क्या 2004 में शरद पवार ने अजीत पवार को नहीं बनने दिया CM खुलासे से नया भूचाल!

Maharashtra Chunav: महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मी चरम पर है. इस बीच एक नए खुलासे से माहौल गर्म है. शरद पवार के पास 2004 में अपनी पार्टी से सीएम बनाने का मौका था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

क्या 2004 में शरद पवार ने अजीत पवार को नहीं बनने दिया CM खुलासे से नया भूचाल!
Maharashtra Chunav: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग में अब चंद दिन बचे हैं. चुनावी सरगर्मी चरम पर है. इस बीच एक बड़े रहस्य से परदा हट गया है. दरअसल, यह रहस्य उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के बारे में है. अजीत पवार कई बार राज्य के उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं. वह सार्वजनिक तौर पर कई बार यह कह चुके हैं कि वह भी सीएम बनना चाहते हैं. राज्य की राजनीति में वह लंबे समय से सक्रिय है. एनसीपी में विभाजन से पहले वह शरद पवार से स्वाभाविक उत्तराधिकारी माने जाते थे. लेकिन, ऐसा नहीं है कि उनके राजनीतिक जीवन में सीएम बनने का कोई मौका नहीं आया. बात 2004 की है. देश में बड़ा राजनीतिक बदलाव हुआ था. राष्ट्रीय स्तर पर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता से बाहर हुई थी. उसी वक्त महाराष्ट्र में चुनाव हुए. चंद वर्ष पहले सोनिया गांधी के विदेशी मूल के होने की वजह कांग्रेस तोड़कर अपनी पार्टी बनाने वाले शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा. चुनाव बाद एनसीपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. एनसीपी 124 सीटों पर चुनाव लड़कर 71 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई. दूसरी तरफ 157 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को 69 सीटों पर जीत मिली. तीसरे नंबर पर शिवसेना थी जिसके पास 62 और चौथे नंबर पर भाजपा थी जिसके पास 54 विधायक थे. इससे पहले 1999 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी पहली बार मैदान में उतरी थी और उसे 58 सीटें मिली थीं. सबसे बड़ी पार्टी को नहीं मिली सीएम कुर्सी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार में एनसीपी के पास मौका था कि वह सीएम की कुर्सी की डिमांड करे. उस वक्त राज्य में अजीत पवार एक युवा उभरते नेता थे. वह शरद पवार के साथ उनकी परछाई बनकर रहते थे. लेकिन, शरद पवार ने सीएम की कुर्सी पर जोर नहीं दिया और गठबंधन की सरकार में कम सीट होने के बावजूद कांग्रेस के विलासराव देशमुख को सीएम की कुर्सी दी गई. हालांकि इसके बदले शरद पवार की पार्टी को ज्यादा मंत्री पद दिए गए. सीएम कुर्सी की डिमांड नहीं करने को लेकर शरद पवार ने अब जाकर राज खोला है. उन्होंने लोकसत्ता न्यूज पेपर को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि उस वक्त पार्टी को ज्यादा मंत्री पद मिले. उन्होंने स्पष्ट किया कि उस वक्त उनकी सोच यह थी कि राज्य में पार्टी के युवा नेता आगे आएं. ऐसे में आरआर पाटिल, अजित पवार और जयंत पाटिल जैसे नेताओं का उभार हुआ. वे आगे चलकर बड़े नेता बने. उस समय पार्टी ने नए नेतृत्व को ताकत देने की जरूरत थी. एक विचारधारा विलासराव देशमुख को कांग्रेस ने दोबारा मुख्यमंत्री बनाया. इस पर शरद पवार ने कहा कि भले ही विलासराव देशमुख की पार्टी अलग थी, लेकिन हम सभी गांधी-नेहरू की विचारधारा के अनुयायी थे. इसलिए विलासराव का मुख्यमंत्री बनना अधिक उपयुक्त था. पवार ने यह भी कहा कि ओबीसी को सत्ता में जगह मिली. इससे छगन भुजबल को ताकत मिली. हालांकि सीएम की कुर्सी से दूर रहना अजीत पवार को कभी रास नहीं आया. वह दबी जुबान से शरद पवार के इस फैसले पर सवाल उठ रहे. Tags: Assembly elections, Aurangabad maharashtra election, Maharashtra ElectionsFIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 11:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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