लोक में गीतों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. हर अवसर पर गीतों के जरिए खुशियां जताने और शुभकामना देने की रिवायत रही है. इसी परंपरा का हिस्सा है सोहर. सोहर बच्चे के जन्म के समय गायी जाती है. ऐसा ही एक सोहर वेब सीरीज पंचायत -3 में बहुत लोकप्रिय हो रहा है. हालांकि इसका एक वर्जन सोशल मीडिया पर रील्स वगैरह में लगाए जाने से पहले भी वायरल होता रहा है.
हाइलाइट्स सोहर वेबसीरीज पंचायत सीरीज 3 के गीत के तौर पर हो रही है वायरल जन्म के मौके पर सोहर गाने की बहुत पुरानी परंपरा है पं.छुन्नूलाल और राजन महाराज भी गाते रहे हैं सोहर
पंचायत वेब सीरीज के तीसरे सीजन में एक सोहर गीत बहुत लोकप्रिय हो रहा है. हालांकि इस गीत का एक वर्जन पहले भी यूपी बिहार में खूब चला था. इस पर खूब सारे रील बनाए गए, लेकिन इस बार भोजपुरी न बोलने समझने वाले भी रस लेकर सुन रहे हैं. गीत के बोल हैं – ‘ अइसन मनोहर मंगल मूरत, सुहावनि सुंदर सूरति हो, हे राजाजी, हे राजा जी…. एकरे त रहल ह जरूरत, मुहूरत खूबसूरत हो, हमरा जनाता बबुआ जीयम होइहे, नानाना, इस ललना डीएम होइंहे हो, ए ललना हिंद के सितारा इ त सीएम होइहें ओसे ऊपरा पीएम होइहें हो….” गीत संगीत भाषा से उपर का आनंद है. लिहाजा मतलब खोजने की दरकार भी नहीं होती. मजा आ गया सो आ गया. गीत सुन लिया.
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ममता की धुन
गीत भोजपुरी में गाए जाने वाले सोहर की धुन पर है. सोहर बच्चों के जन्म के मौके पर गाई जाती है. लिहाजा इसमें ममता स्वाभावित तौर पर होती है. बच्चे की रिश्तेदार और पास पड़ोस की महिलाएं बच्चे के स्वागत में अपने गीत के जरिए उसके मंगलमय भविष्य की कामना करती है. मां-बाप, दादा – दादी को बधाइयां देती हैं. समवेत स्वर में गाए जा रहे इन गीतों में संगीत प्रेम और ममता का ही होता है. बस ढोलक के साथ लय में बजाई जा रहीं तालियां की खनक दिलों में उतर जाती है.
मंगलगीत के वर्जन
लोकगीत होने के कारण एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा में गीत के कई वर्जन बनते गए हैं. खैर पंचायत सीरीज में इस गीत का मतलब भी मंगलकामना से ही है. यहां भी आने वाले बच्चे के लिए मंगलकामना की जा रही है कि उसका रूप रंग बहुत मंगलकारी है. आगे चल कर वो देश का चमकता सितारा बनेगा. इसी की जरूरत थी. मूहूर्त भी बहुत अच्छा है. ये बालक आगे चल कर जीएम बनेगा. लेकिन मंगलकामना देने वाले का मन नहीं भरता. वो इससे आगे डीएम, उससे भी ऊपर जाकर सीएम और आखिरकार उसके पीएम यानी प्रधानमंत्री बनने की शुभकामना देता है. लोक में सोहर की बहुत रोचक परंपरा है.
पुराना स्वरूप
अगर इस सोहर के भोजपुरी और अवधी में प्रचलित एक पुराने स्वरूप की बात की जाय तो वो कुछ इस तरह से है –
भवनवा के भाग जागल हो,
ललना लाल होइहे,
कुलवा के दीपक मनवा में,
आस लागल हो ॥
आज के दिनवा सुहावन,
रतिया लुभावन हो,
ललना दिदिया के होरिला जनमले,
होरिलवा बडा सुन्दर हो …..
रामजन्म से जुड़ी है परंपरा
सोहर की परंपरा तकरीबन सारे हिंदी भाषी राज्यों में किसी न किसी तरह से है. मंगल गीतों की बात रामचरित मानस में भी खूब आई है. वहां भी भगवान राम का जन्म होने पर सोहर गाए जाते हैं. गोस्वामी तुलसीदास ने तो अपनी अन्य रचनाओं में यहां तक लिख दिया है कि वो खुद भी सोहर गाने वाली महिलाओं में शामिल थे.
पुरानी पीढ़ी की महिलाएं बताती हैं कि पहले बच्चे का जन्म होने पर उसके जीएम, सीएम या पीएम होने की बात नहीं की जाती थी. बल्कि कल्पना की जाती थी कि बालक राम की तरह मर्यादा पर चलने वाला होगा. ज्ञानी होगा. देश और समाज का नाम रोशन करेगा. लेकिन जब समय बदला तो नए पदों तक उनके पहुंचने की कामना की जाने लगी. बनारस के मशहूर गायक पंडित छुन्नू लााल और प्रवचन करने वाले व्यास राजन महाराज ने भी सोहर को अपने तरीके से लोकप्रिय बनाया है.
Tags: Manoj tiwari, OTT Platforms, Web SeriesFIRST PUBLISHED : June 1, 2024, 14:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed