जैन समाज के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है त्रिलोक तीर्थ धाम
जैन समाज के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है त्रिलोक तीर्थ धाम
त्रिलोक तीर्थ धाम के निर्माण की योजना 28 मार्च 1994 को सिद्ध क्षेत्र सेनागिरी, मध्य प्रदेश में ब्रह्मलीन आचार्य विद्याभूषण सन्मति सागर महाराज के नेतृत्व में बनाई गई थी.
बागपत: बड़ागांव में स्थित त्रिलोक तीर्थ धाम जैन समाज के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. कहा जाता है कि जहां आज यह धाम खड़ा है, वहां 100 वर्ष पूर्व भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा जमीन के अंदर से प्राप्त हुई थी. इस घटना के बाद से यह धाम जैन श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन गया, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. धाम में 31 फीट ऊंची 1008 भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान है, जो धाम का प्रमुख आकर्षण है. धाम के मुख्यद्वार पर उर्ध्वलोक, मध्यलोक और अधोलोक (नर्कलोक) का चित्रण किया गया है, जो मनुष्य के कर्मों का फल दर्शाता है.
त्रिलोक तीर्थ धाम के निर्माण की योजना 28 मार्च 1994 को सिद्ध क्षेत्र सेनागिरी, मध्य प्रदेश में ब्रह्मलीन आचार्य विद्याभूषण सन्मति सागर महाराज के नेतृत्व में बनाई गई थी. आचार्य 2 जुलाई 1997 को पद बिहार करते हुए बड़ागांव पहुंचे, जहां उन्होंने जैन समाज के लोगों के बीच इस धाम के निर्माण की योजना रखी. सितंबर 1998 में तत्कालीन गवर्नर सूरजभान ने धाम का भूमि पूजन किया. आचार्य की प्रेरणा से मुख्य द्वार पर तीनों लोकों का सचित्र चित्रण किया गया, जो मानव के कर्मों के आधार पर मिलने वाले फल को दर्शाता है.
108 भगवान आदिनाथ की अष्टधातु की प्रतिमा यहां विराजमान
यह धाम 16 मंजिला है, जिसकी ऊंचाई 200 फीट है. 108 भगवान आदिनाथ की अष्टधातु की प्रतिमा यहां विराजमान है. 2017 में पंचकल्याणक का शुभारंभ किया गया था. त्रिलोक तीर्थ धाम का निर्माण कार्य करीब 15 वर्षों तक चलता रहा. रक्षाबंधन 2000 के पर्व पर निर्माण कार्य शुरू हुआ, जो 2015 तक जारी रहा. इस दौरान सैकड़ों कारीगर लगातार काम में लगे रहे. धाम में प्रयोग किया गया पत्थर राजस्थान से लाया गया था, जबकि प्रतिमा के निर्माण में मकराना के सफेद पत्थर का उपयोग किया गया. पूरे निर्माण पर करीब 60 करोड़ रुपये की लागत आई.
धाम के अन्य निर्माण और सुविधाएं
आचार्य सन्मति सागर महाराज ने शिक्षा के उत्थान के लिए धाम के सामने एक स्कूल की स्थापना भी की, जहां जैन समाज के साथ-साथ गांव के सैकड़ों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. यहां छात्रावास, वृद्ध आश्रम और आयुर्वेदिक चिकित्सालय की भी व्यवस्था है. साथ ही, धाम में एक गौशाला का भी निर्माण कराया गया है.
बागपत जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित इस धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां आने वाले श्रद्धालु धाम की ओर से दी जाने वाली खाने-पीने की सुविधा का लाभ उठाते हैं.
धाम के विशेष आकर्षण
धाम में एक विशेष लाइट एंड साउंड शो का आयोजन भी होता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. इस कार्यक्रम में धाम और जैन समाज के इतिहास को प्रस्तुत किया जाता है. इस शो का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने किया था.
468 जिनालय और तीन लोकों की रचना
धाम प्रबंधक त्रिलोकचंद जैन के अनुसार, आचार्य सन्मति सागर महाराज ने त्रिलोक तीर्थ धाम का मॉडल किसी आर्किटेक्ट से नहीं बनवाया था, बल्कि स्वयं ही तीन लोकों की रचना और जिनालयों की योजना तैयार की थी. धाम की पहली मंजिल पर नंदीश्वर और पंचमेरू, दूसरी मंजिल पर ढाईद्वीप, तीसरी मंजिल पर समोशरण और फिर उर्ध्वलोक, मध्यलोक और अधोलोक का चित्रण है, जो मनुष्य के कर्मों के अनुसार उसे मिलने वाले फल को दर्शाता है. धाम में कुल 468 जिनालय की शाश्वत रचना की गई है, और सबसे ऊपर 31 फीट ऊंची भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान है.
Tags: Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 15:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed