बहराइच: हर किसी का अलग काम और बिजनेस होता है. लेकिन हालातों को देखते हुए कई बार प्लान-बी भी की मदद लेनी पड़ती है. बहराइच में कटरा बहादुरगंज में रहने वाले अशोक कुमार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उनका चलता-फिरता जूतों-चप्पल का बिजनेस था. बीमारी के कारण बिजनेस बंद करना पड़ा. डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था. घर वापस लौट कर आए. धीरे-धीरे जैविक विधि से खेती शुरू कर दी.
जैविक विधि से कर रहे खेती
अशोक कुमार ने खेत में पपीता, केला, हरा साग और अन्य सब्जी उगाने लगे. खुद भी अपने हाथों की फसलों को खाने लगे. धीरे-धीरे फसलों के बीच शुद्ध वातावरण में रहते-रहते अशोक कुमार की तबीयत ठीक होने लगी. एक वक्त था जब डॉक्टरों ने इनकी हार्टबीट को बहुत धीमी बता दिया था.आज वो काफी हद तक ठीक हैं और खेती कर संतुष्ट भी.
इन फसलों की करते हैं खेती
वैसे तो अशोक कुमार विभिन्न फसलों की खेती करते हैं. लेकिन मुख्यतः वो पपीते की खेती करते आ रहे हैं. जिसमें एक बीघा की लागत लगभग 8 से 10 हजार तक आती है. वहीं, अगर मुनाफे की बात करें तो 50 हजार से शुरू होकर एक लाख तक हो सकती है.
पपीते के एक पेड़ पर कितने फल आते हैं?
किसान अशोक कुमार ने बताया कि वो पूरे तरीके से जैविक प्रक्रिया द्वारा खेती करते हैं. इसमें गाय का गोबर, गोमूत्र, नीम का छिड़काव आदि चीज इस्तेमाल करते हैं.इस विधि द्वारा पौधों और फलों को कोई नुकसान नहीं होता. एक पेड़ में 40 से 50 किलो तक फल बड़े आराम से हो जाते हैं .
पपीते की मार्केट वैल्यू
अगर पपीते की बाजार कीमत की बात करें, तो यह कीमत 40-50 प्रति किलोग्राम से शुरू होकर 100 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम तक जाती है. वहीं, अगर मंडी भाव की बात करें तो ₹30 प्रति किलो से लगाकर 60-70 रुपए प्रति किलो तक इनका भाव जाता है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है. यह फल तेज बिक्री वाले फल में शामिल हैं. इसकी मांग हमेशा बनी रहती है.
Tags: Agriculture, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 08:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed