पुणे वाला रईसजादा तो अंदर गया दिल्‍ली वाले सिद्दार्थ को कब मिलेगा इंसाफ

पुणे में पोर्शे कार से 2 लोगों को रौंदने वाला रईसजादा तो अंदर चला गया, लेकिन आज से ठीक 8 साल पहले ऐसा ही एक हादसा दिल्‍ली में हुआ था. सिद्धार्थ शर्मा नाम के एक शख्‍स को एक और रईसजादे ने उस वक्‍त कार से रौंद दिया था. तब से उनका पर‍िवार इंसाफ का इंतजार कर रहा है.

पुणे वाला रईसजादा तो अंदर गया दिल्‍ली वाले सिद्दार्थ को कब मिलेगा इंसाफ
पुणे में एक रईसजादे ने कार से बाइक सवार 2 लोगों को रौंद दिया. इसके बाद दौलत के दम पर सिस्‍टम को कुचलने का जो खेल चला, उसने कई सारे सवाल खड़े कर दिए. ब्लड सैंपल बदलने से लेकर, ड्राइवर से झूठ बुलवाने की कोश‍िश तक, जांच को प्रभाव‍ित करने की कई नाकामयाब कोश‍िशें हुईं, लेकिन लोगों के गुस्‍से के आगे एक न चली. और आख‍िरकार पुणे वाला रईसजादा अंदर चला गया. उसे बचाने की कोश‍िश करने वाले माता-पिता और दादा सब अरेस्ट हो गए. पीड़ि‍तों को इंसाफ मिलता नजर आ रहा है. लेकिन आज से ठीक 8 साल पहले ऐसा ही एक हादसा दिल्‍ली में हुआ था. सिद्धार्थ शर्मा नाम के एक शख्‍स को एक और रईसजादे ने उस वक्‍त कार से रौंद दिया था, जब वे सड़क क्रॉस कर रहे थे. सिद्धार्थ की बहन और उनका पर‍िवार आज तक इंसाफ का इंतजार कर रहा है. पेशे से कंसलटेंट 32 वर्षीय सिद्धार्थ शर्मा 5 अप्रैल 2016 को रात में लाजपतनगर से अपने घर जा रहे थे. सिविल लाइंस पर कैब से उतरते ही तेज रफ्तार मर्सिडीज ने उन्‍हें जोरदार टक्‍कर मारी. सिद्धार्थ उछलते हुए कार से दूर जा ग‍िरे और अगले ही पल उनकी मौत हो गई. जांच में पता चला क‍ि जिस कार ने सिद्धार्थ को टक्कर मारी वह 100 से ज्यादा की स्पीड में थी और उसे एक नाबालिग लड़का चला रहा था. पुल‍िस के मुताबिक, नाबाल‍िग होने के बावजूद वह कई साल से कार चला रहा था. तेज कार चलाने और ट्रै‍फ‍िक नियमों का उल्‍लंघन करने के आरोप में कई बार उस पर फाइन भी लगा. लेकिन उसे क‍िसी ने नहीं रोका. और आख‍िरकार यह लापरवाही एक दिन एक शख्‍स की जान लेकर मानी. इस रईसजादे को बचाने की भी तमाम कोश‍िशें इस रईसजादे को बचाने की भी तमाम कोश‍िशें हुईं. आठ साल बाद मामला अब दिल्‍ली हाईकोर्ट में है. सिद्धार्थ की बहन श‍िल्‍पा मित्‍तल लगातार अपने भाई के ल‍िए इंसाफ की गुहार लगा रही हैं, लेकिन उन्‍हें अब तक इंसाफ नहीं मिला. मार्च 2023 में जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी पर सेक्‍शन 304 के तहत आरोप तय करने की अनुमत‍ि दे दी, जिसका मतलब था क‍ि उसे अब अपराध के ल‍िए सीधे जिम्‍मेदार ठहराया जा सकता था. लेकिन आरोपी के वकील ने कोर्ट में इसका विरोध क‍िया. उन्‍होंने कहा, यह सिर्फ लापरवाही से वाहन चलाने का मामला है, इसल‍िए इसमें 304A के तहत केस चलाया जाना चाह‍िए. वकील ने कहा, उसके साथ वयस्‍क की तरह व्‍यवहार नहीं करना चाह‍िए. यह हादसा भी बिल्‍कुल पुणे की तरह पुणे हादसे के बाद श‍िल्‍पा मित्‍तल ने कहा, यह हादसा भी बिल्‍कुल उसी तरह है. एक रईसजादा, जो बिना ड्राइव‍िंंग लाइसेंस के गाड़ी चला रहा था, उसने लोगों को रौंद दिया. लेकिन अब भी उसे बचाया जा रहा है. उसे वयस्‍क मानने से इनकार क‍िया जा रहा है. यह कैसा न्‍याय है. जान तो यहां भी गई है. कहा जा रहा है क‍ि उसने ड्रिंकिंग इस वजह से की थी, क्‍योंक‍ि वह ड‍िप्रेशन में था. यह पूरी तरह से न्‍याय का मखौल उड़ाने जैसा है. मुझे नहीं पता नाबाल‍िगों को गाड़ी चलाने से रोकने के ल‍िए कानून बनाने को और क‍ितने लोगों को मरना पड़ेगा. कब ऐसे लोगों के हाथ से स्‍टेयर‍िंग छीनी जाएगी. FIRST PUBLISHED : June 3, 2024, 17:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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