वो शख़्स जो विधायक के बाद बने जज इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे
वो शख़्स जो विधायक के बाद बने जज इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे
रेबेलो साल 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर गोवा में विधानसभा चुनाव लड़े और जीत गए. 1989 में उन्होंने फिर जनता पार्टी के टिकट पर संसदीय चुनाव में किस्मत आजमाई
भारत में न्यायपालिका (Judiciary) और राजनीति (Politics) का बहुत करीबी रिश्ता रहा है. कई नेताओं ने पॉलिटिक्स के बाद ज्यूडिशियरी में किस्मत आजमाई और चीफ जस्टिस की कुर्सी तक भी पहुंचे. इनमें से एक थे जस्टिस फेरडिनो रेबेलो (Ferdino Rebello), जो विधायक के बाद जज बने और फिर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कुर्सी तक भी पहुंचे.
फेरडिनो रेबेलो का जन्म 31 अगस्त 1949 को हुआ. शुरुआती पढ़ाई-लिखाई के बाद वह लॉ की पढ़ाई करने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज आ गए. यहां से एलएलबी की डिग्री लेने के बाद जुलाई 1973 में बतौर एडवोकेट अपना एनरोलमेंट कराया और प्रैक्टिस शुरू की. वकालत के शुरुआती सालों में ही रेबेलो की पॉलिटिक्स में भी दिलचस्पी जगी और जनता पार्टी ज्वाइन कर ली.
जनता पार्टी के टिकट पर बने MLA
रेबेलो साल 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर गोवा में विधानसभा चुनाव लड़े और जीत गए. 1989 में उन्होंने फिर जनता पार्टी के टिकट पर संसदीय चुनाव में किस्मत आजमाई. हालांकि इस बार हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद फिर वकालत में जुट गए.
जस्टिस रेबेलो 1982 तक पणजी के ज्यूडिशियल कमिश्नर कोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे. फिर बॉम्बे हाई कोर्ट की पणजी बेंच में प्रैक्टिस करने लगे. यहां खूब सुर्खियां बटोरी. खासकर कांस्टीट्यूशनल लॉ और सर्विस मैटर से जुड़े तमाम मुकदमे जीते. साल 1994 आते-आते वह गोवा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी बन गए. रेबेलो को साल 1995 में सीनियर एडवोकेट बनाया गया.
कब और कैसे बने जज?
सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेट होने अगले साल ही, 15 अप्रैल 1996 को रेबेलो (Ferdino Rebello) को बॉम्बे हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त कर दिया गया. फिर करीब 2 साल बाद अप्रैल 1998 में परमानेंट जज बनाए गए. बॉम्बे हाईकोर्ट में करीब 12 साल बिताने के बाद साल 2010 में रेबेलो का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस हुआ. 26 जून 2010 से 30 जुलाई 2011 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे.
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बतौर लेक्चरर भी किया काम
राजनीति, वकालत और जज की कुर्सी तक पहुंचने वाले फेरडिनो रेबेलो ने बतौर लेक्चरर भी काम किया. इलाहाबाद हाईकोर्ट की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक रेबेलो साल 1975 से 1977 तक, सालगांवकर लॉ कॉलेज में बतौर पार्ट टाइम लेक्चरर भी सेवा देते रहे.
और भी कई उदाहरण
राजनीति छोड़कर न्यायपालिका की डगर पकड़ने वाल जस्टिस रेबेलो इकलौते शख्स नहीं हैं. जस्टिस आफताब आलम की कहानी भी मशहूर है. वह सीपीआई के मेंबर हुआ करते थे और बाद में कांग्रेस में आ गए. कुछ वक्त बाद उन्होंने कांग्रेस से भी इस्तीफा दे दिया और हाईकोर्ट का जज नियुक्त हुए. गुजरात के बहुचर्चित शोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की जांच के दौरान जस्टिस आफताब आलम काफी चर्चा में आए. उस वक्त सीनियर एडवोकेट राम जेठमलानी ले उनपर पक्षपात का आरोप लगाते हुए खुलेआम मोर्चा खोल दिया था और तीखी आलोचना की थी.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के जज रहे हसनैन मसूदी उन लोगों में शुमार हैं, जो न्यायपालिका के बाद अपने दूसरी पारी पॉलिटिक्स से शुरू की. हसनैन मसूदी जब अपने पद से रिटायर हुए तो उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस ज्वाइन कर ली और अनंतनाग सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े.
Tags: Allahabad high court, High Court News Bench, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 28, 2024, 14:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed