इस शख्स के नहीं है दोनों पैर फिर भी 9 बार की गिरनार की चढ़ाईमिला यह पुरस्कार

Inspiring Story: विपुलभाई बोकारवाड़िया ने गिरनार पर्वत की चढ़ाई कर दिव्यांगता को चुनौती दी. पोलियो के कारण दिव्यांग होने के बावजूद, वह नौवीं बार गिरनार चढ़ने में सफल रहे.

इस शख्स के नहीं है दोनों पैर फिर भी 9 बार की गिरनार की चढ़ाईमिला यह पुरस्कार
राजकोट: गुजरात के राजकोट में पोलियो से ग्रसित विपुलभाई बोकारवाड़िया का काम सभी द्वारा सराहा जा रहा है. वह दोनों पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद लोगों के लिए प्रेरणा का अनमोल संदेश साबित हो रहे हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी में नौवीं बार गिरनार पर्वत की चढ़ाई की है. लोग उनकी इस उपलब्धि की सराहना कर रहे हैं. जानिए उन्हें गिरनार चढ़ने की प्रेरणा कहां से मिली और कब से वह ये काम कर रहे हैं. विपुलभाई बोकारवाड़िया की जीवन यात्रा राजकोट के विपुलभाई बोकारवाड़िया की यह जीवन यात्रा कोई साधारण कहानी नहीं है, बल्कि एक अनमोल प्रेरणा का संदेश है. पोलियो के कारण उन्होंने दोनों पैर खो दिए, लेकिन उन्होंने कभी अपनी शारीरिक सीमाओं को अपने लक्ष्य के आड़े नहीं आने दिया. दो साल की उम्र में पोलियो के कारण दोनों पैरों से पैरेलाइज हो गए थे, लेकिन विपुलभाई का हौसला इतना मजबूत है कि वह दिव्यांगता को चुनौती दे रहे हैं. वह अमरेली जिले के मूल निवासी हैं और वर्तमान में राजकोट में वेब डिजाइनिंग का बिजनेस कर रहे हैं. गिरनार चढ़ने की प्रेरणा और सफलता का सफर 2012 में पहली बार उन्होंने अपने 5 दोस्तों के साथ गिरनार चढ़ने का फैसला किया था. 2018 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम उनकी इस उपलब्धि के गवाह के रूप में दर्ज हुआ था. इस बार उन्होंने गिरनार की चढ़ाई का अपना नौवां प्रयास पूरा किया. यह खास बात है कि विपुलभाई कभी रोपवे या अन्य उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करते. वह अपनी ताकत से ही गिरनार की सीढ़ियों को चढ़ते हैं. उन्होंने अब तक 2 बार दत्तात्रेय और 7 बार अंबाजी पहुंचकर अपनी यात्रा को सफल बनाया है. उनके दोस्त भी उनका साथ देते हैं, जो प्रेरणादायक दोस्ती की मिसाल पेश करता है. गुजरात में तिब्बती लोग कैसे ढालते हैं अपनी जिंदगी? जानिए क्या है उनका इतिहास लोकल 18 से बात करते हुए विपुलभाई कहते हैं, “एक व्यक्ति का शरीर दिव्यांग हो सकता है, लेकिन आत्मा कभी दिव्यांग नहीं हो सकती.” दिव्यांगता को चुनौती देते हुए, विपुलभाई न केवल सीढ़ियां चढ़ते हैं, बल्कि अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से समाज को भी प्रेरित करते हैं. उनका जीवित उदाहरण यह साबित करता है कि इच्छाशक्ति शारीरिक और सामाजिक दोनों सीमाओं को पार कर सकती है. Tags: Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : December 5, 2024, 23:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed