200 साल पहले खुदाई के दौरान मिला था यह पंचमुखी शिवलिंग बेहद रोचक है कहानी

महाराजगंज जिले के इटहिया में स्थित यह पंचमुखी शिव मंदिर अपनी खास मान्यता और इतिहास के लिए जाना जाता है. मंदिर के मुख्य सेवादारों में से एक कन्हैया गिरी जी महाराज ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि आज से लगभग दो सौ साल पहले एक आम के पेड़ की खुदाई के समय यह पंचमुखी शिवलिंग प्राप्त हुआ था.

200 साल पहले खुदाई के दौरान मिला था यह पंचमुखी शिवलिंग बेहद रोचक है कहानी
महाराजगंज: उत्तर प्रदेश का महाराजगंज जिला पड़ोसी देश नेपाल से सीमा साझा करता है. जिले के अलग-अलग हिस्सों में बहुत से धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनकी अपनी–अलग अलग मान्यताएं हैं. ऐसा ही एक मंदिर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र इटहिया में मौजूद है. यह मंदिर अपनी खास मान्यता और इतिहास के लिए जाना जाता है. मंदिर परिसर के केंद्र में पंचमुखी शिवलिंग स्थित है, जिसके दर्शन और पूजा के लिए दूर–दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं. सिर्फ महाराजगंज जिले से ही नहीं बल्कि अन्य जगहों से भी लोग इस पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं. सावन के महीने में इस मंदिर में श्रद्धालु अनगिनत संख्या में यहां आते हैं. मिनी बाबा धाम के नाम से भी जाना जाता है यह मंदिर महाराजगंज जिले के इटहिया में स्थित यह पंचमुखी शिव मंदिर अपनी खास मान्यता और इतिहास के लिए जाना जाता है. मंदिर के मुख्य सेवादारों में से एक कन्हैया गिरी जी महाराज ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि आज से लगभग दो सौ साल पहले एक आम के पेड़ की खुदाई के समय यह पंचमुखी शिवलिंग प्राप्त हुआ था. खुदाई के दौरान प्राप्त इस पंचमुखी शिवलिंग के स्थान पर ही इस मंदिर का निर्माण हुआ है. इस मंदिर के साथ अन्य दूसरी कहानियां भी जुड़ी हुई है, जो प्राचीन मान्यताओं को बताती हैं. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. राजा रतन से भी जुड़ी है इसकी कहानी कन्हैया गिरी जी महाराज ने बताया कि मंदिर में स्थित पंचमुखी शिवलिंग की एक कहानी राजा रतन सेन से भी जुड़ी है. ऐसी मान्यता है कि तत्कालीन राजा रतन सेन की गाय जिसका नाम नंदी था, वह प्रतिदिन भगवान शिव को अपना दूध चढ़ाने आती थी. राजा को जब दूध नहीं मिला तो उन्होंने नंदी गाय के पीछे सिपाहियों को लगा दिया. जब इस बात का पता राजा को चला, तो उन्हें काफी गुस्सा आया और उन्होंने इस शिवलिंग की खोजबीन शुरू कर दी. हालांकि बहुत कोशिश के बावजूद भी राजा को सफलता नहीं मिली. इसके बाद स्थानीय  लोगों की मदद से यहां पूजा पाठ शुरू हुई और यह सिलसिला आज तक चलता आ रहा है. Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : September 22, 2024, 08:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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