2000 राउंड फायर‍िंग 12 नक्‍सली ढेर कौन है C60 कमांडो

Gadchiroli News:महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में नक्सली गतिविधियों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए उन पर लगाम लगाने के लिए साल 1990 में C60 कमांडो दस्ते की स्थापना की गई थी. इस विशेष कमांडो दस्ते की स्थापना तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गढ़चिरौली केपीआर रघुवंशी द्वारा की गई थी, जो बाद में महाराष्ट्र पुलिस के प्रमुख भी बने इस विशेष दस्ते का नाम C60 कमांडो यूनिट इसलिए पड़ा कि इसकी स्थापना के समय इसमें केवल 60 कमांडो ही भर्ती किए जा सके थे.

2000 राउंड फायर‍िंग 12 नक्‍सली ढेर कौन है C60 कमांडो
गढ़चि‍रौली. 12 नक्‍सल‍ियों के सफाए की खबर तो आपने देखी और पढ़ी ही होगी लेक‍िन उसके पर्दे के पीछे यानी ग्राउंड जीरो पर कैसे इस म‍िशन को अंजाम द‍िया गया. कैसे C60 कमांडो दस्‍ते ने इस ऑपरेशन को बहादुरी के साथ अंजाम द‍िया. जहां एक गोली चलने पर पूरे शाह में दहशत का माहौल हो जाता है पर आपको यकीन नहीं होगी नक्‍सल‍ियों और C60 के जवानों के बीच हुई मुठभेड़ में 2000 राउंड से ज्‍यादा गोल‍ियां चली. हालांक‍ि फायर‍िंग में C60 कमांडो के स‍िर्फ एक जवान को ही गोली लगी और वह ठीक है. असल में क्‍या है C60 कमांडो दस्‍ता और कैसे करता है यह काम, जानें इसकी पूरी ड‍िटेल… महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में नक्सली गतिविधियों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए उन पर लगाम लगाने के लिए साल 1990 में C60 कमांडो दस्ते की स्थापना की गई थी. इस विशेष कमांडो दस्ते की स्थापना तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गढ़चिरौली केपीआर रघुवंशी द्वारा की गई थी, जो बाद में महाराष्ट्र पुलिस के प्रमुख भी बने इस विशेष दस्ते का नाम C60 कमांडो यूनिट इसलिए पड़ा कि इसकी स्थापना के समय इसमें केवल 60 कमांडो ही भर्ती किए जा सके थे. यह दस्ता जिला पुलिस का अपना दस्‍ता है और इसे तेलंगाना के ग्रे हाडेंड और आंध्र प्रदेश की एसओजी जैसे दस्ते के जैसा माना जाता है. यह दस्ता केवल और केवल अपने जिले में नक्सली समस्या का समाधान करने के लिए हर समय तैनात रहता है. समस्‍या भी सुलझता है C60 कमांडो दिलचस्प यह है कि इसकी तैनाती केवल नक्सलियों से लड़ाई कर उन्हें मारने या पकड़ने के लिए ही नहीं, बल्कि नक्सल प्रभावित इलाकों में जाकर वहां के लोगों की समस्याओं को समझना सुनना और फिर उन समस्याओं का निदान कराना भी है. इस विशेष कमांडो दस्ते के लड़के दूर दराज की पहाड़ी इलाकों में उन जगहों पर पहुंचते हैं जहां जल्दी से सरकारी अधिकारी जाना भी नहीं चाहते. यह दस्‍ता नक्‍सली इलाको में जाकर जाकर स्थानीय लोगों से बिजली, सड़क, बस सेवाएं, स्कूल, स्वास्थ्य आदि समस्याओं के बारे में बात करते हैं. वहां स्‍थानीय लोगों से फीडबैक लेने के बाद इस दस्‍ते के जवान वापस लौटकर मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारी को रिपोर्ट करते हैं कि फलां इलाके में फलां समस्या है. इतना ही नहीं यह कमांडो फिर उस समस्या का सुलझाने में भी अपना पूरा सहयोग देते हैं. यह वह इलाके हैं जहां नक्सलियों के डर के कारण कोई भी सरकारी कर्मचारी जाना ही नहीं चाहता. नक्‍सल‍ियों के र‍िश्‍तेदार और पर‍िवार वालों से म‍िलते हैं कमांडो अपने इस प्रशासनिक काम के अलावा C60 विशेष कमांडो का दस्ता गढ़चिरौली जिले के कोने-कोने में जाकर पहाड़ी और घने जंगलों के बीच नक्सल विरोधी अभियान चलाते हैं. यह अभियान केवल नक्सलियों से आमने-सामने की लड़ाई ही नहीं है बल्कि इस दौरान वह नक्सली आंदोलन में शामिल लोगों के परिवारों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और उन्हें सिलसिले वर तरीके से बताया जाता है कि किस तरह से यदि उनका बच्चा उनका बेटा या उनके पति आत्मसमर्पण कर दे तो उसे किस प्रकार से विभिन्न सरकारी सुविधाएं और योजनाएं मिलेगी जिसका लाभ उठाकर उसके परिवार के साथ-साथ उसके आस पड़ोस और उसके गांव का भी विकास हो सकेगा अपनी इसी विशेषता के कारण इस कमांडो दस्ते को नक्सली परिवारों से हर संभव मदद मिलती है जिसका लाभ नक्सलियों के सफाई से लेकर उन्हें मुख्य धारा में लाने तक होता है. यही कारण है कि नक्सली टोली के लोग इस रास्ते से सीधे तौर पर कोई लड़ाई नहीं लड़ना चाहते और इन पर छुपकर वार करते हैं साल 2019 में ऐसे ही छुपकर किए गए वार में इस दस्ते की अनेक लोग मारे गए थे लेकिन उसे घटना के बाद नक्सलियों को अपने ही परिवारों से आलोचनाएं झेलनी पड़ी थी यही कारण है कि c60 स्क्वाड्रन को क्रैक कमांडो के नाम से भी जाना जाता था. खतरनाक नक्सलियों से निपटने के लिए इस विशेष दस्ते के लोगों को एनएसजी मानेसर हरियाणा के अलावा अन्य कमांडो यूनिट जिम ग्रेहाउंड हैदराबाद कमांडो यूनिट हजारीबाग और नागपुर में मौजूद विशेष दस्ते के साथ प्रशिक्षण दिया जाता है. इस विशेष दस्ते में स्थानीय पुलिस के उन जवानों को शामिल किया जाता है जो अपनी ट्रेनिंग के दौरान विशेष प्रदर्शन करके दिखाते हैं. इन दोस्तों को प्रतिदिन अन्य कमांडो दस्ते की तरह अपनी नक्सल विरोधी ड्रिल शारीरिक व्यायाम आदि करने होते हैं. साथ ही नक्सल विरोधी अभियान चलाने के लिए उन्हें समय-समय पर नक्सली रणनीति के बारे में भी बताया जाता है. उनका मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें क्या प्रख्यात लोगों से उनके अनुभव भी सुनवाए जाते हैं और कमांडो फिल्में भी दिखाई जाती है फिलहाल या दस्त गढ़चिरौली जिले में अपने गठन के बाद से ही लगातार काम कर रहा है और उल्लेखनीय सेवाएं भी दे रहा है. Tags: Maharastra newsFIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 13:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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