चुनाव से 6 महीने पहले का वो खेल जिसने BJP को MP-हरियाणा के बाद दिलाई जीत
चुनाव से 6 महीने पहले का वो खेल जिसने BJP को MP-हरियाणा के बाद दिलाई जीत
Maharashtra Chunav Result: एमपी, हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में चुनाव से छह महीने पहले बीजेपी ने पैसे देने वाली तमाम लाभकारी योजनाओं का सिर्फ ऐलान नहीं किया, खाते में पैसे भी भेजने लगी. इसका नतीजा सारे एंटी इनकमबेंसी पर भारी पड़ा
महाराष्ट्र में महायुति की लैंडस्लाइड विक्ट्री के पीछे वैसे तो कई वजहें गिनाई जा रही हैं. जैसे मराठा छत्रप एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाना. वोटों का ध्रुवीकरण, लोकल लीडरशिप पर भरोसा और आरएसएस का जबरदस्त साथ. लेकिन एक सबसे बड़ी वजह है, जिसने बीजेपी के लिए जीत की राह आसान कर दी. चुनाव से 6 महीने पहले जो खेल बीजेपी ने मध्य प्रदेश, हरियाणा में खेला, अब वही खेल महाराष्ट्र में कर गई और नतीजा सबके सामने है.
आपको याद होगा, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले बीजेपी ने लाडली बहन योजना शुरू की थी. शिवराज सिंह चौहान ने सभी महिलाओं को अपनी बहन बताते हुए सीधे उनके खाते में पैसे डालने का न सिर्फ ऐलान किया, उसे तुरंत लागू भी कर दिया. नतीजा चुनाव से चंद दिनों पहले सभी महिलाओं के खाते में 1250 रुपये भेजे जाने लगे. यह योजना गेम चेंजर साबित हुई. महिलाओं ने भर-भरकर वोट दिया और बीजेपी दो तिहाई बहुमत पार कर गई. ठीक ऐसी ही कोशिश हरियाणा में भी बीजेपी ने की. वहां लाडो लक्ष्मी योजना का चुनाव से पहले ऐलान किया और खातों में पैसे भी भेज दिए. नतीजा वहां भी हारी हुई बाजी पलट गई.
अब यही कोशिश महाराष्ट्र में भी बीजेपी ने की. चुनाव से पहले ‘माझी लाडकी बहीण योजना’ का ऐलान किया और 2.35 करोड़ महिलाओं के खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर किए गए. हर महिला को 1,500 रुपये मिले. इसका बड़ा असर नजर आ रहा है. राजनीति के जानकारों के मुताबिक, इसका असर वोटिंग परसेंटेज में दिखा. करीब तीन दशक में पहली बार 65 फीसदी से ज्यादा वोटिंग महाराष्ट्र में हुई. ऐसा माना जा रहा है कि इसके पीछे ‘माझी लाडकी बहीण योजना’ का बड़ा हाथ है. महाविकास अघाड़ी ने भी महालक्ष्मी योजना का ऐलान किया था और हर महिला को 3000 रुपये देने की बात कही थी, लेकिन चूंकि सरकार पहले ही पैसे खाते में ट्रांसफर कर रही थी, इसलिए महिलाओं का भरोसा बीजेपी और महायुति सरकार पर ज्यादा रहा.
जीत की 5 और बड़ी वजह
1. महाविकास अघाड़ी मराठा आरक्षण का मुद्दा उठा रही थी. लेकिन मराठा छत्रप एकनाथ शिंदे को मौका देकर बीजेपी ने वो दांव फेल कर दिया. दूसरा, शिंदे की वजह से उद्धव ठाकरे की मराठा में पकड़ काफी कमजोर हो गई, जो कभी शिवसेना का वोट बैंक था.
2. फडणवीस एमवीए को वोटरों को कंफ्यूज करने में कामयाब रहे. एक तरफ तो वोट जिहाद, धर्म युद्ध, बंटेगे तो कटेंगे का नारा था, तो दूसरी ओर अजित पवार गुट के मुस्लिम नेताओं को सपोर्ट करके बीजेपी ने जता दिया कि वो मुस्लिमों से नफरत नहीं करती.
3. चुनाव से ठीक पहले एकनाथ शिंदे सरकार ने मदरसा शिक्षकों का मानदेय दोगुना कर दिया. इससे भी मुस्लिमों के अंदर जो डर पैदा किया जा रहा था, उससे निपटने में बीजेपी को कामयाबी मिली.
4. बीजेपी ने लोकल लीडरशिप पर ज्यादा भरोसा किया. प्रधानमंत्री, गृहमंत्री की ज्यादा रैलियों की बजाय देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार जैसे नेताओं की रैलियां अधिक करवाईं. इसका कार्यकर्ताओं पर सीधा असर हुआ.
5. आरएसएस फिर बीजेपी के लिए शक्ति बनकर सामने आया. जिस तरह हरियाणा में आरएसएस ने पूरा खेल पलट दिया. ठीक उसी तरह महाराष्ट्र में भी कड़ा मुकाबला होने के बावजूद संघ ने डटकर मुकाबला किया. संघ ने यहां तक कह दिया था कि 62 सीटें वे बीजेपी को अपने दम पर जिताकर देंगे. ये वो सीटें हैं, बीजेपी कभी नहीं जीती थी, या जो उसके लिए हमेशा मुश्किल भरी थी.
Tags: Devendra Fadnavis, Maharashtra bjp, Maharashtra ElectionsFIRST PUBLISHED : November 23, 2024, 13:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed