भारत में इस सदी के अंत तक 44 डिग्री बढ़ जाएगा तापमान लू का खतरा होगा चौगुनाः रिपोर्ट

इंडियन फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट की एक स्टडी में दावा किया गया है कि दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन का हॉटस्पॉट बना हुआ है, ऐसे में मौसम संबंधी खतरनाक परिवर्तन कई गुना होकर सामने आएंगे. साल 2100 तक भारत में औसत तापमान 2.4 से 4.4 डिग्री तक बढ़ जाएगा. इसका असर अनाज उत्पादन पर भी पड़ेगा.

भारत में इस सदी के अंत तक 44 डिग्री बढ़ जाएगा तापमान लू का खतरा होगा चौगुनाः रिपोर्ट
नई दिल्ली. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस सदी के अंत तक भारत में औसत तापमान में 2.4 डिग्री से लेकर 4.4 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हो जाएगी. साल 2100 तक गर्मियों में लू चलने का खतरा तीन से चार गुना तक बढ़ जाएगा. इंडियन फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट (IFPRI) की इस रिपोर्ट में दक्षिण एशिया को जलवायु परिवर्तन का हॉटस्पॉट बताते हुए कहा गया है कि इसकी वजह से मौसम संबंधी खतरनाक परिवर्तन कई गुना होकर सामने आएंगे. इसका अनाज उत्पादन पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है. मिंट के मुताबिक, स्टडी में कहा गया है कि सदी के अंत तक पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में वार्षिक औसत तापमान 1.2 से 4.3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की आशंका है. पिछली कुछ सदियों से दक्षिण एशिया में तापमान में बड़े पैमाने पर लगातार बढ़ोतरी हो रही है और आगे भविष्य में इसके रुकने की उम्मीद नहीं दिख रही. रिपोर्ट के मुताबिक, अत्यधिक गर्मी, लंबे समय तक सूखा और बाढ़ जैसी चरम घटनाएं अब ज्यादा बार और ज्यादा तीव्रता के साथ हो रही हैं. 1980 के दशक से दक्षिण एशिया में मौसम संबंधी निम्न और उच्च दोनों चरम सीमाएं बदतर हो गई हैं. गर्मियों के दिन बढ़ गए हैं और बारिश ज्यादा खतरनाक हो गई है. बताया गया है कि भारत में पिछले कुछ दशकों में गर्मियों में मानसून की बारिश गिरावट आई है. सबसे ज्यादा कमी भारत में गंगा किनारे के इलाकों में देखी गई है. 1950 के दशक के बाद से सूखा पड़ने की संख्या बढ़ी है और इसका दायरा भी बढ़ गया है. दूसरी तरफ, छोटे-छोटे इलाकों में अचानक अत्यधिक वर्षा की घटनाओं से सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों में बाढ़ का जोखिम बढ़ गया है. मानसून के बाद खतरनाक चक्रवाती तूफान आने की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है जबकि उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की संख्या घटी है. मिंट के मुताबिक, IFPRI में डायरेक्टर (पर्यावरण व उत्पादन प्रौद्योगिकी) चैनिंग अरंड्ट का कहना है कि अगले 30 वर्षों में दुनिया में अनाज उत्पादन की दर बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि तापमान बढ़ने के साथ भूमि की औसत उत्पादकता में भी गिरावट आ रही है. IFPRI के साउथ एशिया के निदेशक शहीदुर राशिद ने कहा कि कोरोना ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है. जलवायु में तेजी से बदलाव और पर्याप्त फंड की कमी के कारण क्षेत्र में 2030 तक भुखमरी को खत्म करने के लक्ष्य को पूरा करना बहुत मुश्किल हो जाएगा. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Climate change in india, HeatwaveFIRST PUBLISHED : July 22, 2022, 08:50 IST