अरुण गवली की रिहाई की कोशिश पर SC की रोक गवली ने दिया कमजोरी का हवाला
अरुण गवली की रिहाई की कोशिश पर SC की रोक गवली ने दिया कमजोरी का हवाला
मुंबई के एक्स-डॉन अरुण गवली को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने गवली की रिहाई पर विचार के निचली अदालत के कोर्ट के निर्देश पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है.
मुंबई: अंडरवर्ल्ड डॉन रहे अरुण गवली की रिहाई की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दे दिया है. बता दें कि गवली उम्रकैद की सजा काट रहा है और उसने समय पूर्व रिहाई की मांग की थी. गवली की इस अपील पर बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने विचार करने का आदेश दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक दिया है. वहीं गवली ने दलील दी है कि वह 65 वर्ष का हो चुका है और मेडिकल बोर्ड ने उसे कमजोर बताया है, इसलिए सजा माफी नीति का उसे लाभ मिलना चाहिए.
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के पांच अप्रैल के आदेश को लागू करने पर रोक लगा दी जिसने राज्य के अधिकारियों को गवली की समय पूर्व रिहाई के आवेदन पर 2006 की सजा माफी नीति के तहत विचार करने का आदेश दिया था. (2020 में हुई थी मराठी एक्टर के साथ हुई अंडरवर्ल्ड डॉन रहे अरुण गवली की बेटी की शादी- देखें तस्वीरें)
महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजा ठाकरे ने न्यायालय से हाई कोर्ट के पांच अप्रैल के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि गवली राज्य की 2006 की सजा माफी नीति के तहत लाभ मांग रहा है जो हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और मकोका के प्रावधानों के तहत दोषी है.
उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने गवली की याचिका स्वीकार कर ली थी. याचिका में उसने 10 जनवरी 2006 की सजा माफी नीति के आधार पर राज्य सरकार से निवेदन किया था कि उसे समय से पहले रिहा कर दिया जाए. उसने कहा कि राज्य के अधिकारियों का समय से पहले रिहाई के उसके अनुरोध को खारिज करना अन्याय है, मनमाना है और इसे रद्द किया जाना चाहिए.
कौन है अरुण गवली, किस सजा में अंदर…
अरुण गवली को डैडी के नाम से भी जाना जाता है, 1980 और 90 के दशक में दगड़ी चॉल से अपना कारोबार चलाने वाले माफिया के तौर पर उभरा था. राजनीति में थोड़े समय के लिए आए गवली को मध्य मुंबई में समर्थन हासिल है. बालासाहेब ठाकरे ने सार्वजनिक रूप से उसे ‘हिंदू डॉन’ कहा था. 2012 में गैंगस्टर से राजनेता बने इस व्यक्ति को वर्ष 2007 में मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में सेशन अदालत ने 11 अन्य लोगों के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उसने 2006 की सजा माफी नीति की सभी शर्तों का पालन करने का दावा किया था और रिहाई की अपील की थी. (भाषा के इनपुट के साथ)
Tags: Bombay high court, Gangsters and criminals, Mumbai NewsFIRST PUBLISHED : June 3, 2024, 15:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed