Jammu Kashmir Accession Day: जब भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट घाटी में उतरी और हमलावर PAK सेना-कबाइली कांपते हुए भागे

Jammu Kashmir Accession Day : विलय दिवस की बदौलत ही जम्मू कश्‍मीर के लोगों को भारतीय होने का गौरव भी प्राप्त हो गया. रियासत को बचाने के लिए महाराजा हरि सिंह ने केन्द्र सरकार से उस समय मदद मांगी थी और सरकार ने महाराजा से विलय की शर्त रखी थी और उसी दिन से सेना ने सभी सीमांत इलाकों मे बिगड़े हालात पर काबू पाना शुरु कर दिया.

Jammu Kashmir Accession Day: जब भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट घाटी में उतरी और हमलावर PAK सेना-कबाइली कांपते हुए भागे
जम्‍मू : आज के ही दिन जम्मू-कश्‍मीर का विलय (Jammu Kashmir Accession Day) भारत के साथ हुआ था. जम्मू-कश्‍मीर का हर नागरिक उस दिन भारत का नागिरक बन गया था. इतिहास गवाह है कि 1947 में 22 अक्तूबर का काला दिन आज तक कोई नही भूला है. इस दिन कश्‍मीर पर पाकिस्तान के कब्जे की साजिश को आम लोगों और महाराजा हरि सिंह की सेना ने विफल कर दिया था. दरअसल, भारत-पाक बंटवारे के बाद पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन गुलमर्ग शुरु किया हुआ था, जिसके तहत कश्‍मीर पर कब्जा करने की साजिश पाकिस्तान सरकार ने रची और इस पूरे मिशन की कमान पाकिस्तानी सेना ने मेजर जनरल अकबर खान को सौंपी थी और कबाईलियों की आढ़ में पाक सेना ने कश्‍मीर पर हमला कर दिया था. लगभग 20-30 हजार फौज कश्‍मीर के भीतर घुस आई थी और उससे मुकाबला करने के लिए महाराजा हरि सिंह की फौज बहुत कम थी, लेकिन महाराजा ने भारत के जम्मू-कश्‍मीर के विलय की तैयारी की ही थी, लेकिन पाक सेना को उस समय रोकना बहुत जरुरी हो गया था तभी महाराजा ने अपने सेना के चीफ का स्टाफ बिग्रेडियर रजिन्द्र सिंह को सिर्फ 100 लोगों की टीम के साथ लड़ने के लिए भेजा. बिग्रेडियर रजिन्द्र सिंह ने अपनी टीम के साथ पाकिस्‍तान की फौज को उरी सेक्टर रोक लिया. पाक सेना की संख्या 5-6 हजार थी, लेकिन सिंह के साथ सिर्फ 100 सैनिक थे. पांच दिन तक पाक फौज को रोके रखा और 26 अक्टूबर को अपने देश के लिए प्राण त्याग दिए, लेकिन पाक फौज को भीतर नहीं घुसने दिया और ठीक उसी समय भारत की सेना ने कश्‍मीर के एयरपोर्ट पर लैडिंग कर दी. तब तक भारत के साथ जम्‍मू-कश्‍मीर का विलय हो चुका था. भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट की कुछ कपनियों ने एयरपोर्ट पर लैंड करते ही मोर्चा सभांल लिया और कबाईलियों और पाक सेना के पैर उखड़ना शुरु हो गए. 27 अक्टूबर की सुबह पांच बजे ये दोनों कंपनियों ने एयरपोर्ट पर वायुसेना की विमान में लैंडिंग की और उसके बाद बाकी फौज भी पहुंच गई और फिर पाकिस्तान की साजिश को नाकाम कर दिया. विलय दिवस की बदौलत ही जम्मू कश्‍मीर के लोगों को भारतीय होने का गौरव भी प्राप्त हो गया. रियासत को बचाने के लिए महाराजा हरि सिंह ने केन्द्र सरकार से उस समय मदद मांगी थी और सरकार ने महाराजा से विलय की शर्त रखी थी और उसी दिन से सेना ने सभी सीमांत इलाकों मे बिगड़े हालात पर काबू पाना शुरु कर दिया. जम्मू विश्‍वविद्यालय में इतिहास विभाग से सेवानिवृत प्रोफेसर एवं उप मुख्‍यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने न्यूज 18 को बताया कि इंडिपेडेंस एक्ट के तहत महाराजा हरि सिंह ही विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर सकते थे और महाराजा राष्ट्रवादी शासक थे. विलय करने के पीछे कई सारे कारण रहे हैं, लेकिन उनकी सोच भारत के साथ विलय होने की थी तभी उन्‍होंने हस्ताक्षर किए और विलय हो गया, जिससे आज जम्मू कश्‍मीर के हर नागरिक को भारतीय होने का हक मिला, जिससे लोग खुश हैं. आज जम्मू कश्‍मीर में विलय दिवस का अवकाश है और भाजपा समेत अन्य सगंठन इस दिन को मना रहे हैं, जिसमें महाराजा हरि सिंह और बिग्रेडियर रजिन्द्र सिंह को याद किया जा रहा है. उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Indian army, Jammu kashmir, KashmirFIRST PUBLISHED : October 26, 2022, 12:50 IST