दाखिले के लिए तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या दोगुनी होकर 22 लाख पर पहुंच गई है. हालांकि भारत के कुल 23 आईआईटी संस्थानों में महज 16000 सीट ही उपलब्ध हैं. जिसकी वजह से कड़ी प्रतिस्पर्धा है. जिस तरह से कोटा से सबसे ज्यादा आईआईटी जाने वाले छात्र निकलते हैं. उसे देखते हुए महामारी के बाद कक्षाओं और शिक्षकों की मांग में भारी उछाल आया है.
छात्रों को लेकर जो कोटा का माहौल है उसने नए वक्त की कई ऑनलाइन एडटेक कंपनियों जैसे अनअकेडमी और फिजिक्सवाला को इस शहर में ऑफलाइन ट्यूशन सेंटर खोलने को लेकर आकर्षित किया है. इससे अपने संस्थान के लिए स्टार शिक्षकों को हासिल करने की मांग भी तेज हो गई है.
अनअकेडमी में भौतिक विभाग के प्रमुख मोहित भार्गव जो हाल ही में एलन से सॉफ्टबैंक समर्थित एडटेक कंपनी में चले गए हैं, उनका कहना है कि अनअकेडमी ने जो किया है उसने शिक्षकों को किसी भी चीज से ज्यादा बढ़ावा मिला है. अन्य कक्षाएं भी ऐसा किया करती थीं लेकिन अनअकेडमी ने एक कदम आगे बढ़कर काम किया है. और यहां जो छात्रों की भीड़ देख रहे हैं उसकी यही वजह है. हमारे वेतन को लेकर जो कुछ भी चर्चाएं हैं वह सब इसी वजह से हैं.
करोड़पति शिक्षक
भार्गव उन 40 शिक्षकों में से हैं जिन्हें अनअकेडमी ने कुछ महीने पहले एलन से अपने यहां हायर किया है. इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि अनअकेडमी ने जून में एलन से लाए गए इन सभी 40 शिक्षकों को वेतन में औसत 30-40 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. कुछ को तो 100 फीसद की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है. सूत्रों का कहना है कि शिक्षकों को करीब 1.15 करोड़ से 1.2 करोड़ रुपये के औसत वेतन मिले हैं. अगर इस आंकड़े को आधार बनाकर देखें तो आईआईटी में पढ़ाने वाला एक प्रोफसर साल के 20 लाख रुपये पाता है जो कोटा में पढ़ाने वाले इन शिक्षकों की तुलना में महज 20 फीसदी है.
अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर आईआईटी बांबे के एक सहायक प्रोफेसर कहते हैं कि आईआईटी के ज्यादातर प्रोफेसर शोधार्थी होते हैं. उनका मुख्य उद्देश्य शोध करना होता है और पढ़ाने को लेकर उनमें एक अलग ही जज्बा होता है. इसलिए आप देखेंगे कि अगर वह किसी कॉरपोरेट की नौकरी करें तो वहां की तुलना में वह यहां पर बहुत कम कमाते हैं. किसी कॉरपोरेट की नौकरी में वह करोड़ों का पैकेज हासिल कर सकते हैं लेकिन वह उसका चयन नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें अपनी शिक्षा को शोध पर लगाना होता है. इन इन्स्टिट्यूट में शिक्षक के तौर पर रहते हुए आप शोध नहीं कर सकते हैं.
30 शिक्षकों की भर्ती पर 100 करोड़ खर्च
मनीकंट्रोल ने इस महीने की शुरुआत में ही खुलासा किया था कि अनअकेडमी ने कोटा में 30 शिक्षकों की भर्ती पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. एलन के शीर्ष प्रबंधन से ताल्लुक रखने वाले एक शख्स बताते हैं कि अनअकेडमी अपने ज्यादातर कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्त करता है. अगर आप एलन में हैं तो आप एलन के कर्मचारी होते हैं लेकिन अनअकेडमी में आप अनअकेडमी के कर्मचारी के तौर पर नियुक्त नहीं किए जाते हैं. आप बस एक संविदा शिक्षक होते हैं.
इस वजह से उनका (शिक्षकों का) पैकेज और आकर्षक हो जाता है क्योंकि उनकी टैक्स में बहुत बचत होती है. वैसे तो यह शिक्षक करोड़ों में कमाते हैं इसलिए तकनीकी तौर पर वह ज्यादा टैक्स भरने की योग्यता रखते हैं लेकिन क्योंकि वह स्थायी कर्मचारी नहीं हैं इसलिए वह टैक्स बचाते हैं. कुछ पैसा वह भत्तों के रूप में भी हासिल करते हैं. इसने एलन जैसी कंपनियों को भी अपना पैकेज बढ़ाने पर मजबूर कर दिया है.
ज्यादा पैसे का जीवनशैली पर असर नहीं
जानकार बताते हैं कि ज्यादा पैसा मिलने से उनकी जीवनशैली पर कोई असर नहीं पड़ता है. अगर आप कोटा जैसे शहर में रह रहे हैं तो आपके खर्चे बहुत कम होते हैं और यह शिक्षक हमेशा ही मोटा पैसा कमाते हैं. ऐसे में वेतन बढ़ने पर मुझे नहीं लगता है कि इनकी जीवनशैली में ऐसा कोई बदलाव आएगा. वह हमेशा ही ऐश्वर्य की जिंदगी बिताते रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा वह बड़ी कार खरीद लेते हैं लेकिन बस इतना ही. मुझे लगता है कि उनके दूसरे निवेश बढ़ सकते हैं. यहां के किसी भी शिक्षक से पूछिए, वह जानता होगा कि स्टॉक मार्केट आज कैसा प्रदर्शन कर रहा है. वह पारंपरिक निवेश पर ज्यादा भरोसा रखते हैं.
ज्यादातर शिक्षक पूर्व आईआईटियन
एक और शख्स जीवनशैली के बारे में कहते हैं कि इनमें से ज्यादातर करोड़पति शिक्षकों के यहां पर अपने बंगले हैं. कुछ कोटा की नामीगिरामी सोसाइटी में बड़े घरों में रहते हैं. इन मामलों पर बारीकी से नजर रखने वाले एक शख्स बताते हैं कि इनमें से ज्यादातर शिक्षक आईआईटी के पूर्व छात्र हैं और अपने विषय के पारंगत हैं. वह कहते हैं कि, इसलिए वह तथाकथित आईआईटी संस्कृति यहां पढ़ने वाले छात्रों में शुरू से ही आ जाती है क्योंकि ज्यादातर शिक्षक पूर्व आईआईटियन हैं और वह अंदर की बात जानते हैं. यहां तक कि अगर वह आईआईटी से नहीं हैं तो उन्होंने आईआईटी के लोगों के साथ काफी वक्त गुजारा होता है. इसलिए वह आपको सही तरीके से पढ़ाते हैं, इसलिए यहां पर शिक्षकों की इतनी ज्यादा मांग है.
शिक्षकों के लिए युद्ध
नए जमाने की एडटेक कंपनियों का दूसरे संस्थानों से शिक्षकों को अपने यहां लाने के आक्रामक रुख के कारण एलन करियर इंस्टिट्यूट जैसी कंपनियों और इनके बीच में युद्ध जैसी स्थिति बन गई है. कोटा के प्रसिद्ध कोचिंग इंस्टिट्यूट में से एक मोशन क्लासेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संस्थापक नितिन विजय का कहना है कि शिक्षकों के लिए ऐसी होड़ इससे पहले कभी नहीं देखी है. मेरे विचार में यह एक स्वस्थ प्रतियोगिता है. यहां के माहौल को बेहतर बनाने के लिए इस तरह की प्रतियोगिता बहुत ज़रूरी है. मुझे लगता है कि शिक्षकों के लिए प्रतियोगिता का बढ़ना इस अवधारणा के साथ बिल्कुल सही बैठती है.
इस महीने की शुरुआत में एलन ने अपने 20 पूर्व शिक्षकों पर कंपनी के कथित अनुबंध का उल्लंघन करने के लिए मुकदमा दर्ज किया है. मामला जयपुर कमर्शियल कोर्ट में सूचीबद्ध हुआ है और सूत्रों के मुताबिक इसकी अगली सुनवाई 8 अगस्त को होनी है.
कोटा के एक चर्चित शिक्षक बताते हैं कि शिक्षकों को दूसरे संस्थानों से खींचने जैसा काम कोटा में पहले भी होता रहा है. बस फर्क इतना है कि एलन इस बार कमजोर पड़ता दिख रहा है. वरना वह तो ऐसा करने वाला पुराना खिलाड़ी है. एलन के दूसरे संस्थानों से आक्रामक रूप से शिक्षकों को खींचने की वजह से ही कई क्लासेस बंद हो चुकी हैं. चूंकि पहली बार वह खुद शिकार बन रहे हैं इसलिए वह घबराए हुए हैं. वह जानते हैं ये कंपनियां सामान्यतौर पर बेहतर नियोक्ता हैं इसलिए उन्हें प्रतिस्पर्था से डर लग रहा है.
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Tags: IIT, Kota CoachingFIRST PUBLISHED : July 28, 2022, 17:57 IST