भारत का पहला पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट वाला बच्चा अब लोगों की बचा रहा जान जानें कैसे

5 नवंबर 1998 को कांचीपुरम के डेढ़ साल के संजय शक्ति कंडास्वामी का भारत का पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट हुआ था. ठीक 24 साल बाद संजय अब बेंगलुरु में डॉक्टर हैं, और लोगों की जान बचाने की कोशिश में लगे हैं. डॉ कंडास्वामी बचपन से ही मेडिकल साइंस के क्षेत्र में जाना चाहते थे.

भारत का पहला पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट वाला बच्चा अब लोगों की बचा रहा जान जानें कैसे
हाइलाइट्स15 नवंबर 1998 को कांचीपुरम के डेढ़ साल के संजय का भारत का पहला सफल पीडियाट्रिक लीवर ट्रांसप्लांट हुआ था. ठीक 24 साल बाद संजय अब बेंगलुरु में डॉक्टर हैं.डॉ कंडास्वामी बचपन से ही मेडिकल साइंस के क्षेत्र में जाना चाहते थे. नई दिल्ली. 15 नवंबर 1998 को कांचीपुरम के डेढ़ साल के संजय शक्ति कंडास्वामी का भारत का पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट हुआ था. ठीक 24 साल बाद संजय अब बेंगलुरु में डॉक्टर हैं, और लोगों की जान बचाने की कोशिश में लगे हैं. डॉ कंडास्वामी बचपन से ही मेडिकल साइंस के क्षेत्र में जाना चाहते थे. उनका जन्म 1997 में बाइलरी एट्रेसिया बिमारी के साथ हुआ था. यह एक दुर्लभ लिवर विकार है जिसके परिणामस्वरूप उन्हें प्रसवोत्तर पीलिया हुआ. इससे उनका लिवर खराब हो गया, जिससे लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ी. यह ट्रांसप्लांट पोलो अस्पताल, दिल्ली में डॉ एमआर राजशेखर, डॉ ए वी सोइन और डॉ अनुपम सिब्बल द्वारा प्रत्यारोपण किया गया था. संजय के पिता डोनर थे. TOI के अनुसार कांचीपुरम के बच्चे का नाम उसके माता-पिता ने शक्ति रखा था, लेकिन सर्जरी के बाद, डॉक्टरों की टीम ने उसे एक नया नाम दिया ‘संजय’. बाइलरी एट्रेसिया जिससे वह पीड़ित थे. लिवर और और आंत के बीच कोई संबंध नहीं है. पित्त लीवर में जमा हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप लिवर खराब हो जाता है. संजय का कहना है कि वह उस स्कूल में उस समय मास्क पहनने वाले अकेले थे. उन्होंने आगे कहा कि अन्य बच्चे स्वाभाविक रूप से उत्सुक थे. मैं कक्षा 6 में था जब मुझे समझ में आया कि मेरे साथ क्या हुआ है. बड़े होने के दौरान लिवर ट्रांसप्लांट के बारे में विवरण खोजना शुरू कर दिया. संजय ने मेडिसिन की पढ़ाई की और 2021 में डॉक्टर बन गए. वे कहते हैं मुझे बच्चों से प्यार है और इसलिए मैं बाल रोग विशेषज्ञ बनना चाहता हूं. अगर मैं डॉक्टर नहीं होता, तो मैं फार्मेसी या जेनेटिक इंजीनियरिंग करता. पढ़ें-श्रद्धा मर्डर केस: शव के 35 टुकड़े करने वाले आफताब ने ढाए थे सितम; श्रद्धा के दोस्तों ने सुनाई जुल्म की दास्तां मालूम हो कि भारत में पहला मृत दाता लिवर ट्रांसप्लांट (डीडीएलटी) 1995 में किया गया था और असफल रहा था. इसके बाद 1998 में पहली सफल डीडीएलटी आयोजित होने तक कुछ अन्य असफल प्रयास किए गए. अपोलो अस्पताल के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ प्रताप सी रेड्डी का कहना है कि संजय के ट्रांसप्लांट ने भारत में आगे लिवर ट्रांसप्लांट का मार्ग प्रशस्त किया. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Health, Liver transplantFIRST PUBLISHED : November 15, 2022, 07:05 IST