15 दिनों तक पानी में डूबे रहने पर भी इस धान की होती है बंपर पैदावार
15 दिनों तक पानी में डूबे रहने पर भी इस धान की होती है बंपर पैदावार
यह प्रजाति बौनी मंसूरी किस्म का धान होता है इसके पौधे की लंबाई 105 से 110 सेंटीमीटर तक होती है. यह धान सीधे तौर पर बुवाई करने पर 140 दिन और रोपाई करने पर 145 दिनों में फसल पककर तैयार हो जाती है.
सौरभ वर्मा /रायबरेली. भारत में धान खरीफ सीजन की मुख्य फसलों में से एक है. देश के अधिकतर हिस्सों में किसान मुख्यतौर पर धान की खेती पर ही निर्भर रहते हैं. धान से अधिक उत्पादन कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सके इसके लिए जरूरी है कि वो अपने क्षेत्र के जलवायु के अनुसार ही उन्नत्त किस्म का चयन करें. जिससे धान की फसल की पैदावार प्रभावित न हो.
दरअसल धान को अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है. इसीलिए यह बारिश के मौसम में होने वाली फसल है .लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां पर अत्यधिक वर्षा, बाढ़ या जल जमाव के स्थिति बनी रहती है. उन किसानों के लिए धान की खेती करना बड़ा मुश्किल हो जाता है. क्योंकि ज्यादा वर्षा-बाढ़ या जल जमाव की स्थिति होने पर धान की फसल प्रभावित होती है .इससे बचाव के लिए किसान बाढ़ प्रति रोधी किस्म की धान का चयन कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं . तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं कि आखिर धान की कौन सी ऐसी प्रजातियां हैं. जो अत्यधिक वर्षा वाले या फिर तराई क्षेत्र के लिए उपयुक्त होती हैं.
कमाल की वैरायटी
रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी कृषि शिव शंकर वर्मा (बीएससी एजी डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या) बताते हैं कि खरीफ की फसल में धान की फसल मुख्य होती है. इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. परंतु तराई क्षेत्र या फिर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लिए किसान बाढ़ प्रतिरोधी किस्म स्वर्णा सब 1 प्रजाति उन्नत किस्म की प्रजाति मानी जाती है .क्योंकि इसकी खासियत है कि इसका पौधा 12 से 15 दिनों तक पानी में डूबा रहने के बाद भी प्रभावित नहीं होता है. ज्यादा दिनों तक पानी में डूबे रहने के कारण इसकी पत्तियां मृत और मुरझाई दिखाई देने लगती हैं.वह बताते हैं कि इस प्रजाति में एक खास किस्म की जीन उप 1 जीन पाई जाती है. जिसके कारण यह धान की प्रजाति बाढ़ संभावित क्षेत्र या तराई क्षेत्र के लिए उपयुक्त होती है.
यह है खासियत
वह बताते हैं कि यह प्रजाति बौनी मंसूरी किस्म का धान होता है इसके पौधे की लंबाई 105 से 110 सेंटीमीटर तक होती है. यह धान सीधे तौर पर बुवाई करने पर 140 दिन और रोपाई करने पर 145 दिनों में फसल पककर तैयार हो जाती है .इससे किसान 66.5% अविभाजित चावल यानी की हेड राइस प्राप्त कर सकते हैं. सामान्य स्थिति में धान की यह प्रजाति 4.5 से 5.5 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने वाली होती है. वहीं ज्यादा जल भराव की स्थिति में यह 3 से 4 टन प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देती है .
बुवाई का यह है उचित समय
इस प्रजाति के सीधे बुवाई के लिए जून माह का प्रथम पखवाड़ा तो वहीं पौधे की रोपाई के लिए जून माह का प्रथम सप्ताह सबसे उपयुक्त समय माना जाता है. साथ ही वह बताते हैं कि सीधी बुवाई के लिए किसान 60 से 70 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर और रोपाई के लिए 25 से 30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर का उपयोग कर सकते हैं.
इस तरह करें बुआई
Local 18 से बात करते हुए प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि स्वर्णा सब 1 (सफेद बौनी मंसूरी )के नाम से भी जानी जाती है वही इस धान की फसल के लिए किसान पिछली फसल की कटाई के तुरंत बाद या फिर मानसून से पहले होने वाली बारिश के समय खेत की जुताई करे उसके बाद खेत में पानी भर कर सीधे बीज बुवाई करें, या फिर पौधे की रोपाई कर सकते हैं. यह प्रजाति बाढ़ प्रभावित एवं तराई क्षेत्र के लिए उन्नत किस्म की मानी जाती है. अगर 12 से 14 दिनों तक फसल पूरी तरह डूबी रहेगी.
Tags: Agriculture, Local18, Paddy cropFIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 09:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed