फ्लावर नहीं फायर हैं जयशंकर दो मुलाकातों में समझ गए जिनपिंग के विदेश मंत्री
फ्लावर नहीं फायर हैं जयशंकर दो मुलाकातों में समझ गए जिनपिंग के विदेश मंत्री
S Jaishankar News: सुषमा स्वराज जब भारत की विदेश मंत्री थीं तो देश की साख को बढ़ाने में उनके कौशल का हर कोई मुरीद था. उनके असामयिक निधन के बाद सीनियर ब्यूरोक्रेट एस. जयशंकर को विदेश विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई.
हाइलाइट्स एस. जयशंकर साल 2009 से 2013 के बीच चीन के राजदूत रह चुके हैं LAC विवाद सुलझाने में विदेश मंत्री की भूमिका का लोहा सब मान रहे लद्दाख रीजन में चीन 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने पर सहमत है
नई दिल्ली. भारत ने चीन के साथ लद्दाख एरिया में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चल रहे विवाद को सुलझाने की बात कही है. दिपसांग और डेमचोक में अब साल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल हो जाएगी. भारतीय जवान पहले की तरह इस इलाके में पेट्रोलिंग कर सकेंगे. इससे चीन की आर्मी के मूवमेंट पर पैनी नजर रखना संभव हो सकेगा. LAC विवाद को सुलझाने में ब्यूरोक्रेट से विदेश मंत्री बने एस. जयशंकर की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करवाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयशंकर को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. इसका असर भी दिखने लगा है. जयशंकर हाल में ही SCO की बैठक में शिरकत करने इस्लामाबाद गए थे. इस दौरान किसी भी तरह का विवादित बयान नहीं आया. विदेश मंत्री के भारत लौटने के बाद पड़ोसी देश के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि जयशंकर का दौरा तो शुरुआत भर है.
चीन लद्दाख क्षेत्र में LAC से अपनी सेनाएं हटाने पर सहमत हो गया है. साथ ही बीजिंग देपसांग से लेकर डेमचोक और फिंगर प्वाइंट तक में साल 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने पर राजी हो गया है. इसी साल भारत और चीन की सेना में टकराव हुआ था, जिसके बाद दोनों देश के रिश्ते काफी तल्ख हो गए थे. दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. एस. जयशंकर के विदेश विभाग संभालने के बाद उनके सामने यह सबसे बड़ी चुनौती थी. चीन के साथ तनाव को खत्म करना और लद्दाख रीजन में चार साल पहले की स्थिति बहाल करना कतई आसान काम नहीं था. प्रत्यक्ष और पर्दे के पीछे से इसे सुलझाने पर लगातार कूटनीतिक प्रयास किए जा रहे थे. भारत-चीन के बीच विदेश विभाग के स्तर पर 31 बैठकें हुईं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन के फॉरेन मिनिस्टर वांग यी के साथ दो बार मीटिंग की थी. इसके बाद चीनी विदेश मंत्री को समझ में आ गया कि लद्दाख क्षेत्र में LAC से सेना हटाने में ही भलाई है.
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जयशंकर के काम आया चीन वाला अनुभव
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के साथ चल रहे टकराव वाले हालात को यूं ही हल नहीं कर दिया. इसके पीछे चीन में बिताया गया 4 साल का अनुभव था. दरअसल, मनमोहन सरकार के समय (साल 2009-13) एस. जयशंकर चीन में भारत के राजदूत थे. नरेंद्र मोदी ने जब देश की कमान संभाली तो उन्होंने जयशंकर को विदेश सचिव (साल 2015-18) बनाया था. इस दौरान जयशंकर को अरुणाचल से लेकर लद्दाख तक में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ विवाद को करीब से देखा. इससे पहले उन्होंने साल 2009 से 2013 तक चीन में महत्वपूर्ण चार साल बिताए थे. इस दौरान उन्हें चीन सरकार और वहां की ब्यूरोक्रेसी को काफी नजदीक से समझने का मौका मिला. LAC को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाने में इन सब अनुभवों का काफी योगदान है.
रूस-यूक्रेन से लेकर पाकिस्तान तक
एस. जयशंकर पिछले दिनों पाकिस्तान के दौरे पर थे. वह SCO की बैठक में हिस्सा लेने इस्लामाबाद गए थे. वहां उन्हें प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ देख गया. दिलचस्प बात यह है कि दोनों तरफ से किसी भी तरह का अप्रिय बयान सामने नहीं आया. अलबत्ता उनके वापस लौटने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि जयशंकर का दौरा तो शुरुआत भर है. शरीफ के बयान से कूटनीतिक हलकों में इस बात की कयासबाजी है कि एस. जयशंकर और पाकिस्तान के टॉप लीडरशिप के बीच पर्दे के पीछे कुछ कामयाब बातें हुई होंगी. इसके साथ ही महीनों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध को रुकवाने में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. इसमें एस. जयशंकर की भूमिका भी अहम मानी जा रही है. ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं होने की संभावना जताई जा रही है.
Tags: India china border dispute, Ladakh Border Dispute, S JaishankarFIRST PUBLISHED : October 21, 2024, 22:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed