मुस्लिम लोगों के अधिक बच्चे इस इस्लामिक देश में मां नहीं बनना चाहतीं बेटियां
मुस्लिम लोगों के अधिक बच्चे इस इस्लामिक देश में मां नहीं बनना चाहतीं बेटियां
अपने भारत में बढ़ती आबादी बड़ी समस्या है. लेकिन दुनिया के तमाम देशों में आज घटती आबादी नई समस्या बनती जा रही है. इससे इस्लामिक मुल्क भी अछूता नहीं हैं. एक बड़े इस्लामिक मुल्क में फर्टिलिटी रेट 1.3 फीसदी पर आ गई है.
भारत की बड़ी आबादी एक गंभीर समस्या है. संसाधनों की कमी की वजह से इतनी बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इस वक्त अपना भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला मुल्क है. लेकिन, दुनिया के हर देश या इलाके के लिए आबादी कोई समस्या नहीं है. बल्कि दुनिया में तमाम ऐसे देश हैं जहां घटती आबादी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. ऐसे मुल्कों में युवा पीढ़ी बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं. ऐसे में उनके यहां आबादी लगातार घट रही है.
खैर अभी हम इस पर बात नहीं कर रहे हैं. भारत में एक और धारणा बहुत कॉमन है. यहां कहा जाता है कि मुस्लिम परिवारों में अन्य की तुलना में ज्यादा बच्चे होते हैं. यानी मुस्लिम समुदाय की आबादी अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. लेकिन, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक प्रमुख इस्लामिक मुल्क की स्थिति इससे बिल्कुल अलग है. वहां की युवा लड़कियां मां नहीं बनना चाहती हैं. इस कारण बीते करीब एक दशक से इस मुल्क में आबादी थम सी गई है. यह मुल्क बुढ़े लोगों का देश बनता जा रहा है.
यहां अब सरकार बच्चे पैदा करने वाले दंपति को कई तरह की रियायतें देने की योजना चला रही है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं ईरान की. ईरान इस वक्त दुनिया में चर्चित नाम है. मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष में यह मुल्क एक धुरी बना हुआ है. एक दिन पहले ही इजरायल ने ईरान पर हमला किया है. यह मुल्क इस वक्त इजरायल के साथ-साथ अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ सीधे टक्कर ले रहा है.
40 लाख युवा अविवाहित
वेबसाइट aa.com.tr की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2051-52 तक ईरान की 32 फीसदी आबादी बुढ़ी हो जाएगी. मौजूदा वक्त में ईरान की आबादी करीब 8.9 करोड़ है. इसमें से एक करोड़ बुढ़े लोग हैं. इस मुल्क में 1979 के इस्लामिक क्रांति के बाद काफी कुछ बदला है. यहां के लोगों की औसत उम्र काफी बढ़ गई है. महिलाओं की औसत उम्र 78 और पुरुष की उम्र 76 वर्ष हो गई है.
लेकिन, यहां एक नई समस्या पैदा हो गई है. लोग अपना परिवार नहीं बढ़ा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ईरान में 31 से 39 साल के बीच करीब 40 लाख युवा अविवाहित हैं. जो कुल आबादी के करीब पांच फीसदी हैं.
पहले 5-6 बच्चे
जनसंख्या के बारे में अध्ययन करने वाले तेहरान के एक प्रोफेसर सैयद नरिजई कहते हैं कि इस मुल्क की सबसे बड़ी समस्या यहां की आबादी है. यहां 1980 के दशक में एक दंपति के औसतन 5 से 6 बच्चे होते थे. वह आंकड़ा आज घटकर एक से दो पर आ गया है. वह बताते हैं कि पहले तो युवा शादी नहीं कर रहे हैं, फिर जो शादी करते हैं उनमें से कई परिवार बढ़ाना नहीं चाहते.
प्रो. नरिजई कहते हैं कि इस वक्त दुनिया में आबादी घटने का ट्रेंड है. लेकिन, ईरान के लोगों के सामने आर्थिक परेशानी है. वह मानने लगे हैं कि ज्यादा बच्चे होने से ज्यादा परेशानी और ज्यादा जिम्मेदारी आएगी.
हाई फर्टिलिटी रेट
वर्ष 1980 में ईरान में फर्टिलिटी रेट 6.5 था. यानी एक महिला के औसतन 6.5 बच्चे हुआ करते थे. फिर सरकार ने फैमिली प्लानिंग को प्रोत्साहित किया और वर्ष 2000 तक देश में आबादी का ट्रेंड बदल गया. फिर सरकारों ने 3 से 4 बच्चे पैदा करने वाले परिवारों को बैंक लोन, प्लॉट, कार आदि देना शुरू किया. लेकिन, इसमें लगातार गिरावट जारी रही. आज ईरान में फर्टिलिटी रेट 1.5 फीसदी पर आ गया है. यह किसी इस्लामिक देश में संभवतः सबसे कम है.
एक समाज में आबादी की मौजूदा स्थिति को बनाए रखने के लिए 2.1 की फर्टिलिटी रेट चाहिए होती है. लेकिन, ईरान में यह दर इससे भी कम है. इस सरकार यहां की सरकार बहुत चिंतित है.
ईरान में 1980 में करीब 4 करोड़ की आबादी थी. 1990 में यह 5.57 करोड़ और फिर 2000 में 6.6 करोड़ हो गई. 2010 में इसकी आबादी 7.57 करोड़ हो गई. 2020 में यह आबादी 8.77 करोड़ हो गई. यानी वर्ष 2000 के बाद आबादी में बढ़ोतरी की रफ्तार काफी कम हो गई. वर्ष 2024 में इस देश की आबादी 9.1 करोड़ है.
Tags: Iran news, Muslim PopulationFIRST PUBLISHED : October 27, 2024, 11:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed